विधानसभा अध्यक्ष ने अवैध नियुक्तियो का मामला ठंडे बस्ते में डालाः यूकेडी
बौड़ाई ने कहा कि निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष के काले कारनामो को छिपाने के लिए वर्तमान भाजपा की विधानसभा अध्यक्ष ने 2000 से चली आ रही भर्तियों पर जांच के लिए एक कमेटी बना दी है। जो कमेटी बनाई है, उसमें सभी राज्य में नौकरशाह हैं तो समझा जा सकता है किस प्रकार की जांच होगी। बौड़ाई ने कहा जब पूर्व विधानसभा अध्यक्ष की गम्भीर अनियमितताओं के साथ विधानसभा में नियुमतियां की गई और भारी जन आक्रोश फैला, तब ही विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूड़ी और मुख्यमंत्री धामी को पूर्व की नियुमतियों की जांच की याद आयी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जब हल्ला मचा तो ऐंसे जांच कमेटी युवाओं को गुमराह करने के लिए बनाई गई है। बौड़ाई ने कहा कि अवैध नियुक्तयाँ सर्वविदित हैं। कोई चयन प्रक्रिया नही अपनायी गयी। कोई विज्ञप्ति जारी नही हुई तो किस बात की जाँच की जानी है। यदि जांच की आवश्यकता है, तो भी 72 लोगो की जांच के लिये अधिकतम एक सप्ताह से ज्यादा समय होना चाहिए था। इसके साथ ही तत्काल 72 अवैध नियुक्तयाँ रद्द कर देनी थी। इसके बावजूद एक महीने का समय देना पूर्णतया गलत है। उन्होंने कहा कि साफ है कि जनता के आक्रोश को कम करने के लम्बा समय दिया गया है, जो कि सन्देहास्पद है। इससे नियुक्तयाँ रद्द न करने के विकल्प तलाशने की भी कोशिश जारी रहेगी। इसलिए विधानसभा अध्यक्ष को दो दिन में जांच कर नियुक्तयाँ रद्द कर देनी चाहिए। ताकि जनता को न्याय मिल सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि बेरोजगार संघ के प्रतिनिधिमंडल की ओर से सीएम को शिकायत की गई थी। उन्होंने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की ओर से चार और पांच दिसंबर 2021 को आयोजित स्नातक स्तर की परीक्षा में अनियमितता के संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को ज्ञापन सौंप कर कार्रवाई की मांग की थी। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश के बाद डीजीपी अशोक कुमार ने भर्ती परीक्षा में हुई गड़बड़ी को लेकर जांच एसटीएफ को सौंपी थी। परीक्षा में गड़बड़ी के मामले में सबसे पहले उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने छह युवकों को गिरफ्तार किया था। इस मामले में एक आरोपी से 37.10 लाख रूपये कैश बरामद हुआ। जो उसके द्वारा विभिन्न छात्रों से लिया गया था। इस मामले में अब तक कुल 33 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। इसमें बीजेपी नेता भी शामिल है, जिसे पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। इसके बाद अब हर दिन किसी ना किसी विभाग में भर्ती घोटाला उजागर हो रहा है। साथ ही पूर्व विधानसभा अध्यक्षों पर भी बैकडोर से नियुक्ति करने के आरोप लगे। वहीं, पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री पर भी ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। ऐसे में अब मांग उठ रही है कि पूरे प्रकरणों की सीबीआइ से जांच कराई जाए, या फिर उच्च न्यायालय के सीटिंग जज की अध्यक्षता में गठित समिति से जांच हो। उधर, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी ने विधानसभाओं में हुई भर्तियों की जांच को कमेटी गठित कर दी है। ये कमेटी एक माह में रिपोर्ट देगी।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।