उत्तराखंड में 39 शिक्षकों को दिया गया शैलेश मटियानी राज्य शिक्षक पुरस्कार, स्कूलों में भी आयोजित किए गए कार्यक्रम
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाओं को बधाइयां दी। उन्होंने कहा कि पुरस्कार प्राप्त करने के बाद शिक्षकों का दायित्व और भूमिका और भी बढ़ गई है। राज्य शैक्षिक पुरस्कार से चयनित उत्कृष्ट शिक्षक अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणास्रोत हैं। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। पूरे समाज की सोच, विचार और धारणा को शिक्षक ही बदल सकते हैं। शिक्षकों के बल पर ही हम विश्वगुरु बन सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि हमारे प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, इतिहास को तकनीक रिसर्च और अनुसंधान के साथ जोड़ते हुए इस पर आगे बढ़ना होगा। राज्यपाल ने कहा कि सभी शिक्षकों से यह अपेक्षा रहेगी कि अपनी साहित्य साधना को निरंतर जारी रखें ताकि आने वाली पीढ़ियां आपके साहित्य और आपकी प्रतिभा को याद करें और उनके लिए उपयोगी हो सके। शिक्षक का दर्पण उसके पढ़ाये हुए छात्र होते हैं। आपके छात्रों की उपलब्धियां आपकी उपलब्धियों की ओर इशारा करती हैं। उन्होंने कहा कि छात्र-छात्राएं हमारे प्रदेश का भविष्य हैं। उनकी प्रतिभाएं हमारी अमूल्य धरोहर होंगी। बच्चों को अच्छी शिक्षा एवं अच्छे संस्कार देना शिक्षकों का ही दायित्व है। उन्होंने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए शिक्षकों को अपना उत्कृष्ट योगदान देने की अपील की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने उपस्थित सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हमारे प्रदेश के सभी शिक्षक बेहतर कार्य कर रहे हैं। सभी के अथक प्रयासों से राज्य में शिक्षा के स्तर में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि अध्यापक ही एक अच्छा नागरिक और राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड पहला राज्य है जिसने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू कर लिया है। उन्होंने कहा कि 4,447 आंगनबाडियों के माध्यम से बाल वाटिकाएं शुरू की गई हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम में सचिव विद्यालयी शिक्षा रवि नाथ रामन, सचिव राज्यपाल डा. रंजीत कुमार सिन्हा, अपर सचिव राज्यपाल स्वाति एस भदौरिया, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा/सूचना बंशीधर तिवारी सहित शिक्षा विभाग के अन्य उच्चाधिकारीगण और पुरस्कार प्राप्त करने वाले शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रही। इस दौरान विभिन्न स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वर्ष 2021 के सम्मानित होने वाले शिक्षकों की सूची
प्रारंभिक शिक्षा
जनपद—–अध्यापक का नाम व पद——विद्यालय का नाम
पौड़ी———गबर सिंह बिष्ट, सअ——–राउप्रावि मुस्याखांद
चमोली———अंजना खत्री, प्रअ——— राप्रावि ग्वाड़ कपीरी
उत्तरकाशी———सरिता प्रअ————राप्रावि बड़कोट
देहरादून———–राजीव कुमार पांथरी प्रअ— रापूमावि गलज्वाड़ी
हरिद्वार———-बीना कौशल प्रअ——-राप्रावि भंगेड़ी—2 हरिद्वार
टिहरी गढ़वाल——हृदय राम अंथवाल, सअ—–राप्रावि लैणी हिन्दाव
रुद्रप्रयाग———–हेमंत कुमार चौकियाल, सअ —–राउप्रावि डांगी गुनाऊं
चंपावत———-मंजू बाला, प्रअ————– राप्रावि च्यूरानी
बागेश्वर————-ललित मोहन जोशी, सअ—-राइका रातिरकेटी (उच्चीकृत)
ऊधम सिंह नगर— मोहन सिंह, सअ—— राप्रावि बड़ी, बगुलिया
नैनीताल———–नंद लाल आर्य, प्रअ——- राप्रावि, पंगराड़ी
पिथौरागढ़———हरीश चंद्र पांडेय, प्रअ— – – राकउप्रावि मंडप
अल्मोड़ा——- मनोज कुमार पंत, प्रअ—— – – राप्रावि नौलाकोट, अल्मोड़ा
माध्यमिक शिक्षा
जनपद——–अध्यापक का नाम व पद——————-विद्यालय
उत्तरकाशी——-दिवाकर प्रसाद पैन्यूली, प्रवक्ता——राइका, पंजियाला
हरिद्वार———–पूनम राणा, प्रधानाचार्य ————-राइका, ज्वालापुर
पिथौरागढ़———–दीपा खात, सअ———————-राबाइका, ऐंचोली
अल्मोड़ा————-तनुजा जोशी, प्रधानाचार्य———–राबाइका, द्वाराहाट
प्रशिक्षण संस्थान
जनपद———अध्यापक का नाम व पद———– डायट का नाम
चंपावत——-डा अविनाश कुमार शर्मा, प्रवक्ता— जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, लोहाघाट चंपावत (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नवचेतना एकेडमी नीम करौली में शिक्षकों को किया सम्मानित
शिक्षक दिवस के मौके पर ऋषिकेश में नवचेतना एकेडमी नीम करौली नगर में विद्यालय के शिक्षक और शिक्षिकाओं को मुख्य अतिथि एवं ब्लाक प्रमुख भगवान सिंह पोखरियाल व मंडी समिति के पूर्व सभापति देवेंद्र सिंह नेगी ने सम्मानित किया। इस अवसर पर बच्चों ने कई सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इस अवसर पर बच्चों द्वारा तैयार की गई हास्य लघु नाटिका ने सभी को खूब गुदगुदाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मुख्य अतिथि भगवान सिंह पोखरियाल ने बच्चों से आह्वान किया कि अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित करें। उन्होंने कहा शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इस अवसर पर उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन पर प्रकाश डालते हुए सभी शिक्षक शिक्षिकाओं को शिक्षक दिवस की बधाई दी। इस अवसर पर मंडी समिति के पूर्व सभापति व पूर्व जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र सिंह नेगी ने कहा कि बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं होती है आवश्यकता उसे निखारने की है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा रचनात्मक क्रियाकलापों से बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। इस अवसर पर दोनों अतिथियों ने सभी शिक्षकों को सम्मानित किया। इससे पहले मुख्य अतिथियों ने पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। इस अवसर पर कई सांस्कृतिक कार्यक्रम बच्चों द्वारा किए गए। मुख्य अतिथियों ने विद्यालय की प्रधानाचार्य नीलम नवानी, नरेश अमोला, दीना नौटियाल, अनूप रावत, रुचि डिमरी, सोनम ,निशा, रुचि वशिष्ठ, आरती कलूड़ा, लक्ष्मी उनियाल, अर्चना पांडे, शीतल, शिखा वशिष्ठ ,सिमरन, मेघा भट्ट, रचना, मीनू, काव्य, कुलदीप चौहान, उषा जोशी आदि को सम्मानित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पेन इंडिया स्कूल में शिक्षिक बच्चों ने शिक्षकों को दिए तोहफे
देहरादून के डोईवाला में पेन-इंडिया स्कूल, भानियवाला में संचालित सीएससी बाल विद्यालय में शिक्षक दिवस मनाया गया। स्कूल में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस अवसर पर स्कूल के नन्हे बच्चों ने शिक्षिकाओं को उपहार भेंट किए। भानियावाला में पेन-इंडिया स्कूल में शिक्षिक दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बच्चों ने शिक्षकों का अभिनंदन किया। इस अवसर पर गुरु वंदना के साथ विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई। स्कूली बच्चों ने शिक्षकाओं ऋतु शर्मा, दीपाली तोपवाल, निर्मला गुसाईं को उपहार भेंट किए। शिक्षिकाओं ने भी बच्चों के उज्जवल भविष्य की कामना की। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ पूर्व राष्ट्रपति व गुरु डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन व गुरुदेव डॉ.स्वामी राम के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित किया। इसके केक कटिंग सेरेमनी का भी आयोजन किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शैलेश मटियानी जी के बारे में
यहां इतिहासकार एवं देहरादून निवासी देवकी नंदन पांडे शैलेश मटियानी के जीवन यात्रा पर प्रकाश डाल रहे हैं जो इस प्रकार है। अल्मोड़ा जनपद के बाड़ेछिना में 14 अक्टूबर 1931 को शैलेश मटियानी का जन्म हुआ था। इस महान साहित्यकार ने पचास वर्षो तक साहित्य साधना की। आंचलिक साहित्य का जन्म व विकास इनके साहित्य से हुआ। आंचलिकता में जिस संकुचित वातावरण का बोध होता है, वह मटियानी जी के साहित्य में देखने को नहीं मिलता। इनकी आंचलिकता में विविधता है। अपने जीवन की तरुण अवस्था में इतने सफल उपन्यासकार के रूप में प्रतिष्ठित हो जाने का कारण उपन्यासों के कथा शिल्प के साथ इनका गरिमामय व्यक्तित्व भी था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मटियानी, भाषा के कुशल जुलाहे थे। शब्दों का ताना-बाना इतनी बारीकी से बुनते थे कि पाठक को उसकी गूढ़ता में कोई अदृश्यभाव दृष्टिगोचर नहीं होता। उनके आंचलिकता एवं वातावरण का चित्रण करने की कला इन्हें गोर्की के समकक्ष ला देती है। गोर्की जैसी भाषा की जादूगरी, भाषा के भंवर मटियानी की साहित्य कला की विशेषता है। कुमाऊँनी परिवेश को समझने और जानने के लिए इनकी कहानियाँ श्रेष्ठ माध्यम हैं। समाचार पत्रों में समय-समय पर प्रकाशित हुए उनके लेख उत्तराखण्ड के विकास स्वप्न को दर्शाते हैं। सन् 1994 में कुमाऊँ विश्वविद्यालय ने मटियानी जी को डी.लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश का संस्थागत सम्मान, शारदा सम्मान, लोहिया सम्मान तथा साधना सम्मान आदि ने भी समय-समय पर इनकी साहित्य साधना को प्रोत्साहित किया है। हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित कराने हेतु मटियानी जी ने सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रख्यात साहित्यकार व लेखक शैलेश मटियानी जीवन के अन्तिम वर्षों में मानसिक यंत्रणा, आर्थिक विपन्नता, अकेलेपन की पीड़ा व पुत्र की मृत्यु से टूट चुके थे। इन्हीं निराशाओं के कंटकों ने उन्हें उत्तरांचलवासियों से सदैव के लिए 24 अप्रैल 2001 को छीन लिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शैलेश मटियानी जी का पहला उपन्यास ‘बोरीबली से बोरीबंदर’ है। इसमें उन्होंने बम्बई प्रवास में जिस जीवन संघर्ष को अनुभव किया, उसी का चित्रण किया है। ‘कबूतरखाना’ बम्बई जैसी महानगरी में पलने वाले साधनविहीन समाज का सजीव चित्रण है। बम्बई की ही पृष्ठभूमि में लिखा उनका ‘किस्सा नर्मदाबेन गंगूबाई’ उपन्यास अत्याधिक लोकप्रिय है। मटियानी जी को सबसे अधिक प्रसिद्धि होलदार’ उपन्यास से मिली। यह उपन्यास कुमाऊँ के कौटुम्बिक जीवन का यर्थात चित्रण है। उनके लगभग 24 उपन्यास तथा 15 कथा संग्रह हिन्दी साहित्य की अनुपम धरोहर हैं।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।