Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

June 26, 2025

गौरेया के बच्चों के पंख ने दिया धोखा, एक को किया मुक्त, दूसरे की फिटनेस का इंतजार

चिड़ियों की चहचहाट से यदि सुबह की नींद खुले तो इससे शानदार आपके जीवन में कुछ नहीं हो सकता है। वैसे तो घरों में गौरेया नजर आनी बंद हो गई है। क्योंकि मकान आधुनिक शैली के बन रहे हैं।

चिड़ियों की चहचहाट से यदि सुबह की नींद खुले तो इससे शानदार आपके जीवन में कुछ नहीं हो सकता है। वैसे तो घरों में गौरेया नजर आनी बंद हो गई है। क्योंकि मकान आधुनिक शैली के बन रहे हैं। इसमें टीन और बल्लियों की जगह अब कंक्रीट का काम होने लगा है। गौरेया के आसरे के लिए कहीं कोई स्थान बचा ही नहीं है। वहीं, घरों में पड़ा बेकार भोजन पहले डस्टबीन में फिर ट्रेचिंग मैदान तक पहुंच रहा है। किसे फुर्सत है कि गौरेया के भोजन का ख्याल रखा जाए। आदमी इस पक्षी से विमुख हुआ और इसकी संख्या भी घटने लगी। फिर भी मेरे घर में हर सुबह से गौरेया की चहचहाट शुरू हो जाती है। साथ ही इस पक्षी को लेकर मेरा ज्ञान भी धीरे धीरे बढ़ रहा है।
कुछ साल पहले तक मेरे घर में पंखों में उस जगह चिड़िया घोसला बनाने का प्रयास करती थी, जहां से पंखा हुक पर टंगा होता है। घोसला तो ठीक था, लेकिन उसमें अंडे देने के बाद जब अंडे फूटकर बच्चे निकलते थे, तो अक्सर वे नीचे गिरकर घायल हो जाते, या फिर मर जाते। इसके साथ ही गरमियों में पंखा चलने के दौरान चिड़िया के साथ दुर्घटना का भी भय रहता था। पंखे से ऐसे में मैने ऐसा इंतजाम किया कि चिड़िया को यहां घोसला बनाने का जगह न मिले।
करीब चार साल पहले एक कारपेंटर की दुकान में मुझे चिड़िया का घोसला दिखा तो उसे घर लाया और छत के नीचे एक शेड पर इसे लटका दिया। फिर उसमें एक काले रंग की छोटी चिड़िया ने आसरा बनाया, लेकिन वह ज्यादा दिन नहीं रही। इसके बाद से ये लकड़ी का घोसला गौरेया का ठिकाना बन गया। एक एक तिनका लेकर चिड़ी और चिड़ा लाते और अपने बैठने लायक भीतर जगह बनाने लगे। धीरे धीरे इसे उन्होंने स्थायी ठिकाना बना लिया। हां इतना जरूर है कि कई बार अंडे देने और उससे बच्चे निकलने के बाद वे इस घोसले को छोड़ देते हैं। कुछ दिनों बाद इसमें फिर से चिड़ियों को जोड़ा नजर आने लगता है। हो सकता है कि ये नया जोड़ा हो।

इस बार भी चिड़यों के जोड़ों ने इस ठिकाने में अंडे दिए, जिसका हमें पता नहीं चला। पर जब छोटे छोटे बच्चे घोसले से अपनी नन्हीं चोंच से बाहर झांकने लगे तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। चिड़ा घोसले से कुछ दूर बैठकर रखवाली करता और चिड़िया चोंच में दाने लेकर आती और एक एक कर दोनों बच्चों को खिलाती रहती। ऐसा क्रम सुबह होने से लेकर देर शाम तक चल रहा था। मैं पनसारी की दुकान से बाजरा लेकर आया और उसे घर में कुछ फूलों के गमलों पर डाल दिया। ताकि चिड़िया को भोजन की तलाश में दूर नहीं जाना पड़े। दिन के समय जब दाल चावल घर में बनते तो मैं थोड़े के पके चावल भी एक गमले में डाल देता।
करीब एक सप्ताह पहले की बात है। सुबह मेरी नींद चिड़ियों की जोर जोर की चहचहाट से खुली। मैने देखा कि चिड़िया का एक बच्चा जमीन पर गिरा है। वह पैरों के बल पर खड़ा होने की बजाय पेट के बल जमीन पर है। वह उड़ने की कोशिश करता और कुछ फीट की दूरी पर जाकर गिर जाता। मैने सोचा कि चिड़िया ने इनके उड़ने की ट्रेनिंग कुछ जल्दी ही शुरू कर दी है। ऐसे में मैने बच्चों की सहायता से बच्चे को पकड़ा और घोसले में डाल दिया।
घर में कुत्ता भी है, जो हर व्यक्ति या दूसरे कुत्तों के साथ खेलने में ही दिलचस्पी रखता है। वह सिर्फ बिल्ली पर ही भौंकता है। या कहें कि कभी कभार ही भौंकता है। कोई घर में आए तो वह फुटबॉल को लेकर उसके पास खड़ा हो जाता है कि उसके साथ खेला जाए। फुटबाल काफी पुरानी हो गई। इसकी कुछ हवा निकल चुकी है, जिसे भरा नहीं गया है। ऐसे में कुत्ता आसानी से इसे जबड़े में पकड़ लेता है। इस कुत्ते का चिड़िया के बच्चों से सामना नहीं हुआ। मुझे यही डर था कि कहीं बच्चा गिरेगा तो कुत्ता उसका काम तमाम न कर दे।
कुछ घंटे तक ही घोसले में रहने के बाद बच्चा फिर नीचे कूद गया, लेकिन उड़ान नहीं भर पाया। उसके पास तक कुत्ता पहुंच गया, लेकिन वह उसे सिर्फ सूंघता रहा। हमला नहीं किया। फिर बच्चे को उठाकर घोसले में डाल दिया गया। किसी तरह ये रात कटी, लेकिन दूसरी सुबह बेटा कुत्ते को घुमाने ले जाने को तैयार हुआ तो देखा कि कुत्ता जमीन पर रखे एक गमले के पास कुछ सूंघ रहा था। तभी चिड़िया का बच्चा हल्की उड़ान भरकर घर के आंगने के दूसरे छोर पर पहुंच गया। अब मेरा माथा ठनका कि इसकी जान शायद ही ज्यादा देर तक बच पाए। क्योंकि हमारे यहां कभी कभार बिल्ली भी पहुंच जाती है। जो कुत्ते के बर्तन में रखा बचे खुचे खाने पर हाथ साफ कर देती है। बिल्ली तो एक झटके में इस बच्चे को पकड़ लेगी।
मैने चिड़िया का बच्चा पकड़ा और उसे एक कमरे की मेज में रख दिया। ऊपर से जालीदार प्लास्टिक के बर्तन से ढक दिया। इसके बाद बाजार से एक पिंजरा लेकर आया और उसमें बच्चे को डाल दिया। साथ ही खाने के लिए बाजरा डाल दिया और पीने के लिए एक छोटे से बर्तन में पानी। इस पिंजरे को मैने अभी कहीं लटकाया नहीं। वहीं, कुत्ते से बचने के लिए उस कमरे का दरवाजा बंद कर दिया। थोड़ी ही देर बाद देखा कि घर के आंगन में चिड़ियों की चहचहाट तेज हो गई। पास जाकर देखा तो एक चिड़िया का बच्चा इधर उधर उड़ रहा है और कुत्ता उसे हल्के हल्के से मुंह से छू कर खेल रहा है। किसी तरह बेटे की मदद से मैने कुत्ते को अलग किया। चिड़िया के बच्चे को पकड़ा और पिंजरे की तरफ गया। मैने सोचा कि शायद पिंजरे का ढक्कन सही नहीं लगा होगा। पिंजरे में देखा कि वहां तो पहले से ही बच्चा है। ये दूसरा बच्चा था। जो अब डर से हिलडुल तक नहीं रहा था।

दोनों बच्चों को पिंजरे में मैने तक तक रखने का प्रयास किया, जब तक और अधिक विकसित नहीं हो जाते। मैने पिंजरा बरामदे में लगे गमला टांगने वाले हुक में लटका दिया। अब इसके बाद का नजारा देखने लायक था। चिड़िया बार बार चोंच में दाना लाती और पिंजरे के बाहर से ही चोंच भीतर डालकर एक एक करके बच्चों को खाना खिलाती। रात हुई तो मैने पिंजरा बाहर ही रखा। इन बच्चों की मां रात को भी पिंजरे के बगल में दूसरे गमले में ही बैठी रही, जबकि चिड़ा अपने घोसले में रात बिताने चला गया। शुरू में जेंगो नामक मेरे कुत्ते ने पिंजरे में रखे बच्चों तक पहुंचने का प्रयास किया। वह पिछले पैरों पर खड़ा होता। फिर उन तक मुंह ले जाने का प्रयास करता, लेकिन फिर उसने भी ये आदत छोड़ दी।

अगली सुबह करीब पांच बजे चिड़ियों के शोर से मेरी नींद खुली। बाहर देखा कि पिंजरा जमीन में गिरकर उल्टा हो रखा है। बाहर से कुत्ता बच्चों को सूंघ रहा है। बच्चों की मां जोर जोर से चिल्ला रही है। नाजारा समझ आ गया कि बिल्ली से पिंजरा तोड़ने का प्रयास किया। हालांकि इस प्रयास में वह सफल नहीं हुई, लेकिन उसने लटके हुए पिंजरे को जमीन में गिरा दिया। कुत्ता रात को अक्सर छत पर ही रहता है। उसे जैसे ही इसका पता चला, तो वह नीचे आ गया। इस पर बिल्ली भाग गई और कुत्ता पिंजरे की रखवाली के लिए उसके पास ही जमा रहा।
मैने पिंजरे को दोबारा उसी स्थान पर टांग दिया। दिन में धूप होने पर उस दिशा में कपड़ा लगा देता, जहां से धूप आती। ताकि चिड़िया के बच्चों को धूप न लगे। रात को पिंजरे को मैने कमरे में रखना ही सुरक्षित समझा। बड़ी चिड़ियों ने भी मुझसे डरना बंद कर दिया था। वे मुझे दाना पानी देते हुए देख रही थी। ऐसे में मैं उन्हें दुश्मन नहीं लग रहा था। करीब में बच्चे पिंजरे में खूब उछलकूद करने लायक बन गए। हालांकि एक बच्चा पिंजरे के बीच रखी बांस की खपच्ची में कम ही बैठता था। शायद उसके पैर में कोई नुक्स आ गया, जिससे वह ज्यादा बैलेंस नहीं बना पा रहा था।

आज मंगलवार यानी कि 12 अप्रैल 2022 की सुबह मैने इन बच्चों को मुक्त करने की ठानी। पिंजरे को घर के आंगन में रखा। उसका दरवाजेनुमा ढक्कन खोल दिया। कुछ देर में दोनों बच्चे बाहर निकले। कुछ फुदके और फिर फुर्र हो गए। एक बच्चा तो आंखों से ओझल हो गया, वहीं दूसरा कुछ दूर उड़ान भरने के बाद वापस घर की तरफ आ गया और गेट के पास नीचे गिर गया। वह कोशिश करता रहा, लेकिन ज्यादा ऊंची उड़ान नहीं भर पाया। हालांकि जब पहली बार मैने उसे देखा था, इस बार उसकी उड़ान कुछ ज्यादा ऊंची थी। उसकी जान को खतरा था। क्योंकि वह किसी भी बड़े पक्षी या नीचे गिरने की स्थिति में बिल्ली का शिकार हो सकता था। ऐसे में मैने उसे दोबारा पिंजरे में तब तक के लिए रख दिया, जब तक वह पूरी तरह से फिट नहीं हो जाता। फिर वही सिलसिला शुरू हो गया। चिड़िया अब इस बच्चे के लिए आसपास के गमलों में डाले गए दाने को चुग कर लाने लगी।
भानु बंगवाल

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page

Objevte podivnou kočku, Hádanka: Musíte najít číslo mezi Hledání slova "berry" Jen Hrstka: Lidi dokáže Velmi obtížná Ilon Musk překupuje pouze 1 dodávku ve hře Hadanka pro Báječný IQ test: