स्पीकर का निर्णय स्वागत योग्य, लेकिन भाजपा की नीयत पर संदेह : राजीव महर्षि

उन्होंने कहा कि इस आशंका के अनेक कारण हैं। खुद पूर्व स्पीकर का भांजा उच्च पद पर लगाया गया, तत्कालीन भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के करीबी उपकृत्य हुए तो सीएम दफ्तर में कार्यरत तीन से अधिक लोग लाभान्वित हुए। राजीव महर्षि ने सरकार से सवाल किया कि भाजपा और संघ के जिन पदाधिकारियों के करीबी नौकरी पा चुके हैं, क्या उनको बाहर का रास्ता दिखाने की हिम्मत भाजपा सरकार दिखाएगी? (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महर्षि ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने अपने वक्तव्य में कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी के न खाऊंगा न खाने दूंगा के उदघोष से प्रभावित होकर राजनीति में आई हैं। यह बात कहने में अच्छी लगती है, लेकिन अभी तक भाजपा नेताओं के कृत्य को हम देख रहे हैं, उससे यही बात प्रमाणित होती है कि हाथी के दांत दिखने के अलग और खाने के अलग होते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
महर्षि ने कहा कि स्पीकर की नीयत पर उन्हें संदेह नहीं है। संदेह भाजपा के रवैए पर है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लोग इस समय हताश और निराश हैं। उन्हें सत्तारूढ़ दल के नेताओं के कथन पर जरा भी भरोसा नहीं है। कारण यह है कि उनकी कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क है। लिहाजा स्पीकर को अपनी घोषणा के क्रियान्वयन में दिक्कत हो सकती है। राजीव महर्षि ने यह भी कहा की सवाल बहुत हैं। भाजपा के राज में एक भी भर्ती पारदर्शी तरीके से न हो पाना उसकी नीयत पर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल की ओर से सीएम को शिकायत की गई थी। उन्होंने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से चार और पांच दिसंबर 2021 को आयोजित स्नातक स्तर की परीक्षा में अनियमितता के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच एसटीएफ को सौंपी थी। परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने छह युवकों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में एक आरोपी से 37.10 लाख रूपये कैश बरामद हुआ। जो उसके द्वारा विभिन्न छात्रों से लिया गया था। इस मामले में अब तक कुल 33 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें बीजेपी नेता भी शामिल है, जिसे पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इसके बाद अब हर दिन किसी ना किसी विभाग में भर्ती घोटाला उजागर हो रहा है। साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्षों पर भी बैकडोर से नियुक्ति करने के आरोप लगे। वहीं, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री पर भी ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। ऐसे में अब मांग उठ रही है कि पूरे प्रकरणों की सीबीआइ से जांच कराई जाए, या फिर उच्च न्यायालय के सीटिंग जज की अध्यक्षता में गठित समिति से जांच हो। उधर, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभाओं में हुई भर्तियों की जांच को कमेटी गठित कर दी है। ये कमेटी एक माह में रिपोर्ट देगी।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।