वीआईपी आगमन और विधानसभा सत्र के दौरान सड़कों पर वाहनों को रोकना मानवाधिकारों का उल्लंघन
मानवाधिकार संरक्षण केंद्र उत्तराखंड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल और जन संगठन उत्तराखंड के अध्यक्ष कुलदीप चौधरी ने एक संयुक्त वक्तव्य में देहरादून शहर में वीआईपी आगमन और विधानसभा सत्र के दौरान लोगों की परेशानी की ओर ध्यान आकर्षित किया है। उन्होंने कहा कि इस दौरान सड़कों को बंद कर दिया जाता है। उन्होंने लोगों के आवागमन बंद करने को मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि अभी पिछले दिनों राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के आगमन पर बाजारों को बंद करवाया गया। लोगों को अपने घर के गेट के बाहर भी नहीं खड़े होने दिया गया। ऐसा लगता था, जैसे शहर के लोग उनके आगमन का स्वागत नहीं, बल्कि आगमन का विरोध कर रहे हों। प्रशासन के अधिकारियों का यह रवैया पूरी तरह से मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इसी तरह से विधानसभा सत्र के दौरान सड़कों को बंद किया जाता है। इससे आमजन को भारी परेशानी का सामना करना होता है। जब किसी सड़क को बंद किया जाता है, तो पूरे शहर में जाम लग जाता है। इससे लोग आवश्यक कार्य के लिए भी आवागमन में मुश्किलों का सामना करते हैं। उन्होंने कहा राज्य की स्थापना के रजत जयंती के अवसर पर जश्न मनाने में लोगों की भागीदारी आवश्यक है, लेकिन प्रशासन का रवैया तो लोगों को परेशान करने वाला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि अभी तो रजत जयंती के समारोह चल रहे हैं, लेकिन प्रशासन का यह रवैया तो हमेशा ही रहता है। इसलिए रजत जयंती समारोह के बाद इस संबंध में दोनों संगठनों के प्रतिनिधि शासन प्रशासन के सम्मुख अपना विरोध दर्ज कराएंगे। शासन से मांग की जाएगी कि भविष्य में किसी भी वीआईपी के आगमन पर आम जनता को परेशान ना किया जाए। राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री के आगमन पर उनके हेलिकॉप्टर को सीधे उनके गंतव्य तक उतरने की व्यवस्था हो। यदि सड़क मार्ग पर लोगों को घर के सामने भी खड़े नहीं होने देना, बाजार बंद करवाना है, तो ऐसे में प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को सड़क मार्ग से ले जाने का कोई औचित्य नहीं है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




