जब से टमाटर हुआ महंगा, लोगों को फ्री बांट रहे हैं विपिन पाण्डेय, साधारण परिवार के पांडेय का लक्ष्य है एक कुंतल
टमाटर जब से महंगे हुए तो कई लोगों ने तो सब्जी में टमाटर की मात्रा प्रतीकात्मक तौर पर ही इस्तेमाल करनी शुरू कर दी। एक बार तो ऐसा मौका भी आया, जब तीन सौ रुपये किलो तक टमाटर पहुंच गया था। कई लोगों ने तो इसे सब्जी में डालना ही छोड़ दिया। वहीं, अन्य सब्जी के दाम भी इस बार मानसून में आसमान छूते नजर आए। ऐसे में साधारण परिवार के एक व्यक्ति ने अपने आसपास के लोगों को फ्री में टमाटर और अन्य सब्जियों का बांटना शुरू कर दिया। अब तब वह आधा कुंतल टमाटर बांट चुके हैं। उनका लक्ष्य है, एक कुंतल टमाटर और सब्जी बांटना। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में चंपावत जिले में लोहाघाट विकासखंड के लगभग 14 किलोमीटर दूर मंगोली कोटला गांव निवासी 45 वर्षीय विपिन पाण्डेय की बगिया में टमाटर के साथ ही अन्य कई सब्जियां उगी हुई हैं। विपिन का कहना है कि बाजार में टमाटर का बढ़ता मूल्य देखकर उनके मन में लोगों को फ्री टमाटर खिलाने का विचार आया। इसके लिए उसने इस वर्ष की टमाटर की खेती फ्री बांटने का निश्चय किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
विपिन के इस कार्य की क्षेत्र में लगातार सराहना की जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने इस बार विपिन की बगिया के लाल लाल टमाटर का जमकर स्वाद लिया। वह भी ऐसे समय में, जब टमाटर का एक एक दाना टमाटर का कीमती हो चला हो। स्थानीय लोगों का कहना है कि 100-120 रुपये प्रति किलो टमाटर खरीदना एक गरीब और साधारण परिवार के बजट से बाहर है। विपिन की उगाई टमाटर की खेती के चलते वह भी लगभग रोजाना टमाटर का स्वाद ले रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
माली हालात साधारण फिर भी पीछे नहीं हटे कदम
विपिन के पिता शादी बारात नामकरण आदि में पूजा पाठ का कार्य किया करते थे। पिता के गुजरने के बाद विपिन ने अपना पुश्तैनी कार्य को जारी रखा है। विपिन के घर में बूढ़ी मां और उसकी पत्नी के आलावा 3 बच्चे हैं। इसमें दो बेटी और एक सबसे छोटा बेटा है। कुल 6 लोगों का परिवार है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नौकरी नहीं मिली तो अपनाया पुश्तैनी कार्य
विपिन ने बताया कि उसने वर्ष 1996 में ग्वालदम में एसएसबी की गुरिल्ला ट्रेनिंग ली हुई है। तब से नौकरी की मांग को लेकर गुरिल्ला साथियों के साथ लगातार संघर्षरत हैं। नौकरी नहीं मिली तो उन्होंने पूजा पाठ का पुश्तैनी कार्य को अपनाया। विपिन ने बताया कि पूजा पाठ के पुश्तैनी कार्य से परिवार का गुजर बसर करना ही बहुत मुश्किल हो रहा है। इसके चलते वह पत्नी के साथ खेती में भी सहयोग कर रहे हैं। बावजूद इसके जब टमाटर को वह 70-80 रुपये किलो तक थोक रेट में बाजार में बेच सकते थे, उसे उन्होंने आसपास के लोगों को यूं ही फ्री बांट दिया। इस बारे में पूछे जाने पर विपिन का कहना है कि उसकी अन्तर्आत्मा की आवाज ने उसे अपने आसपास के लोगों को टमाटर फ्री बांटने के लिए प्रेरित किया है।
प्रस्तुतकर्ता
ललित मोहन गहतोड़ी, लोहाघाट चंपावत, उत्तराखंड।
ललित मोहन काली कुमाऊं चंपावत से प्रकाशित होने वाली वार्षिक सांस्कृतिक पुस्तक फुहारें के संपादक हैं। वह जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट जिला चंपावत, उत्तराखंड निवासी हैं।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।