केदारनाथ और बदरीनाथ की ऊंची चोटियों में बर्फबारी से हल्की ठंड, पांच सितंबर तक इन जिलों में जारी रहेगी बारिश
उत्तराखंड में सितंबर माह में भी बारिश का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब मौसम भी धीरे धीरे ठंडक की ओर बढ़ रहा है। बदरीनाथ और केदारनाथ धाम की ऊंची चोटियों में भी अब बर्फबारी का दौर शुरू हो चुका है।

बदरीनाथ और केदारनाथ धाम की ऊंची चोटियों में बर्फबारी से पर्वतीय क्षेत्रों में मौसम में हल्की ठंडक बढ़ गई है। इसके साथ ही औली और जोशीमठ के पास चोटियों पर भी हल्की बर्फबारी हुई। इसके अलावा दून समेत आसपास के इलाकों में बारिश का दौर जारी है। हालांकि अब लगातार बारिश नहीं हो रही है। हर दिन कुछ देर के लिए बारिश हो रही है और फिर धूप निकल रही है। ऐसा अमूमन अगस्त माह में मानसून के समाप्ति की ओर जाने के दौरान होता था। अबकी बार अगस्त माह में भारी बारिश हुई। अब सितंबर माह में अलग-अलग हिस्सों में बारिश हो रही है।
इसके अलावा पहाड़ों में बारिश के कारण भूस्खलन से करीब सौ से ज्यादा मार्ग अब भी बंद हैं। दिल्ली-यमुनोत्री, कालसी-जुडो राष्ट्रीय राजमार्ग पिछले छह दिन से बंद पड़ा है। चमोली जिले में बारिश से 30 से अधिक सड़कें अभी बंद पड़ी हैं। उधर, कुमाऊं के बागेश्वर जिले के कपकोट में बारिश के चलते तीन मकान व एक गोशाला क्षतिग्रस्त हो गई। हालांकि, इसमें पशु और जनहानि नहीं हुई है। लेकिन, तीन परिवारों के 15 लोग बेघर हो गए हैं। चंपावत जिले में टनकपुर-चंपावत हाईवे 10वें दिन भी बंद रहा। मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक देहरादून, नैनीताल, टिहरी, पौड़ी, चंपावत पिथौरागढ़ व बागेश्वर में आगामी पांच सितंबर तक कहीं कहीं हल्की तो कहीं तेज बारिश हो सकती है।
आगामी मौसम का हाल
राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक अभी भी प्रदेश में बारिश का दौर जारी रहेगा। पांच तक के लिए बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि कल पांच सितंबर तक देहरादून, नैनीताल, टिहरी, पौड़ी, चंपावत, पिथौरागढ़ व बागेश्वर जिले में कुछ स्थानों पर और शेष जिलों में कहीं कहीं हल्की से मध्यम बारिश गर्जन के साथ होगी। साथ ही बिजली चमकने की भी संभावना है। साथ ही इन दिनों पर्वतीय जिलों में कहीं कहीं गर्जन के साथ आकाशीय बिजली चमकने और तेज बौछारें पड़ने की भी संभावना है। संवेदनशील इलाकों में हल्का भूस्खलन हो सकता है। पर्वतीय क्षेत्र में भूस्खलन से सड़कें बाधित हो सकती हैं। कहीं कहीं नदियों और नालों में पानी का प्रवाह बढ़ेगा। मैदानी और निचले इलाकों में जलभराव की समस्या पैदा हो सकती है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।