तस्वीरों में देखिए, दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में भाग लेने वाली उत्तराखंड की झांकी

इस बार दिल्ली में आयोजित गणतंत्र दिवस समारोह में उत्तराखंड की झांकी भी शामिल हो रही है। ये उत्तराखंड के लिए गौरव भी है। साथ ही उत्तराखंड की संस्कृति को पूरे राष्ट्र में दिखाने का फिर से मौका भी है। इस बार उत्तराखंड की ओर से प्रदर्शित की जाने वाली झांकी का विषय‘केदारखण्ड’ रखा गया है।
रक्षा मंत्रालय की ओर से दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय रंगशाला शिविर में आज प्रेसवार्ता के दौरान विभिन्न प्रदेशों एवं मंत्रालयों की झांकी कलाकारों ने अपने-अपने राज्यों की सांस्कृतिक झलक पेश की।
उत्तराखंड राज्य के कलाकारों की ओर से उत्तराखण्ड की पांरपरिक वेशभूषा में राष्ट्रीय रंगशाला में आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। इसे उपस्थित लोगों ने बखूबी सराहा। साथ ही इन 17 राज्यों के कलाकारों ने अपने-अपने प्रदेश की झांकी के साथ पांरपरिक वेशभूषा में प्रस्तुति दी गई। गणतंत्र दिवस समोराह में इस वर्ष 17 राज्यों की झांकी सम्मिलित की गई है।
उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए उत्तराखंड की झांकी में सूचना विभाग के उपनिदेशक एवं नोडल अधिकारी केएस चौहान के नेतृत्व में उत्तराखंड राज्य से 12 कलाकार गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड झांकी में भाग ले रहे हैं। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राजपथ पर उत्तराखंड की ओर से प्रदर्शित की जाने वाली झांकी का विषय ‘केदारखण्ड’ रखा गया है।
झांकी के अग्रभाग में उत्तराखण्ड का राज्य पशु ‘कस्तूरी मृग’ दर्शाया गया है, जो कि उत्तराखंड के वनाच्छादित हिम शिखरों में 3600 से 4400 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है। इसी प्रकार से उत्तराखण्ड का राज्य पक्षी ‘मोनाल’ एवं राज्य पुष्प ‘ब्रह्मकमल’ दिखाया गया है। जो केदारखण्ड के साथ-साथ उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाता है।
झांकी के मध्य भाग में भगवान शिव के वाहन नंदी को दर्शाया गया है। साथ में केदारनाथ धाम में यात्रियों को यात्रा करते हुए तथा श्रद्वालु को भक्ति में लीन दर्शाया गया है। झांकी के पृष्ठ भाग में बारह ज्योर्तिलिंगों में से एक बाबा केदार का भव्य मंदिर दर्शाया गया है। इसका जीर्णोद्धार आदिगुरू शंकराचार्य ने कराया था तथा मंदिर परिसर में श्रद्वालुओं को दर्शाया गया है। साथ ही मंदिर को ठीक पीछे विशालकाय दिव्य शिला को दर्शाया गया है। इसी दिव्य शिला की वजह से वर्ष 2013 की आपदा में केदारनाथ मंदिर सुरक्षित रहा था।
चौहान ने कहा कि राजपथ पर इस बार उत्तराखंड की झांकी केदारखंड सबके लिये आकर्षण का केन्द्र रहेगी। उन्होंनें बताया कि आध्यात्मिक भूमि उत्तराखण्ड में जहाँ एक ओर जीवन दायिनी गंगा, यमुना बहती है तथा दूसरी ओर चार-धाम पवित्र तीर्थस्थल विद्यमान हैं। वहीं हरि का द्वार अर्थात हरिद्वार है। उत्तराखंड आध्यात्मिक शांति और योग के लिये अनुकूल धरती है। इसलिए उत्तराखंड को देवभूमि भी कहा जाता है। इसके साथ ही गणतंत्र दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के लोक कलाकारों की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया जाएगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।