अडाणी ग्रुप के हाथ में एनडीटीवी आने से पहले वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार का इस्तीफा, पत्रकार बोले-चैनल खरीदा जा सकता है- लेकिन ईमान नहीं
रवीश कुमार एनडीटीपी (हिंदी) का जाना माना चेहरा रहे हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों की मेजबानी की। इनमें हम लोग, रवीश की रिपोर्ट, देश की बात और प्राइम टाइम शामिल हैं। रवीश कुमार को दो बार पत्रकारिता में योगदान के लिए रामनाथ गोयनका उत्कृष्टता पुरस्कार और 2019 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। रवीश के इस्तीफा के बाद एनडीटीवी की प्रेसिडेंट सुवर्णा सिंह ने कहा कि रवीश जितना लोगों को प्रभावित करने वाले कुछ ही पत्रकार हैं। यह उनके बारे में लोगों की प्रतिक्रिया को दिखाता है। उन्होंने कहा कि रवीश दशकों से एनडीटीवी का एक अभिन्न हिस्सा रहे हैं। उनका योगदान बहुत अधिक है। हम जानते हैं कि वह नई पारी में भी बेहद सफल होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अडाणी समूह ने आरआरपीआर का अधिग्रहण कर लिया था। आरआरपीआर के पास एनडीटीवी की 29.18 प्रतिशत हिस्सेदारी है। हालांकि, रॉय दंपति के पास प्रवर्तक के रूप में एनडीटीवी में अब भी 32.26 प्रतिशत की हिस्सेदारी है और उन्होंने समाचार चैनल के निदेशक मंडल से इस्तीफा नहीं दिया है। इसके बाद से ही रवीश कुमार को लेकर भी कई तरह के कयास लगाए जा रहे। रवीश ने बुधवार को आधिकारिक तौर पर मेल भेजकर अपना इस्तीफा दे दिया। सोशल मीडिया पर मीडिया जगत के लोग भी कई तरह के रिएक्शन देने लगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लेखक अशोक कुमार पांडे ने लिखा – ख़बर आ रही है कि भाई रवीश कुमार ने NDTV से इस्तीफ़ा दे दिया। अडानी की टीम के साथ काम करना उनके लिए अपमानजनक ही होता। लेकिन चुप रहना तो कायरों का काम है, रवीश को तो ‘बोलना ही है।’ उनका यूट्यूब चैनल आ ही चुका है।अब शायद वह और खुलकर बोल सकें। मैं तो यही कहूंगा- आज़ादी मुबारक। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्रकार निगार परवीन ने कमेंट किया कि-टीवी पत्रकारिता में एक युग का अंत! आज रवीश कुमार ने भी NDTV को अलविदा कहा। आज गोदी मीडिया में खुशी की लहर दौड़ रही होगी। लेकिन इनको नहीं पता बारी इनकी भी आएगी। नफरत के कारोबार में पत्रकारिता को भारी नुकसान होने वाला है, खैर अच्छा फैसला। रवीश जी की पत्रकारिता को सलाम। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
एनडीटीवी के पत्रकार रवीश रंजन शुक्ला ने रवीश कुमार के एक बयान का जिक्र किया। जिसमें रवीश कुमार ने कहा था कि हर लड़ाई जीतने के लिए नहीं लड़ी जाती है, कुछ लड़ाइयां इसलिए लड़ी जाती हैं ताकि लोगों को पता रहे कि कोई था जो मैदान में खड़ा था। पत्रकार राजेश साहू ने कमेंट किया कि और इस तरह से मीडिया का एक बड़ा स्तंभ ध्वस्त हो गया। रवीश कुमार ने भी एनडीटीवी को अलविदा कह दिया। पत्रकार कृष्णकांत ने लिखा कि एनडीटीवी से रवीश कुमार का इस्तीफा, चैनल खरीदा जा सकता है, लेकिन ईमान नहीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पत्रकार शमीम इसरार ने कमेंट किया – कभी रवीश कुमार जी ने कहा था कि जो बंद करना है तो बंद कर दो, जो बैन करना है उसे बैन कर दो। रोड पर खड़े होकर, पार्क में नहीं तो बाथरूम में न्यूज़ पढ़ देंगे। सच किसी भी स्थिति में सच ही रहता है। आज चैनल खरीद सकते हो जमीर नहीं। जानकारी के लिए बता दें कि सोशल मीडिया पर लोग इस तरह की कई प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि रवीश कुमार को यूट्यूब पर आ जाना चाहिए तो वहीं कुछ लोगों ने उन्हें सलाह दी है कि उन्हें खुद का एक चैनल शुरू कर लेना चाहिए। रवीश कुमार के इस्तीफे के बाद से ही ट्विटर पर #रवीशकुमार के साथ #यूट्यूब में ट्रेंड हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नए निदेशकों की हुई नियुक्ति
प्रणय रॉय एनडीटीवी के चेयरपर्सन और राधिका रॉय कार्यकारी निदेशक हैं। एनडीटीवी ने मंगलवार को शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा था कि प्रणय और राधिका रॉय ने आरआरपीआर होल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड (आरआरपीआरएच) के निदेशक मंडल से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया है। एनडीटीवी ने कहा कि आरआरपीआर होल्डिंग के निदेशक मंडल ने सुदिप्त भट्टाचार्य, संजय पुगलिया और सेंतिल सिन्नैया चेंगलवारायण की बोर्ड में तत्काल प्रभाव से निदेशक के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दे दी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आरआरपीआरएच के निदेशक मंडल की मंगलवार को हुई बैठक में इन नियुक्तियों और इस्तीफों को मंजूरी दी गई। अडाणी समूह ने इस सप्ताह आरआरपीआर होल्डिंग्स का नियंत्रण हासिल कर लिया है। भट्टाचार्य, पुगलिया और चेंगलवारायण कंपनी में अडाणी समूह की ओर से मनोनीत किए गए हैं। रॉय दंपति ने 2009 में रिलायंस इंडस्ट्रीज से जुड़ी एक कंपनी से 400 करोड़ रुपये का ब्याज-मुक्त ऋण लिया था। यह कंपनी विश्वप्रधान कमर्शियल प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) थी। इस कर्ज के बदले वीसीपीएल को वॉरंट को आरआरपीआर होल्डिंग्स के शेयर में बदलने का अधिकार मिल गया था। आरआरपीआर होल्डिंग्स के पास एनडीटीवी की 29.2 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।