धराली आपदा को लेकर राज्य सरकार के दावे जमीनी हकीकत से कोसों दूरः कांग्रेस
उत्तराखंड में सितंबर माह में उत्तरकाशी जिले में आई धराली आपदा के बाद राहत और बचाव कार्यों को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस ने राज्य की बीजेपी सरकार पर फिर से हमला बोला। हाल ही में बीजेपी नेता एवं दायित्वधारी कर्नल अजय कोठियाल का सोशल मीडिया में एक वीडियो वायरल हुआ था। इसमें वह पांच अगस्त 2025 को आई धराली आपदा में 147 लोगों के दबे होने का दावा कर रहे हैं। उनके इस बयान के बाद एक बार कांग्रेस ने फिर से बीजेपी पर हमला बोल दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विगत दिवस उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गणेश गोदियाल और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं सीडब्लूसी सदस्य करन माहरा के सयुक्त नेतृत्व में उत्तराखंड कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने धराली जाकर मौके की वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन किया। इसके बाद कांग्रेस ने दावा किया कि धराली को लेकर राज्य सरकार की ओर से किए जा रहे दावे जमीनी हकीकत से कोसों दूर हैं। इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन देहरादून में गणेश गोदियाल और करन माहरा ने संयुक्त रुप से प्रेस वार्ता की। साथ ही धराली का आंखों देखा हाल विस्तृत तौर से सांझा किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस मौके पर गणेश गोदियाल ने कहा कि सरकार की ओर से मृत लोगों की जो संख्या बताई जा रही है, वह विरोधाभासी है। आपदा प्रबंधन विभाग ने धराली आपदा को लेकर 67 लोगों को मृत या गुमशुदा बताया। वहीं, सरकार में दायित्वधारी मंत्री कर्नल कोठियाल ने 147 के मलवे में दबे होने का बयान दिया। अब राज्य सरकार की ओर से जो सफाई आई है, उसमें 52 लोग गायब या मृत बताए जा रहे है। गोदियाल ने कहा कि सरकार इस विरोधाभास को दूर करे और प्रदेश की जनता, विपक्ष और मीडिया के समक्ष सच लाए। क्योकि, आपदा राहत और बचाव कोई मजाक या राजनीति करने के मुद्दे नहीं हैं, ब्लकि मानवीय आधार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गोदियाल ने बताया कि उत्तराखंड कांग्रेस की फैक्ट फाईडिंग टीम (प्रतिनिधिमंडल) ने पाया कि आपदा के चार माह बीतने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से ना तो धराली में पुनर्वास, पुनर्निर्माण, राहत, विस्थापन, जन जीवन को पटरी पर लाने के लिए कोई कारगर कदम नही उठाए गए हैं। ऐसे में सरकार के दावे पूरी तरह खोखले साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि धराली की वास्तविक स्थिति बेहद भयावह है। स्थानिय आपदा प्रभावितों के अनुसार 250 नाली नाप की जमीन सम्पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। धराली में 112 आवासीय मकान व लगभग 70 होटल, रिसॉर्ट और होमस्टे प्रभावित हुए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार धराली में केवल कुछ ही लोगों को मुआवजा दिया गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि आपदा के प्रत्यक्षदर्शीयों के अनुसार स्थानीय लोग अब भी मलबे के नीचे दबे हैं। शवों को निकालने तक के उचित प्रयास नहीं किए गए। राहत कार्य शून्य है। किसी तरह कि कोई गतिविधि नही देखी गई। कोई फोर्स नही, कोई प्रशासनिक इकाई नही, कोई सुध लेने वाला नही। उन्होंने कहा कि धराली में आपदा पीड़ित एक महिला ने मानसिक दबाव में आत्महत्या कर ली। बाजार पूरी तरह से नष्ट हो चुका है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि वहां होने वाले उत्पाद सेब, राजमा, आलू की देश और दुनिया में डिमांड है। अब बाजार के आभाव में उनके उत्पादों का विपणन नही हो पा रहा है। 112 लोगों को 05 -05 लाख की सहायता की गई, लेकिन उसमें भी 38 लोगों को यह की कर छोड दिया गया कि आपके मकान पूरी तरह से नष्ट नही हुए हैं। वहीं, सच्चाई यह है कि जो मकान वहा खडे भी हैं, वो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हैं। उनकी निचली मंजिल मलबे में दब गई है। सरकारी सहायता के आभाव में मजदूर लगा कर वो लोग स्वयं अपने खर्चे पर मलबे को हटाने का काम करवाने को मजबूर है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि केदारनाथ देवीय आपदा के दौरान राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। आपदा के कारण हजारों लोग काल कल्वित हुए थे, तब कांग्रेस की सरकार ने नुकसान के स्वआंकलन और स्व-निर्धारण की व्यवस्था बनाई थी। इसमें व्यवसाईयों ने राज्य सरकार को एफिडेविट दिया कि उनका कितना नुकसान हुआ है। इस आधार पर सरकार ने मुआवजा तय किया था। उन्होंने कहा कि धराली में यह व्यवस्था लागू क्यों नहीं जा जा सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि धराली सुरक्षित नही है, तो लोगों का विस्थापन किया जाए। यदि सुरक्षित है तो फिर धराली का मूल स्वरुप लौटाया जाए। न्यूनतम मुआवजा 50 लाख किया जाए। आवासीय पुनर्वास के साथदृसाथ व्यावसायिक पुनर्वास अनिवार्य पुनर्निर्माण की ठोस योजना बनाई जाए। लापता लोगों की खोज के लिए विशेष अभियान चलाया जाए। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया आसान की जाए, व्यवस्थित विस्थापन किया जाए। शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क और संचार व्यवस्था में सुधार किया जाए। गोदियाल ने कहा कि कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल ने धराली में जो आकलन किया है, उसकी विस्तृत रिपोर्ट लेकर राज्यपाल से मुलाकात की जाएगी। साथ ही राहत कार्यों में प्रगति का निवेदन किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि 08 अगस्त 2025 को वह आपदा से हुए नुकसान को देखने के लिए धराली गए थे। ठीक चार महिने बाद भी स्थतियां जस की तस हैं। सेब के कास्तकारों को मुआवजा नही मिला है। स्थानीय लोगों के पास आजीविका के कोई साधन नही है। अपना और अपने परिवार का भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि धराली की आवाज़ को अनसुना न करें। माहरा ने कहा कि गायब लोगों की यदि मिलने की सम्भावना नही है, तो उन्हे मृत घोषित किया जाए। ताकि उनके परिजनों को राहत राशि मिल सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि सरकार के झूठे दावे और जमीन पर शून्य काम अब और बर्दाश्त नहीं। जिस 1200 करोड के आपदा राहत पैकेज कि घोषणा प्रधानमंत्री मोदी ने की थी, आज तक उसका एक भी पैसा केन्द्र से अवमुक्त नही हुआ है और राज्य सरकार उसके लिए कोई प्रयास तक नही कर रही है। कांग्रेस हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है। तब तक संघर्ष किया जाएगा, जब तक धराली दोबारा अपने पैरों पर खड़ा न हो जाए। प्रेसवार्ता के दौरान उत्तराखंड कांग्रेस की प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी भी मौजूद रहीं।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




