प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष धस्माना ने पीएम मोदी के उत्तराखंड दौरे को बताया घोर निराशाजनक, प्रताप ने कहा-देने नहीं पिकनिक मनाने आए
पीएम मोदी के दौरे को लेकर प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि डबल इंजन के जुमले पर अब उत्तराखंडियों को भरोसा नहीं रहा है। वहीं, कांग्रेस के दूसरे उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि पीएम मोदी उत्तराखंड के लिए कुछ लेकर नहीं आए, बल्कि पिकनिक मनाने आए और चले गए।
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सूर्यकांत धस्माना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराखंड दौरे से जनता को बहुत उम्मीदें थीं। लोग सोच रहे थे कि साढ़े चार साल तक उत्तराखंड के लोगों को तरसाने के बाद शायद प्रधानमंत्री मोदी अपने किसी न किसी वादे को पूरा करने के लिए शायद उत्तराखंड के लिए कोई सौगात अंतिम समय में दे ही देंगे। आज प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड की जनता की उनसे आखरी उम्मीद पर भी पानी फेर दिया। जब वे बिना कोई घोषणा किये उत्तराखंड से फुर्र हो गए।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का दौरा राज्य की जनता के लिए घोर निराशाजनक रहा। राज्य के लोगों को उम्मीद थी कि ग्रीन बोनस के नाम पर या स्वास्थ्य सेवाओं, पर्यटन, तीर्थाटन जो कोरोना काल में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए, उनके लिए कोई विशेष राहत पैकेज प्रधानमंत्री घोषित करेंगे। ऐसा कुछ नहीं हुआ। धस्माना ने कहा कि 2017 के विधानसभा चुनावों में उत्तराखंड की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बातों और वादों पर भरोसा कर के 57 विधायकों का प्रचंड बहुमत बीजेपी को दिया था। प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा नामित तीनों मुख्यमंत्रियों ने पिछले साढ़े चार साल में उत्तराखंड की जनता के विश्वास को तोड़ने के अलावा कुछ नहीं किया। प्रधानमंत्री मोदी का डबल इंजन का जुमला पूरी तरह से फ्लॉप हो गया।
प्रधानमंत्री उत्तराखंड को कुछ देने नहीं, पिकनिक मनाने आए
उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष व प्रवक्ता धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ऋषिकेश में उत्तराखंड की जनता को कुछ देने नहीं आए थे, बल्कि पिकनिक मनाने आए थे। उन्होंने कहा कि आज सारे राज्य को आशा थी की वे राज्य के किसानों के हित में लखीमपुर खीरी कांड के आलोक मे किसानों के हक में कोई ना कोई बात उत्तराखंड के पित्र राज्य उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के संबंध में कहेंगे। खेद का विषय है कि प्रधानमंत्री ने ऋषिकेश की यात्रा को एक तरह की पिकनिक की तरह मनाया और चुपचाप दिल्ली लौट गए ।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को चाहिए था की उत्तराखंड की गिरती हुई आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए कोई ना कोई आर्थिक पैकेज घोषित करते। उन्होंने देश के लिए खून बहाने वाले उत्तराखंड राज्य के लोगों को दो पैसा भी देना मुनासिब नहीं समझा। धीरेंद्र प्रताप ने प्रधानमंत्री के इस उपेक्षा पूर्ण व्यवहार की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि वे कुछ नहीं दे सकते थे तो कम से कम यहां के वनों से जो राष्ट्र को ऊर्जा प्राप्त हो रही है उसकी एवज में यहां के लोगों को उनके “वनाधिकार” ही दे जाते। यह पर्वतीय उत्तराखंड राज्य के लिए एक सौगात होती।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।