खेल में सिखाए जा रहे हैं बच्चों को विज्ञान के रहस्य, चमत्कार नहीं विज्ञान को करो नमस्कार

यदि बच्चों में सीखने के लिए उत्सुकता और कौतूहल पैदा कर लिया जाय तो सीखना आसान हो जाता है। आजकल बीते चार दिनों से उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित राजकीय इंटर कॉलेज भीमताल में बाल साहित्य संस्थान अल्मोड़ा की ओर से ऐसा ही कुछ किया जा रहा है। यहां बच्चे खेल – खेल में कौतूहल और उत्सुकता के साथ विज्ञान के उन नियमों को समझ रहे हैं, जो आज से पहले उनके लिए रहस्य सरीखे हुआ करते थे।
उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के सौजन्य से आयोजित बच्चों की 5 दिवसीय लेखन कार्यशाला के संदर्भदाता भारत ज्ञान विज्ञान समिति उत्तराखंड के प्रांतीय कोषाध्यक्ष प्रमोद तिवारी ने आज बच्चों को विज्ञान के कई ऐसे ही रहस्यों से परिचित कराया। ये रहस्य दिखते तो बहुत बड़े अबूझ रहस्य हैं, पर वास्तव में विज्ञान की सामान्य बातें होते हैं। तिवारी ने कहा कि हमारे समाज में इन्ही कुछ बातों को सीख कर कुछ अपराधिक प्रवृति के लोग विभिन्न रसायनों का प्रयोग करके भोली-भाली जनता के बीच अपने को चमत्कारी सिद्ध करते हैं। इनमें से बहुत से लोग तो सीधे – सादे ग्रामीणों या कम पढ़े-लिखे लोगों को मूर्ख बनाकर ठग भी लेते हैं।
उन्होंने हाथ में भभूत पैदा करने, मनचाही मिठाई व खिलाने, मंत्र सिद्धि से आग पैदा कर देने जैसे रासायनिक प्रयोगों की जानकारी बच्चों को दी। भारत ज्ञान विज्ञान समिति के प्रांतीय उपाध्यक्ष नीरज पंत तथा अल्मोड़ा जिलाध्यक्ष अनिल पुनेठा ने बच्चों को कई खेल कराए। नीरज पंत ने कहा कि हमारे समाज में बिखरे पारंपरिक खेलों में भी विज्ञान की अवधारणाएं निहित हैं, उन्हें जानने और समझने की निन्तात आवश्यकता है।
राजकीय इंटर कॉलेज नौकुचियाताल के विज्ञान प्रवक्ता प्रदीप सनवाल ने कहा कि पढ़ाई का उद्देश्य केवल परीक्षा में अच्छे अंक लाना नहीं होना चाहिए। हमें हर चीज को स्वीकार करने से पहले क्या, क्यों, कैसे जैसे तर्क – वितर्क करने की आदत विकसित करनी चाहिए। जन शिक्षण संस्थान भीमताल के निदेशक गोपाल ने बच्चों से संवाद किया।
बालप्रहरी संपादक और बाल साहित्य संस्थान के सचिव उदय किरोला ने बच्चों को लेखन के विभिन्न टूल्स की बातें और अवधारणाएं बताईं। बालप्रहरी बाल क्लब की कक्षा 12 की छात्रा अरुणा साह ने काव्य गोष्ठी समूह के बच्चों को प्रस्तुतीकरण व संचालन के लिए तैयार किया।
रिपोर्टः हेमंत चौकियाल
शिक्षक राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय डाँगी गुनाऊँ, अगस्त्यमुनि जिला रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।