राज्य आंदोलनकारियों के 10 फीसद क्षैतिज की पुनः बहाली की मांग को लेकर सीएम से मिले राज्य आंदोलनकारी

इस मुलाकात में स्वदेशी जागरण मंच के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह ने सीएम को 10 फीसद क्षैतिज आरक्षण के मसले में पूर्व में उनसे हुई वार्ताओं के संबंध में याद दिलाई। बताया कि पीड़ित आन्दोलनकारी लगातार 42 दिन अनशन करने के बाद उनके आश्वासन पर ही उठने को राजी हुए थे। अब समाचार पत्रों के माध्यम से देखने में आ रहा है कि कुछ लोग इस मसले में कहीं सरकार को अल्टीमेटम दे रहें हैं तो कहीं आश्वासन ले रहें हैं। इससे लोगों में भ्रम कि स्थिति पैदा हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस पर मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मामला केबिनेट में लाने के बाद ही कमेटी का गठन किया गया। जल्द ही इस पर बैठक करवाई जायेगी। मामले में हो रहे विलम्ब पर उन्होंने कहा कि मामला तकनीकी है। इसलिए सभी पहलुओं पर विचार जरुरी है। इस पर प्रांतीय अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि अगर संभव हो तो वह कमेटी में किसी आंदोलनकारी को भी स्थान दे दें। क्योंकि इससे मीटिंग के दौरान होने वाली चर्चा के बाद पैदा होनी वाली समस्या का निराकरण करने में भी शायद कुछ मदद मिल पाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पीड़ित मंच के संयोजक क्रांति कुकरेती ने मुख्यमंत्री को पूर्व में उनसे हुई वार्ताओं का संदर्भ देते हुए कहा कि अब सरकार को अब बेकार की बातों का में ना उलझ कर मजबूत इच्छा शक्ति दिखाते हुए तर्क-सम्मत व तकनीकी रूप से मज़बूत पहलू के साथ खड़े होने का समय है। उन्होंने मुख्यमंत्री को भरोसा दिलाया कि उनके द्वारा दिए गए सुझाव को लेकर आगे भविष्य में किसी भी तरह की कानूनी अड़चन आती है तो उसका हम स्वयं समाना करने को तैयार हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्रकार व वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी अम्बुज शर्मा ने मुख्यमंत्री से मांग की कि वह कमेटी को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कम से कम कोई एक समय सीमा सुनिश्चित करे। जिससे आंदोलनकारी साथी इस तय समय सीमा के बाद अपनी गुहार पुनः प्रस्तुत हो सकें। इस पर मुख्यमंत्री धामी ने हामी भरते हुए उनकी बातों से सहमति जताते हुए कहा कि वह शीघ्र ही इस बाबत कमेटी के अध्यक्ष कबीना मंत्री सुबोध उनियाल से बात करेंगे। प्रतिनिधिमंडल में स्वदेशी जागरण मंच के प्रान्तीय प्रदेश संघर्ष वाहिनी के प्रवीन पुरोहित, विभाग संयोजक मेहरबान सिंह, नरेंद्र सिंह, सतपाल रावत आदि शामिल थे।

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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।