शिक्षिका हेमलता बहुगुणा की कहानी-अभय पशु जीवन वन
अभय पशु जीवन वन
एक बहुत बड़ा और घना जंगल था। उस जंगल में अनेकों पशु- पक्षी प्रेम से रहते थे। उस जंगल के एक छोर में बहुत दयालु राजा का राज्य था। उस राजा का एक बेटा था जो बहुत सुंदर और दयालु था। वह राजकुमार धार्मिक प्रवृत्ति का और पशु प्रेमी था। वह पशु- पक्षियों से बहुत प्रेम करता था। परन्तु उसी जंगल के दूसरी ओर दूसरे राजा का राज्य था, जो बड़ा क्रूर प्रवृत्ति का था। उस राजा की एक बेटी थी, जो सुन्दर तो थी, पर थी दुष्ट प्रवृत्ति की। उसे पशु पक्षियों के शिकार करने में बड़ा आनंद आता था। वह पशुओं का शिकार तो करती ही थी, पर वह एक दिन में कई पशुओं को मार देती।
एक दिन राजकुमार घुमते घूमते उस जंगल की तरफ आ गया और वहां का सौन्दर्य को निहारने लगा। उसे वहां पर पशुओं की आवाज और चहचहाहट बड़ी अच्छी लग रही थी। हिरणों का झुंड देखकर वह बड़ा खुश हो रहा था। उसी समय हिरण का पीछा करते-करते वह राजकुमारी वहां पर आ गई। राजकुमार की सुन्दरता को देखकर वह रुकी और राजकुमार का परिचय पूछा। राजकुमार ने अपना परिचय देकर फिर राजकुमारी का परिचय पूछा। फिर वहां आने का कारण पूछा। तब राजकुमारी बोली-मैं हिरण का पीछा करते हुए यहां पर आईं हूं। मुझे आखेट करना बहुत अच्छा लगता है। तब राजकुमार ने कहा-किसी भी जीव को मारना पाप है। हम उन्हें क्यो मारे, वे हमारा क्या करते हैं।
राजकुमारी को राजकुमार की बात पसन्द नहीं आई, परन्तु उसे राजकुमार पसन्द आ गया। राजकुमारी ने राजकुमार से अपने मन की बात कह दी। उसी समय वहां पर एक सुनहरे रंग का हिरण आ गया। राजकुमारी बोली मैं हिरण को मार कर आती हूं। मगर राजकुमार ने कहा-नहीं तुम इसे नहीं मार सकती हो। क्योंकि इसका भी अपना जीवन है। इन्हें भी जीने का हक है।मगर राजकुमारी नहीं मानी।
तब राजकुमार ने कहा-अगर तुम मुझसे शादी करना चाहती हों तो तुम्हें आखेट करना वो जीव हत्या करना छोड़ना होगा। पहले तों राजकुमारी नहीं मानी पर उसे राजकुमार भी पसंद था, इसलिए उसने हां भर दी। कुछ दिनों बाद दोनो ने शादी कर ली। शादी के बाद दोनों ने उस वन के जीव – जन्तुओ पशु पक्षियों की रक्षा की कसम खाई और उस वन का नाम रखा-अभय पशु पक्षियों का जीवन।
फिर दोनों उस वन के पशु पक्षियों की रक्षा करने लगे। उस जंगल में अधिक से अधिक फलदार छायादार वृक्ष लगाए। दानेदार घास लगाई, जिससे उन जीवों को दूसरी जगह न जाना पड़े। उनको भरपूर भोजन वहां मिलता रहे। वे दोनों राजकुमार और राजकुमारी अपनी इस मेहनत पर खुश रहने लगे पशु पक्षी भी। पशुओं का जीवन भी निर्भय हो गया और वे स्वच्छन्द रूप से वन में विचरण करने लगें।
लेखिका का परिचय
नाम-हेमलता बहुगुणा
पूर्व प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय सुरसिहधार टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।