दरोगा भर्ती घोटाला तो है बहाना, पटवारी लेखपाल भर्ती से ध्यान है भटकानाः गरिमा मेहरा दसौनी

कांग्रेस प्रवक्ता दसौनी ने कहा की घायल की गति घायल जाने और न जाने कोई यही बात उत्तराखंड के युवाओं पर लागू होती है। उनकी हालत और हताशा का अंदाजा भी शायद सत्ता में बैठे हुक्मरानों को ना हो पा रहा हो। आज उत्तराखंड के युवाओं का भविष्य घोर अंधकारमय हो चुका है, जहां उन्हें रोशनी का कोई सुराख तक नजर नहीं आ रहा। दसौनी ने कहा कि भाजपा की शुरुआत से ही यही मोड्स ऑपरेंडी रही है कि जब जब उसकी भ्रष्टाचार को लेकर किरकिरी होती है या वह किसी मुद्दे पर चौतरफा घिरने लगती है, तो वह कांग्रेस को घेरने का प्रयास करते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इससे पहले भी यूकेट्रिपल एससी मामले में जैसे ही राज्य सरकार की राष्ट्रीय पटल पर बुरी तरह फजीहत हुई और एक के बाद एक भाजपा नेताओं की गिरफ्तारी होने लगी तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने षड्यंत्र के तहत विधानसभा बैक डोर नियुक्तियों में जांच की बात कहकर विधानसभा कर्मियों को बलि का बकरा बना डाला। दसौनी के अनुसार एक बार फिर भाजपा वही कर रही है। पटवारी लेखपाल भर्ती लीक मामले में जिस तरह से भाजपा सरकार पूरी तरह निर्वस्त्र हो चुकी है और उसकी भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया से आम जनमानस का भरोसा पूरी तरह से राज्य सरकार से उठ चुका है। ऐसे में प्रदेश की जनता का ध्यान भटकाने के लिए वह दरोगा भर्ती घोटाले को सामने ला रही है, ताकि लोगों का ध्यान पटवारी लेखपाल भर्ती लीक से हट सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने भारतीय जनता पार्टी की सरकार से सवाल पूछते हुए कहा कि पिछले 6 सालों से सत्तासीन होने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने उत्तराखंड की जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम क्यों किया? यदि भाजपा नेतृत्व को पता चल गया था कि कांग्रेस के कार्यकाल में दरोगा भर्ती घोटाला हुआ है तो 6 साल तक आखिर किस अदृश्य शक्ति ने उन्हें यह खुलासा करने के लिए रोका हुआ था? दसोनी ने दरोगा भर्ती घोटाले के खुलासे की टाइमिंग को लेकर भी प्रश्नचिह्न लगाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा की यह बदले की भावना से कि गई कार्रवाई है और भारतीय जनता पार्टी को चाहिए कि वह पिछले 22 सालों में राज्य के अंदर हुई सभी भर्तियों की सीबीआई जांच कराएं। दसोनी ने कहा कि सरकार को चाहिए कि दरोगा भर्ती में भी यदि कोई संलिप्त है तो उस पर कठोर से कठोर कार्यवाही होनी चाहिए। दसौनी ने कहा की यह भी पता लगाया जाना चाहिए की उस कार्यकाल में डीजीपी कौन था डीजी लॉ एंड ऑर्डर कौन था क्योंकि उन्हीं की देखरेख में दरोगा भर्ती कराई गई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दसौनी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार में पहले तो भर्ती परीक्षाएं होती नहीं है होती है तो शत-प्रतिशत भर्ती परीक्षाओं में धांधली और भ्रष्टाचार होता है। ऐसे में प्रदेश के युवाओं का भरोसा जिस तरह से अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और लोक सेवा आयोग से खत्म हो रहा है वह बहुत ही चिंतनीय है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि जल्दबाजी ना दिखाते हुए तसल्ली से पहले की भर्ती परीक्षाओं में हुए गड़बड़ियों की जांच कराए। साथ ही निकट भविष्य में होने वाली भर्ती परीक्षाओं को स्थगित करते हुए नई methodolgy से प्रश्न पत्र तैयार कर नई तारीख में पीसीएस मैंस तथा दूसरी परीक्षाएं कराए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पटवारी परीक्षा का पेपर हुआ था लीक
गौरतलब है कि उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की आठ जनवरी को हुई पटवारी-लेखपाल भर्ती परीक्षा का पेपर लीक हो गया। पेपर आयोग के ही अति गोपन विभाग के अनुभाग अधिकारी संजीव चतुर्वेदी ने पत्नी के साथ मिलकर लीक कराया। एसटीएफ ने अनुभाग अधिकारी, पत्नी समेत पांच को गिरफ्तार कर लिया है। उनके पास से परीक्षा सामग्री और 41.50 लाख रुपये बरामद हुए हैं। आयोग ने आरोपी अनुभाग अधिकारी को निलंबित करते हुए पटवारी भर्ती परीक्षा रद्द कर दी है। अब यह परीक्षा 12 फरवरी को दोबारा होगी। इसके साथ ही दिनांक 12 फरवरी, 2023 को पूर्व निर्धारित सहायक लेखाकार / लेखा परीक्षक परीक्षा-2022 अब दिनांक 19 फरवरी, 2023 को आयोजित की जायेगी। इस मामले में अब तक कुल आठ लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। साथ ही अब मामले की जांच एसआइटी कर रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इससे पहले सामने आया था यूकेएसएसएससी परीक्षा घोटाला
गौरतलब है कि बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल की ओर से सीएम को शिकायत की गई थी। उन्होंने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से चार और पांच दिसंबर 2021 को आयोजित स्नातक स्तर की परीक्षा में अनियमितता के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच एसटीएफ को सौंपी थी। परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने छह युवकों को गिरफ्तार किया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मामले में एक आरोपी से 37.10 लाख रूपये कैश बरामद हुआ। जो उसके द्वारा विभिन्न छात्रों से लिया गया था। इस मामले में अब तक कुल 43 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें बीजेपी नेता भी शामिल है, जिसे पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। परीक्षा भर्ती मामले में अब तक कुल 94.79 लाख कैश बरामद किया है। इसी मामले में दो दर्जन से ज्यादा बैंक अकाउंट फ्रीज लिए जा चुके हैं। जिसमे करीब तीस लाख की राशि जमा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
किया था 22 हजार नियुक्तियों का दावा, परीक्षा निरस्त करने में उलझी सरकार
गौरतलब है कि वर्ष 2021 में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की पहली बार शपथ लेने के तुरंत बाद ही पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि हम जो कहेंगे, उसे अपने कार्यकाल में करके दिखाएंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि छह माह के भीतर सरकारी विभागों में रिक्त पड़े सभी 22 हजार पदों पर नियुक्ति कर दी जाएगी। इसके बाद उन्होंने दोबारा सीएम की शपथ ली और बेरोजगार परेशान हैं। सरकारी नौकरियों का ये आलम है कि बार बार परीक्षा घोटाले सामने आ रहे हैं। साथ ही भर्ती परीक्षाएं निरस्त हो रही हैं। ऐसे में सीएम का पहला दावा ही परवान तक नहीं चढ़ पाया है।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।