उत्तराखंड में कभी उत्तरकाशी जिला टिहरी जिले का एक भाग था। इससे अलग होकर 24 फरवरी 1060 को इस पृथक जिले का गठन हुआ। प्राचीन ऐतिहासिक आधार, परंपरा और पौराणिक स्रोतों को संजोए हुए इस जिले की खूबसूरती को शब्दों में बयां करना मुश्किल है। यहां पत्रकार हरदेव पंवार ने उत्तरकाशी में सुबह से लेकर शाम तक के नजारे को कैमरे में कैद किया। तस्वीरों मे देखिए-
सुप्रभातः सुबह के समय का यह नजारा मुष्टिक सौड क्षेत्र से कैमरे में कैद किया गया है। आसमान में हल्के बादल और कोहरे के दौरान नजारा कुछ इस तरह काला नजर आता है।इसके बाद जैसे जैसे सूर्यदेव आसमान में ऊपर की ओर बढ़ते चलते हैं तो ऐसा दिखाई देने लगता है कि पिघलता हुआ सोना आसमान में फैलने लगा हो।दोपहरः दोपहर के समय उत्तरकाशी शहर का नजारा कुटेटी देवी मंदिर से लिया गया है। मौसम साफ रहे तो ऐसा शहर नजर आता है।यमुनोत्रीः यमुनोत्री मंदिर के कपाट बंद हो चुके हैं। यहां आसपास रहने वाले ग्रामीणों के साथ ही मंदिर के कर्मचारी, पुरोहित आदि अब निचले इलाकों में अपने गांवों की तरफ पलायन कर रहे हैं। यमुनोत्री धाम में सर्दियों में बर्फ गिरती रहती है। घोड़ा पड़ाव से यमुनोत्री धाम की ली गई ये तस्वीर प्राकृतिक सुंदरता को बयां करती है।शुभसंध्याः मुष्टिक सौड़ क्षेत्र से शाम का नजारा और भी विहंगम हो जाता है। पश्चिम की तरफ जहां सूर्य देव डूबने की तैयारी कर रहे हैं, वहां मसूरी, देहरादून है। इस क्षेत्र का नजारा भी सुबह की तरह शाम को नजर आता है।रातः जैसे जैसे सूर्यदेव पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हैं और रात शहर को आगोश में लेने लगती है, तो ऐसा नजारा दिखाई देने लगता है। जो बेहद ही मन को हरने वाला है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।