उत्तराखंड विधानसभा में अनुपूरक बजट और 11 विधेयक पास, आंदोलनकारियों के मुद्दे पर भावुक हुए संसदीय कार्यमंत्री अग्रवाल
उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र में अनुपूरक बजट और 11 विधेयक पास किए गए। मानसून सत्र मंगलवार से शुरू हुआ था। पहले दिन सदन में दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई थी। दूसरे दिन अनुपूरक बजट पेश किया गया। सात सितंबर को जन्माष्टमी का अवकाश रहा। आज सत्र के तीसरे दिन आठ सितंबर को सरकार ने उत्तराखंड विनियोग (2023-2024 का अनुपूरक) विधेयक समेत 11 विधेयक ध्वनिमत से पारित कराए। विधानसभा की कार्यवाही देर रात तक चली। इसके साथ ही उत्तराखंड विधानसभा का सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया। सदन में राज्य आंदोलनकारियों और आश्रितों के आरक्षण के विषय पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्यमंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल भावुक हो उठे। इस दौरान उनकी ऑखें आसूओं से नम हो गई। डॉ अग्रवाल ने राज्य आंदोलन के दौरान विकट परिस्थतियों में सक्रिय सहभागिता को याद करते हुए सदस्य विनोद चमोली एवं भुवन कापड़ी आदि की भावनाओं से स्वयं को सम्बद्ध किया। साथ ही बहुमत होते हुये भी राज्य आंदोलनकारियों की भावनाओं को सम्मान करने के लिये प्रस्तावित विधेयक को प्रवर समिति को सन्दर्भित करने का अनुरोध किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्वयं भी रहे आंदोलनकारी
सदन के भीतर संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि वह भी स्वयं राज्य आंदोलनकारी रहे हैं। उन्होंने आंदोलन के दिनों को याद करते हुए बताया कि उन दिनों महिलाओं के साथ जो अत्याचार हुआ, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि इतिहास के पन्नों में वह दिन सबसे दर्दनाक रहा। उन्होंने डोईवाला में स्वयं के द्वारा राज्य आंदोलन में प्रतिभाग करते हुए तत्कालीन सत्ताधारी सपा पार्टी के द्वारा किये गए अत्याचारों को भी सदन के भीतर रखा। उन्होंने बताया कि आंदोलन में प्रतिभाग करने पर उन्हें डोईवाला चौक पर घसीट कर ले जाया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ अग्रवाल ने सदन के भीतर कहा कि वह मुजफ्फरनगर कांड के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं। उस दौरान उत्तराखंड वासियों के साथ अनहोनी हो गई थी। उन्होंने कहा कि उन दिनों को याद कर आज भी आंखें नम हो जाती हैं। डॉ अग्रवाल ने सदन के भीतर उन राज्य आंदोलनकारी को याद करते हुए उस दौरान हुए शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राज्य आंदोलनकारी आरक्षण विधेयक प्रवर समिति को भेजा
विधानसभा सत्र के दौरान सदन में चर्चा के लिए पेश चिह्नित आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक को सर्वसम्मति से प्रवर समिति को भेज दिया गया। विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण प्रवर समिति का गठन करेंगी। समिति 15 दिन में संशोधनों के साथ अपनी रिपोर्ट देगी। उसकी रिपोर्ट के आधार पर बिल को पारित किया जाएगा। इसके लिए एक दिन का विधानसभा सत्र बुलाया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ध्वनिमत से 11 विधेयक सदन में पारित
विधानसभा सत्र के तीसरे दिन देर रात तक चले सदन में ध्वनिमत से 11 विधेयक पारित किए गए। इसमें उत्तराखंड सड़क संरचना सुरक्षा संशोधन विधेयक, वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी, विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक, उत्तराखंड संयुक्त प्रांतीय रक्षक दल अधिनियम संशोधन विधेयक, उत्तराखंड उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम संशोधन विधेयक, उत्तराखंड माल एवं सेवा कर संशोधन विधेयक, उत्तराखंड निवेश और आधारित संरचना विकास एवं विनियमन विधेयक, उत्तराखंड निरसन विधेयक, उत्तराखंड शहीद आश्रित अनुग्रह अनुदान संशोधन विधेयक, राज्य विश्वविद्यालय विधेयक, उत्तराखंड उत्तर प्रदेश अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम संशोधन विधेयक, निजी विवि विधेयक पारित किए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अतिरिक्त बिजली को केंद्र की मंजूरीः प्रेमचंद अग्रवाल
मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि अपरिहार्य स्थिति में ही अघोषित कटौती होती है। नेशनल ग्रिड में उपलब्धता कम होने पर ही कटौती होती है। देहरादून, हरिद्वार, मसूरी व अन्य नौ शहरों में कोई कटौती नहीं की जा रही है। सरकार के प्रयास से 400 मेगावाट अतिरिक्त आपूर्ति को कहा गया है, जिसे केंद्र ने सैद्धान्तिक सहमति दे दी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बिजली कटौती के मुद्दे पर विपक्ष का हंगामा
भोजनावकाश के बाद सदन की कार्रवाई फिर शुरू हुई। नियम-58 के तहत बिजली कटौती पर चर्चा की गई। इस दौरान सदन में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया। विधायक गोपाल सिंह राणा ने कहा कि ऊर्जा प्रदेश के हालात बदतर हैं। जरा सी हवा में 6-7 दिन बिजली गुल रहती है। लोहे की तारों से बिजली आपूर्ति की जा रही है। विधायक आदेश चौहान ने कहा कि गर्मी में पानी की कमी में बिजली नहीं, बरसात में सिल्ट और सर्दी में बर्फबारी की वजह से पानी कम होने से बिजली उत्पादन घट जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सुमित ह्रदयेश ने कहा कि 2012 से 2017 कांग्रेस की सरकार में मेरी माता वित्त मंत्री थीं, उन्होंने घोषणा की थी कि हल्द्वानी में कटौती नहीं होगी। लेकिन अब हल्द्वानी में 6 से 7 घंटे बिजली गुल होना मामूली बात हो गई है। ममता राकेश ने कहा कि अघोषित बिजली कटौती की वजह से लोग आज सहारनपुर जाने के बहाने ढूंढते हैं। अधिकारी को फोन करें लेकिन समाधान नहीं होता। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अनुपमा रावत ने कहा कि 8 से 12 घंटे अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। सभी वर्ग परेशान हैं। बिजली कहां जा रही है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि ऊर्जा प्रदेश बनाने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत है। बीजेपी में काम करने की क्षमता, विजन नहीं है। कटौती नहीं हो रही, अघोषित कटौती की जा रही है। राज्य में 30 लाख से ज्यादा उपभोक्ता परेशान हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रोटोकॉल उल्लंघन से स्पीकर नाराज
सत्र के दौरान विधानसभा स्पीकर रितु खंडूरी भूषण ने विधायकों के प्रोटोकॉल उल्लंघन को लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि सदन गरिमामय जगह है। यहां विधायकों को गरिमा का ध्यान रखना चाहिए। लेकिन उनके व्यवहार से मैं बहुत निराश हूं। इसे लेकर उन्होंने मुख्य सचिव को अपने चैंबर में तलब किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विशेषाधिकार हनन का मुद्दा गरमाया
शुक्रवार को सदन में विशेषाधिकार हनन का मामला उठने पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने कड़ा रुख अपनाया। पीठ के बार-बार निर्देशों के बाद भी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के प्रति आला अधिकारियों के उपेक्षापूर्ण रवैये को उन्होंने शर्मनाक और निराशाजनक बताते हुए तीखी टिप्पणी की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि प्रशासनिक एवं अन्य आला अधिकारियों के रवैये में बदलाव के लिए उनके प्रशिक्षण में सुधार की आवश्यकता जताई। विधानसभा की ओर से इस संबंध में प्रशिक्षण संस्थानों को पत्र पत्र भेजा जाएगा। उन्होंने मुख्य सचिव डा एसएस संधु को बुलाकर इस संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विधानसभा अध्यक्ष ने सदन में बार-बार विशेषाधिकार हनन के मामले उठने पर नाराज हो गईं। उन्होंने कहा कि विधायक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं। उनके प्रोटोकाल को ताक पर नहीं रखा जा सकता। उत्तराखंड जैसी संस्कारों की धरती पर, जहां देवता निवास करते हैं, एकदूसरे को सम्मान नहीं देना बहुत ही निराशाजनक एवं शर्मनाक है।
उन्होंने कहा कि लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी, डा आरएस टोलिया उत्तराखंड प्रशासन अकादमी, नैनीताल समेत अधिकारियों एवं अभियंताओं के प्रशिक्षण से जुड़े संस्थानों को पत्र भेजे जाएंगे, ताकि उन्हें प्रोटोकाल का पालन करने के बारे में भी प्रशिक्षण मिल सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक प्रीतम सिंह ने विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव रखते हुए पीएमजीएसवाइ के मुख्य अभियंता आरपी सिंह के रवैये पर कड़ी आपत्ति जताई। उन्होंने बीते माह अगस्त की 25 व 26 तारीख को फोन काल का ब्योरा सदन में रखा। उन्होंने बताया कि बार-बार फोन करने के बावजूद मुख्य अभियंता बात करने से बचते रहे। कई बार काल के बाद उन्होंने फोन पर वार्ता में 26 अगस्त को अपनी उपस्थिति को लेकर भ्रामक जानकारी दी। उन्होंने आरोप लगाया कि अदृश्य शक्ति का अधिकारियों को संरक्षण मिल रहा है। इस कारण विधायकों के प्रोटोकाल का पालन नहीं किया जाता। इस संबंध में पीठ के निर्देशों का अनुपालन कराने में सरकार विफल रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने इसे बेहद गंभीर मामला बताया। उन्होंने कहा कि अधिकारियों का यह रवैया लोकतंत्र के लिए घातक है। इससे भविष्य में वाद-विवाद बढ़ा तो सरकार जिम्मेदारी से बच नहीं सकती है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और प्रीतम सिंह ने प्रोटोकाल के पालन को लेकर पीठ के निर्देशों का स्वागत किया। उधर, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु भूषण खंडूड़ी ने दोपहर भोजनावकाश के अपने कक्ष में मुख्य सचिव डा संधु को बुलाकर विधायकों के प्रोटोकाल का सम्मान करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज भी उपस्थित रहे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छाया अतिवृष्टि का मुद़्दा, विधायकों का हंगामा
अतिवृष्टि के मुद्दे पर सदन गरमा गया। मुआवजे के सवाल पर विपक्ष ने कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को घेरा। बेमौसमी बारिश और ओलावृष्टि से किसानों को हुए नुकसान के मुआवजे को लेकर सवाल पूछा था। विपक्ष ने पूछा कि हरिद्वार में ब्लॉक के अनुसार कितना मुवावजा दिया गया। इस पर मंत्री आंकड़े नहीं दे पाए। मंत्री गणेश जोशी के जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ और सदन में हंगामा काटा। इसके साथ ही प्रश्न काल समाप्त हो गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
संसदीय कार्यमंत्री अग्रवाल और कांग्रेस विधायक प्रीतम के बीच नोकझोंक
स्मार्ट सिटी के मुद्दे पर संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल और कांग्रेस विधायक के बीच सदन में तीखी नोक-झोंक हुई। प्रीतम सिंह पूछा कि स्मार्ट सिटी के जो बचे काम है उनमें कितना धन खर्च होना है। मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने जवाब दिया लगभग 250 करोड़ के लगभग काम होने बाकी हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
24 जून 2024 तक पूरी होंगे स्मार्ट सिटी के काम
प्रश्नकाल के दौरान सदन में स्मार्ट सिटी का मुद्दा उठा। कांग्रेस विधायक प्रीतम सिंह ने सवाल किया। इस पर शहरी विकास मंत्रीप्रेम चंद ने जबाब दिया कि स्मार्ट सिटी में कुल एक हजार करोड़ का बजट है। जिसमें से एक करोड़ 80 लाख रुपए के स्मार्ट टॉयलेट बने। 500 करोड़ केंद्र और 500 करोड़ राज्य सरकार देगी। केंद्र से 394 करोड़ पैसा मिल चुका है। 241 करोड़ राज्य सरकार भी दे चुकी है। इस दौरान सत्ता पक्ष के विधायक विनोद चमोली, प्रदीप बत्रा ने भी चर्चा में भाग लिया। मंत्री ने कहा 22 में से 16 काम पूरे हो चुके हैं। परियोजना में कुल 14 कंपनियां काम कर रही हैं। 24 जून 2024 तक यह परियोजना पूरी हो जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अनुपूरक बजट में इन योजनाओं के लिए प्रावधान
मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में रोजगार को बढ़ावा देने के लिए 5 करोड़।
आयुष्मान योजना में निशुल्क इलाज के लिए 200 करोड़।
स्वच्छ भारत मिशन के लिए 36 करोड़।
पशुपालकों को साइलेज चारा उपलब्ध कराने के लिए 7 करोड़।
स्कूली बच्चों को निशुल्क किताबों के लिए 68 करोड़।
निवेश प्रोत्साहन, स्टार्टअप व उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 25 करोड़।
पंचायत भवनों के निर्माण को 10 करोड़।
बस अड्डों के निर्माण के लिए 10 करोड़।
स्टेट कैंसर संस्थान हल्द्वानी के लिए 20 करोड़।
स्पोर्ट्स स्टेडियम निर्माण कार्यों के लिए 20 करोड़।
हरिद्वार को पर्यटन विकास कार्यों के लिए 25 करोड़।
रूफ टॉप सोलर व स्ट्रीट लाइट के लिए 67 करोड़।
ऋषिकेश को योग नगरी के रूप में विकसित करने के लिए 30 करोड़।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।