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July 9, 2025

चंद्रयान 3 की सफल लॉंचिंग, कक्षा में स्थापित, फिल्मों के बजट से कम है इस अभियान का बजट

भारत के तीसरे चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ को लॉन्च कर दिया गया है। चंद्रयान-3 ने दोपहर 2:35 बजे चंद्रमा की ओर उड़ान भरी। यह पृथ्वी की कक्षा में पहुंच गया है। इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से छोड़ा गया है। 615 करोड़ की लागत से तैयार हुआ यह मिशन करीब 40 दिन की यात्रा के बाद चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंड करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चांद पर करेंगे एस्सपेरिमेंट
वैज्ञानिकों का लक्ष्य चंद्रमा की सतह पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का है। चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट के तीन लैंडर/रोवर और प्रोपल्शन मॉड्यूल हैं। करीब 40 दिन बाद यानी 23 या 24 अगस्त को चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर चांद के साउथ पोल पर उतरेंगे। ये दोनों 14 दिन तक चांद पर एक्सपेरिमेंट करेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सफल लैंडिंग होने पर भारत बन जाएगा चौथा देश
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने लॉन्चिंग के बाद कहा कि चंद्रयान-3 ने चांद की ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी है। इसका प्रोपल्शन मॉड्यूल चांद के ऑर्बिट में रहकर धरती से आने वाले रेडिएशन की स्टडी करेगा। मिशन के जरिये ISRO पता लगाएगा कि चांद की सतह कितनी सिस्मिक है। इसके साथ ही चांद की मिट्टी और धूल की भी स्टडी की जाएगी। चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग सफल रही और यह कक्षा में स्थापित हो गया है। यदि लैंडिंग सफल होती है तो भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन चंद्रमा पर अपने स्पेसक्राफ्ट उतार चुके हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मिशन चंद्रयान-3 के बारे में
चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और एक्सपेरिमेंट करेगा। इसमें एक प्रोपल्शन मॉड्यूल, एक लैंडर और एक रोवर होगा। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। चंद्रयान-3 पर स्पेक्ट्रो-पोलारिमेट्री ऑफ़ विजेटेबल प्लैनेट अर्थ (एसएचएपीई) भी लगा होगा, जिससे हमारे वैज्ञानिकों को चंद्रमा की कक्षा के छोटे ग्रहों और हमारे सौरमंडल के बाहर स्थित ऐसे अन्य ग्रहों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए महत्वपूर्ण डेटा हासिल हो सकेगा जहां जीवन संभव है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
615 करोड़ रुपये है चंद्रयान-3 का बजट
चंद्रयान-3 का बजट लगभग 615 करोड़ रुपये है। इससे 4 साल पहले भेजे गए चंद्रयान-2 की लागत 603 करोड़ रुपये थी। हालांकि, इसकी लॉन्चिंग पर भी 375 करोड़ रुपये खर्च हुए थे।  चंद्रयान-3 का बजट कई बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों से कम है। हॉलीवुड फिल्म मिशन इम्पॉसिबल-7 के बजट के मुकाबले मिशन चंद्रयान-3 का बजट करीब चार गुना कम है। मिशन इम्पॉसिबल-7 का बजट 2386 करोड़ रुपये है। भारतीय फिल्मों से तुलना करें तो चंद्रयान-3 को तैयार करने में जितना पैसा लगा है। इतने में एसएस राजामौली की फिल्म RRR को बनी। लगभग उतने खर्च में आदिपुरुष बनाई गई। यानी बहुत ही सीमित बजट में हमारे वैज्ञानिकों ने इसे तैयार किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चंद्रमा की सतह के बारे में मिलेगी जानकारी
चंद्रयान-3 मिशन के साथ कई प्रकार के वैज्ञानिक उपकरणों को भेजा जाएगा, जिससे लैंडिंग साइट के आसपास की जगह में चंद्रमा की चट्टानी सतह की परत, चंद्रमा के भूकंप और चंद्र सतह प्लाज्मा और मौलिक संरचना की थर्मल-फिजिकल प्रॉपर्टीज की जानकारी मिलने में मदद हो सकेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मिशन की सफलता के लिए किए गए ये उपाय
मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया है। इस बार स्पेसशिप में ज्यादा फ्यूल और कई सेफ्टी मेजर्स किए गए हैं, ताकि मिशन (Lunar Mission) नाकाम न हो। साथ ही इस बार लैंडिंग साइट भी बड़ी होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

2019 में हुई थी क्रैश लैंडिंग
सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के चलते सितंबर 2019 में चंद्रयान-2 की क्रैश-लैंडिंग हो गई थी। इसरो ने कहा कि इस बार इसने ‘विफलता-आधारित डिज़ाइन’ का विकल्प चुना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुछ चीजें गलत होने पर भी लैंडर चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर सके। लैंडिंग साइट को 500 मीटर x 500 मीटर से बढ़ाकर 2.5 किलोमीटर कर दिया है। यह कहीं भी उतर सकता है, इसलिए किसी खास जगह पर नहीं उतरना पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चंद्रयान-3 के पार्ट 
चंद्रयान-2 में लैंडर, रोवर और ऑर्बिटर था. चंद्रयान-3 में ऑर्बिटर के बजाय स्वदेशी प्रोपल्शन मॉड्यूल है। जरूरत पड़ने पर चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर की मदद ली जाएगी. प्रोपल्शन मॉड्यूल चंद्रयान-3 के लैंडर-रोवर को चंद्रमा की सतह पर छोड़कर चांद की कक्षा में 100 किलोमीटर ऊपर चक्कर लगाता रहेगा। यह कम्युनिकेशन के लिए होगा। वहीं, विक्रम लैंडर के साथ तीन और प्रज्ञान रोवर के साथ दो पेलोड होंगे। पेलोड को हम आसान भाषा में मशीन भी कह सकते हैं। रोवर भले ही लैंडर से बाहर आ जाएगा, लेकिन ये दोनों आपस में कनेक्ट होंगे। रोवर को जो भी जानकारी मिलेगी, वो लैंडर को भेजेगा और लैंडर इसे इसरो को कन्वे करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसे ऐसे किया गया लॉन्च
दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर सतीश धवन स्पेस सेंटर से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान को स्पेस में भेजा गया है। 16 मिनट बाद रॉकेट ने इसे पृथ्वी की ऑर्बिट में प्लेस किया।
चंद्रयान- 3 का उद्देश्य
1-चंद्रयान- 3 के लैंडर की चांद की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग।
2.इसके रोवर को चांद की सतह पर चलाकर दिखाना।
3.वैज्ञानिक परीक्षण करना। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सॉफ्ट लैंडिंग के बारे में
किसी स्पेसक्राफ्ट के चांद पर दो तरह से लैंडिंग हो सकती है। एक- सॉफ्ट लैंडिंग, जिसमें स्पेसक्राफ्ट की गति कम होती जाती है और वो धीरे-धीरे चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतर जाता है। दूसरी- हार्ड लैंडिंग में स्पेसक्राफ्ट चांद की सतह से टकरा कर क्रैश हो जाता है। चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग नहीं हो पाई थी। इसलिए ये मिशन फेल हो गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चंद्रयान-3 चांद पर इस दिन करेगा लैंड
चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम के आज से लगभग 40 दिन बाद यानी 23 या 24 अगस्त की शाम करीब 5.47 बजे चांद के साउथ पोल पर लैंड करने की उम्मीद है। हालांकि, कई फैक्‍टर्स के चलते इसमें बदलाव हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चांद के साउथ पोल पर लैंडिंग से मिलेंगी ये जानकारी
चंद्रयान-3 के लैंडर को चांद के साउथ पोल पर उतारा जाएगा। चांद को फतह कर चुके अमेरिका, रूस और चीन ने अभी तक इस जगह पर कदम नहीं रखा है। चांद के इस भाग के बारे में अभी बहुत जानकारी भी सामने नहीं आ पाई है। चंद्रयान-1 मिशन के दौरान साउथ पोल में बर्फ के बारे में पता चला था. साउथ पोल काफी रोचक है। इसकी सतह का बड़ा हिस्सा नॉर्थ पोल की तुलना में ज्यादा छाया में रहता है। यहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती। तापमान -230 डिग्री सेल्सियस से नीचे जा सकता है। संभावना इस बात की भी जताई जाती है कि इस हिस्से में पानी भी हो सकता है। चांद के साउथ पोल में ठंडे क्रेटर्स (गड्ढों) में शुरुआती सौर प्रणाली के लुप्‍त जीवाश्म रिकॉर्ड मौजूद हो सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

चंद्रयान- 3 इसलिए है महत्वपूर्ण
चंद्रयान- 3 का मिशन न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के वैज्ञानिक समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है। लैंडर चांद की उस सतह पर जाएगा, जिसके बारे में अब तक कोई जानकारी मौजूद नहीं है। इसलिए इस मिशन से हमारी धरती के एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह चांद के विषय में जानकारी और बढ़ेगी। इससे न केवल चांद के बारे में, बल्कि अन्य ग्रहों के विषय में भी भविष्य के अंतरिक्ष अनुसंधान की क्षमता विकसित होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

पीएम मोदी ने किया ट्वीट
फ्रांस यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा- ‘चंद्रयान-3 ने भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखा है। ये हर भारतीय के सपनों और महत्वाकांक्षाओं की ऊंची उड़ान है। ये महत्वपूर्ण उपलब्धि हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं उनकी भावना और प्रतिभा को सलाम करता हूं।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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