18 सूत्रीय मांगों को लेकर अपर मुख्य सचिव से मिले राज्य कर्मचारी, मिला एक सप्ताह में सकारात्मक निर्णय का आश्वासन
18 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी, शिक्षक समन्वय समिति के संयोजक मंडल ने गत शाम सचिवालय में सीएम सभागार में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन से वार्ता की। इस दौरान समिति के मांग पत्र पर विस्तार से चर्चा की गई।

उन्होंने बताया कि 21 नवंबर को सीएम के साथ हुई बैठक में मिले आश्वासनों को लेकर समन्वय समिति की ओर से शासन व सरकार को प्रस्तुत 18 सूत्री मांग पत्र पर आज विस्तार से चर्चा की गई। बैठक में अपर मुख्य सचिव को समन्वय समिति के संयोजक मंडल ने अवगत कराया गया कि प्रदेश के कार्मिकों को 10 सोलह 26 वर्ष की नियमित एवं संतोषजनक सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में एसीपी के अंतर्गत पदोन्नत वेतनमान अनुमन्य किए जाने की व्यवस्था को 1 जनवरी 2017 से समाप्त करके 10, 20, 30 के अंतर्गत अगले स्तर की ग्रेड पे की व्यवस्था अनुमन्य की गई है। इससे प्रदेश के कार्मिकों में 2 वर्ग पैदा हो गए हैं।
समन्वय समिति के संयोजक मंडल ने बताया कि वर्तमान में लगभग 80% कार्मिकों को एसीपी के अंतर्गत 10 सोलह 26 वर्ष की नियमित एवं संतोषजनक सेवा पर पदोन्नत वेतनमान अनुमन्य किया जा चुका है। शेष 20% कार्मिकों को भी एक साथ इसका लाभ नहीं मिलना है। इसलिए वित्त विभाग के द्वारा बार-बार वित्तीय भार की बात उठाकर इस बात को टालना उचित नहीं है। अपर मुख्य सचिव महोदय ने इस बात से सहमत होते हुए मुख्यमंत्री की ओर से दिए गए निर्देश अनुसार शीघ्र अति शीघ्र इस संबंध में सकारात्मक निर्णय किए जाने का आश्वासन दिया।
इसी प्रकार शिथिलीकरण की व्यवस्था पर समन्वय समिति द्वारा पूर्व की व्यवस्था बहाल किए जाने हेतु मांग की गई। इस पर अपर मुख्य सचिव महोदय ने इस मांग पर एक नोट की मांग संयोजक मंडल से की गई। अपर मुख्य सचिव महोदय ने चतुर्थ श्रेणी महासंघ एवं वाहन चालक संघ के साथ ही वैयक्तिक अधिकारी कर्मचारी सहायक संघ द्वारा की गई स्टाफिंग पैटर्न के अंतर्गत वर्तमान ग्रेड पे के उच्च करण की की गई मांग को भी बड़े ही सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए सुलझाने का आश्वासन दिया। निगम कर्मियों को भी राज्य कर्मियों की भांति समस्त सुविधाएं तत्काल उपलब्ध किए जाने एवं एसीपी में की जा रही कटौती को बंद किए जाने की मांग पर भी उन्होंने सकारात्मक कार्रवाई किए जाने का आश्वासन दिया।
अपर मुख्य सचिव महोदय ने समन्वय समिति की मांग के क्रम में संयोजक मंडल से अपेक्षा की कि जिन जिन विभागों में नियमावली, पुनर्गठन एवं पदोन्नति के प्रकरण लंबित हैं, उसकी सूची उन्हें उपलब्ध करा दी जाए। उससे तदनुसार समस्त विभागीय सचिवों के साथ समीक्षा बैठक आयोजित की जा सके। समन्वय समिती के संयोजक मंडल की ओर से इस संबंध में मांग की गई कि उनके स्तर से समस्त विभागीय सचिवों को विभागीय संगठनों के साथ वार्ता कर लंबित प्रकरणों के निपटारे की कार्रवाई किए जाने के लिए निर्देशित किया जाए। इस पर उन्होंने तत्काल एक या 2 दिन में पत्र जारी करने का आश्वासन दिया।
बैठक में अपर मुख्य सचिव ने संयोजक मंडल की ओर से प्रस्तुत किए गए तर्कों से सहमत होते हुए आश्वस्त किया गया कि मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए आश्वासन के अनुसार एक सप्ताह के भीतर वित्त विभाग, कार्मिक विभाग एवं अन्य संबंधित विभागों के सचिवों के साथ बैठक कर समस्त मांगों पर सकारात्मक निर्णय कर दिया जाएगा। आज की बैठक में समन्वय समिति की ओर से प्रताप सिंह पवार, अरुण पांडे, शक्ति प्रसाद भट्ट, हरीश चंद नौटियाल, पंचम सिंह बिष्ट, सुनील कोठारी, बीएस रावत, दिनेश पंत, नाजिम सिद्धकी, हरकेश भारती, संदीप मौर्या, निशंक सिरोही, दीपचंद बुडलाकोटी, विक्रम सिंह नेगी एंव राकेश रावत आदि कर्मचारी नेता शामिल थे।
चलाया जा रहा है आंदोलन
गौरतलब है कि 18 सूत्रीय मांगों को लेकर उत्तराखंड के कर्मचारियों, शिक्षकों और अधाकारियों ने साझा मंच का गठन किया है। उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति के बैनर तले ही सिलसिलेवार आंदोलन किए जा रहे हैं। आंदोलन के तहत अभी तक गेट मीटिंग, जिला स्तरीय धरने, जिला स्तरीय रैली का आयोजन किया गया है। आंदोलन के चौथे चरण में छह अक्टूबर को देहरादून में प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली निकाली गई।
समिति के संयोजक मंडल के प्रवक्ता अरुण पांडे ने बताया कि शासन की वेतन विसंगति समिति की बैठक समिति के साथ 29 सितंबर को हुई थी। इसमें समिति के प्रतिनिधिमंडल ने विभिन्न समस्याओं को वेतन विसंगति समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह के समक्ष बिंदुवार रखा। बैठक में अध्यक्ष की ओर से सार्थक प्रयास का आश्वासन दिया गया। इसके बाद एक अक्टूबर को समन्वय समिति के प्रतिनिधिमंडल की अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के साथ सचिवालय में मांग पत्र पर विस्तार से वार्ता हुई। इस दौरान अपर मुख्य सचिव ने बिंदुवार चर्चा के दौरान ही कार्मिक विभाग को आवश्यक निर्देश दिए। इस दौरान अपर सचिव ने आंदोलन स्थगित करने का अनुरोध किया था, लेकिन समन्वय समिति ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर समस्त प्रकरणों पर ठोस निर्णय लेने की मांग की। बैठक तय नहीं हुई और इस पर पांच अक्टूबर को हुंकार रैली निकाली गई। कर्मियों ने तय किया था कि 26 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी। तब सीएम से वार्ता के बाद हड़ताल स्थगित कर दी गई थी। अब हड़ताल 22 नवंबर से करने का निर्णय किया गया। इस निर्णय को 21 नवंबर को सीएम से मुलाकात के बाद स्थगित कर दिया गया।
मांग पत्र
1-प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों/शिक्षकों/निगम/निकाय/पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति 10, 16, व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य किया जाये।
2-राज्य कार्मिको हेतु निर्धारित गोल्डन कार्ड की विसंगतियों का निराकरण करते हुये केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति सीजीएचएस की व्यवस्था प्रदेश में लागू की जाय। प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर उच्चकोटि के समस्त अस्पतालों को अधिकृत किया जाये, तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों से निर्धारित धनराशि में 50 फीसद कटौती कम की जाये।
3-पदोन्नति हेतु पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल की जाये।
4-प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाये।
5-मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ठ सहायक के पद की शैक्षिक योग्यता इण्टरमीडिएट के स्थान पर स्नातक की जाये, तथा एक वर्षीय कम्प्यूटर ज्ञान अनिवार्य किया जाये।
6-वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुये स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किया जाये।
7-राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन रु0 2400.00 इग्नोर करते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 तक अनुमन्य किया जाये।
8-चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की भांति स्टाफिंग पैर्टन लागू करते हुए ग्रेड वेतन रु0 4200.00 तक अनुमन्य किया जाये।
9-समस्त अभियन्त्रण विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता (प्राविधिक)/संगणक के सेवा प्राविधान एक समान करते हुए इस विसंगति को दूर किया जायें।
10-विभिन्न विभागीय संवर्गो के वेतन विसंगति/स्टापिंग पैर्टड के प्रकरण जो शासन स्तर पर लम्बित हैं, उनका शीघ्र निस्तारण किया जाये।
11-जिन विभागों के ढांचे का पुर्नगठन/एकीकरण शासन स्तर पर किया जाना प्रस्तावित हैं उन विभागों के पूर्व स्वीकृत पदों में कटौती न की जाये, ताकि कार्मिको के पदोंन्नति के अवसर बाधित न हों
12-राज्य सरकार द्वारा लागू एसीपी/एमएसीपी के शासनादेश में उत्पन्न विसंगति को दूर करते हुये पदोन्नति हेतु निर्धारित मापदण्डों के अनुसार सभी लेवल के कार्मिकों के लिये 10 वर्ष के स्थान पर 05 वर्ष की चरित्र पंजिका देखने तथा अति उत्तम के स्थान पर उत्तम की प्रविष्टि को ही आधार मानकर संशोधित आदेश शीघ्र जारी किया जाये।
13-जिन विभागों का पुर्नगठन अभी तक शासन स्तर पर लम्बित है, उन विभागों का शीघ्र पुनर्गठन किया जाये।
14-31 दिसम्बर तथा 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को 06 माह की अवधि पूर्ण मानते हुये एक वेतन वृद्धि अनुमन्य कर सेवानिवृत्ति का लाभ प्रदान किया जाये।
15-स्थानान्तरण अधिनियम-2017 में उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण किया जाये।
16-राज्य कार्मिकों की भांति निगम/निकाय कार्मिकों को भी समान रूप से समस्त लाभ प्रदान किये जाये।
17-तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमितिकरण से पूर्वतदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोड़ते हुये वेतन/सैलेक्शन ग्रेड/ए0सी0पी0/पेंशन आदि समस्त लाभ प्रदान किया जाये।
18-समन्वय समिति से सम्बद्ध समस्त परिसंघों के साथ पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठकों में किये गये समझौते/निर्णयो के अनुरूप शीघ्र शासनादेश जारी कराया जाये।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।