उत्तराखंड में स्पेक्स संस्था ने लिए सरसों के तेल के 469 नमूने, इनमें 415 पाए गए मिलावटी, घर में ऐसे करें परीक्षण

देहरादून में उत्तरांचल प्रेस क्लब सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में संस्था के सचिव डॉ. बृज मोहन शर्मा के साथ ही नीरज उनियाल, चंद्रा आर्य ने संस्था के अभियान की जानकारी दी। बताया कि संस्था पेयजल के साथ ही खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाती रहती है। संस्था ने जून से सितंबर 2021 तक सरसों के तेल में मिलावट के परीक्षण के लिए अभियान शुरू किया। इसमें स्पेक्स से जुडे़ स्वयंसेवकों ने उत्तराखंड के 20 शहरों जैसे देहरादून, विकास नगर, डोईवाला, मसूरी, टिहरी, उत्तरकाशी, ऋषिकेश, श्रीनगर, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर, हरिद्वार, जसपुर, काशीपुर, रुद्रपुर, राम नगर, हल्द्वानी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ से 469 नमूने एकत्र किए। इनमें से 415 नमूने मिलावटी पाए गए।
ये रही स्थिति
डॉ. बृजमोहन शर्मा ने बताया कि मसूरी, रुद्रप्रयाग, जोशीमठ, गोपेश्वर और अल्मोड़ा में सरसों के तेल के नमूनों में शत-प्रतिशत मिलावट पाई गई, वहीं जसपुर में न्यूनतम मिलावट 40 फीसद , काशीपुर में 50 फीसद पाई गई।
उत्तरकाशी में 95 फीसद, देहरादून में 94 फीसद, पिथौरागढ़ में 91 फीसद, टिहरी में 90 फीसद, हल्द्वानी में 90 फीसद, विकास नगर में 80 फीसद , डोईवाला में 80 फीसद, नैनीताल में 71 फीसद, श्रीनगर में 80 फीसद, ऋषिकेश में 75 फीसद, राम नगर में 67 फीसद, हरिद्वार में 65 फीसद, रुद्रपुर में 60 प्रतिशत मिलावट पाई गई।
नमूनों में पाया गया ये पदार्थ
उपरोक्त नमूनों में पीले रंग यानी मेटानिल पीला, सफेद तेल, कैटर ऑयल, सोयाबीन और मूंगफली, जिसमें सस्ते कपास के बीज का तेल होता है। साथ ही हेक्सेन की मिलावट का अधिक प्रतिशत पाया गया।
इस तरह के हो सकते हैं विकार
उन्होंने बताया कि हमारे शरीर में बड़ी संख्या में स्वास्थ्य विकार का कारण हमारे द्वारा खाया जाने वाला भोजन ही है। यह हमेशा मांस या सब्जियों की गुणवत्ता के बारे में नहीं होता है, बल्कि भोजन के तेल की गुणवत्ता पर भी निर्भर करता है। सरसों के तेल में सस्ते आर्जीमोन तेल की मिलावट पाई जाती है। इससे जल शोथ (Ascites) रोग होते हैं। इसके लक्षणों में पूरे शरीर में सूजन, विशेष रूप से पैरों में और पाचनतंत्र संबंधी समस्याएं जैसे उल्टी, दस्त और भूख न लगना शामिल हैं। ऐसे में थोड़ी सी भी मिलावट जलन पैदा कर सकती है। जो कि उस समय तो कोई बड़ी बात नहीं लगती, परन्तु लंबे समय में इसके गंभीर प्रभाव हो सकते हैं।
क्यों है खाने में सरसो के तेल की आवश्यकता
सरसों के तेल में लगभग 60 प्रतिशत मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड (MUFA) (42 फीसद इरूसिक एसिड और 12 फीसदओलिक एसिड) होता है। इसमें लगभग 21 फीसद पॉलीअनसेचुरेटेड वसा (PUFA) (6 फीसद ओमेगा -3 अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA) और 15 फीसद ओमेगा -6 लिनोलिक एसिड (LA) होता है। इसमें लगभग 12 फीसद सैचुरेटेड फैट होता है।
ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का यह सर्वाधिक अनुपात और सैचुरेटेड फैट की कम मात्रा सरसों के तेल को अधिक फायदेमंद बनाती है। यह सैचुरेटेड फैटी एसिड (एसएफए) में कम, मुफा (MUFA) और पूफा (PUFA) में उच्च, विशेष रूप से अल्फा-लिनोलेनिक एसिड के कारण कार्डियो सुरक्षात्मक में प्रभाव डालता है और इसका एलएर: एएलए अनुपात (6:5) अच्छा होता है। मायोकार्डियल इन्फर्क्ट (MI) रोगियों के लिए सरसों तेल के उपयोग करने से, हृदय गति रुकने और एनजाइना में कमी आती है।
इस प्रकार, सरसों के तेल को हृदय संबंधी विकारों के रोगियों के लिए एक स्वस्थ विकल्प माना जाता है। N6 (लिनोलेनिक एसिड) और N3 (अल्फा-लिनोलेनिक एसिड) आवश्यक फैटी एसिड हैं जो शरीर के लिए फायदेमंद साबित हुए हैं। N6 PUFA LDL कोलेस्ट्रॉल को कम करता है। साथ ही HDL को भी कम कर सकता है, जबकि N3 PUFA ट्राइग्लिसराइड्स, रक्तचाप, सूजन, संवहनी कार्य में सुधार और अचानक मृत्यु को कम कर सकता है। यह खांसी, सर्दी, एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-फंगल और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुणों को कम करता है। लाल रक्त कोशिकाओं को मजबूत करता है, जोड़ों के दर्द और गठिया से राहत, प्रतिरक्षा बूस्टर और बालों और त्वचा के लिए प्रयोग किया जाता है।
हम अपने सरसों के तेल का परीक्षण कैसे करें
1. सरसों के तेल की कुछ मात्रा लें और 2-3 घंटे के लिए फ्रिज में रख दें। अगर आपको तेल कुछ सफेद (घी जैसा) जम जाता है, तो तेल में मिलावट है।
2. सरसों के तेल की गुणवत्ता जांचने के लिए आप रबिंग टेस्ट भी ले सकते हैं। हथेलियों में थोड़ा सा तेल डालकर मलें, यदि आपको रंग का कोई निशान और कुछ रासायनिक गंध मिलती है, तो इसका मतलब है कि तेल में कुछ नकली पदार्थ है।
3. थोड़ा सा तेल उबाल लें और अगर ऊपर की परत में झाग स्थाई रूप में रहे तो यह मिलावटी है ।
4. तेल का नमूना लेकर निम्बू के रस की कुछ बूंदे उसमे डालें यदि उनकी भौतिक अवस्था बदल जाती है तो यह मिलावटी है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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