सुप्रसिद्ध कथाकार शेखर जोशी को दिया दूसरा विद्यासागर सम्मान 2022, बेटे ने लिया पिता का सम्मान
पुरस्कार वितरण समारोह की अध्यक्षता कथाकार सुरेश उनियाल ने की। समारोह में विशिष्ट अतिथियों में हिमांशु दास और कथाकार सुभाष मौजूद रहे। इस अवसर पर अनिता जोशी और अर्चना तिवारी ने विद्यासागर नौटियाल एवं शेखर जोशी के व्यक्तित्व कृतित्व पर प्रकाश डाला। प्रतुल जोशी ने आभार व्यक्त करते हुए शेखर जोशी के नौटियाल जी के लिए लिखे गए एक संस्मरण को पढ़ कर सुनाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने बताया कि शेखर जोशी 1953 से लगातार कहानी लिख रहे हैं। वह हिंदी कथाकार हैं। इलाहाबाद में एक लंबे समय तक रहे। अधिकांश लेखन कार्य वहीं रहकर किया। सेवानिवृत्ति के बाद वह लखनऊ चले गए। उन्होंने दाजू बदबू उस्ताद, आशीर्वचन, नौरंगी बीमार है, जैसी कालजीवी कहानियां लिखी। बाद के समय में उन्होंने कुछ कविताएं लिखी और लगातार लिखते रहे। अभी हाल ही में उनका आत्मकथ्य मेरा ओरिया गांव प्रकाशित हुआ। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपने वक्तव्य पंकज बिष्ट ने शेखर जोशी की रचनाओं को इस समय की महत्वपूर्ण रचनाओं के रूप में परिभाषित किया। साथ ही कहा कि उनकी कहानियों में पहाड़ पूरी शिद्दत से है। साथ ही पूरा वंचित समाज इसमें है। समाज की विसंगतियां, उनकी कहानियों में यथार्थ के प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए शेखर जोशी का सेव हिमालय ट्रस्ट एवं संवेदना देहरादून के रचनाकार साथियों ने किया। इससे पूर्व यह पुरस्कार कथाकार सुभाष पंत को प्रदान किया गया था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में डॉ जितेंद्र भारती, अरुण कुमार, राशिफल, राजेश पाल, मनमोहन चड्ढा, मदन डुकलान, गीता गैरोला, बीना बेंजवाल, कांता, संजय कोठियाल, गिरधर पंडित, होशियार सिंह रावत, कुसुम रावत, हर्ष डोभाल आदि उपस्थित थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शेखर जोशी के बारे में
शेखर जोशी कथा लेखन को दायित्वपूर्ण कर्म मानने वाले सुपरिचित कथाकार हैं। शेखर जोशी की कहानियों का अंगरेजी, चेक, पोलिश, रुसी और जापानी भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उनकी कहानी दाज्यू पर बाल-फिल्म सोसायटी द्वारा फिल्म का निर्माण किया गया है। शेखर जोशी का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के ओलिया गांव में सन् 1932 के सितंबर माह में हुआ था। शेखर जोशी का प्रारंभिक शिक्षा अजमेर और देहरादून में हुई। इन्टरमीडियेट की पढ़ाई के दौरान ही सुरक्षा विभाग में जोशी जी का ई.एम.ई. अप्रेन्टिसशिप के लिए चयन हो गया, जहां वो सन् 1986 तक सेवा में रहे तत्पश्चात स्वैच्छिक रूप से पदत्याग कर स्वतंत्र लेखन में संलग्न रहे हैं। हाल में ही उनकी आत्मकथा मेरा ओलिया गांव प्रकाशित हुई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दाज्यू, कोशी का घटवार, बदबू, मेंटल जैसी कहानियों ने न सिर्फ शेखर जोशी के प्रशंसकों की लंबी जमात खड़ी की बल्कि नई कहानी की पहचान को भी अपने तरीके से प्रभावित किया है। पहाड़ी इलाकों की गरीबी, कठिन जीवन संघर्ष, उत्पीड़न, यातना, प्रतिरोध, उम्मीद और नाउम्मीदी से भरे औद्योगिक मजदूरों के हालात, शहरी-कस्बाई और निम्नवर्ग के सामाजिक-नैतिक संकट, धर्म और जाति में जुड़ी रुढ़ियां – ये सभी उनकी कहानियों के विषय रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शेखर जोशी की प्रमुख प्रकाशित रचनाएं
कोशी का घटवार 1958
साथ के लोग 1978
हलवाहा 1981
नौरंगी बीमार है 1990
मेरा पहाड़ 1989
डागरी वाला 1994
बच्चे का सपना 2004
आदमी का डर 2011
एक पेड़ की याद
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।