Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 17, 2024

उत्तराखंड राज्य आंदोलन की याद ताजा कर रहा दूसरा आंदोलन, मूल निवास और भू कानून के लिए ऋषिकेश में उमड़ा जन सैलाब

एक बार फिर से उत्तराखंड के लोग आंदोलन की राह में चलने को तैयार हैं। ठीक उत्तराखंड राज्य आंदोलन की मांग की तर्ज में ही इस आंदोलन को भारी जन समर्थन मिलने लगा है। ऐसे में सरकार भी घबराई हुई है और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को घोषणा करनी पड़ी कि हमारी ही सरकार भू कानून मुद्दे का समाधान करेगी। क्योंकि इस बार मूल निवास और कड़े भू-कानून की मांग लेकर लोग सड़कों पर उतरने लगे हैं। आज मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर प्रदेशभर से हजारों की संख्या में लोग ऋषिकेश में आयोजित महारैली में एकत्र हुए। इसी रैली ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन की याद को ताजा कर दिया। इस महारैली में तय किया गया कि बहुत जल्द इन मांगों को लेकर बड़े कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के आह्वान पर मूल निवास 1950 से लागू करने और सशक्त भू-कानून की मांग को लेकर ऋषिकेश में आयोजित की गई महारैली में प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से हजारों लोग शामिल हुए। इस महारैली में प्रदेश के विभिन्न राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों, पूर्व सैनिकों, पूर्व कर्मचारियों ने शिरकत की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

कार्यक्रम शुरू होने से पूर्व मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने नटराज चौक पर उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन के प्रणेता इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। बडोनीजी को नमन करने के बाद संघर्ष समिति के बैनर तले जनसभा का आयोजन किया गया। जनसभा के बाद आंदोलनकारियों ने आइडीपीएल ऋषिकेश से त्रिवेणी घाट तक विशाल जुलूस निकाला। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

इस मौके पर आयोजित जनसभा में समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि 40 से ज्यादा आंदोलनकारियों की शहादत से हासिल हुआ हमारा उत्तराखंड राज्य आज 24 साल बाद भी अपनी पहचान के संकट से जूझ रहा है। उन्होंने कहा कि यहां के मूल निवासियों को उनका वाजिब हक नहीं मिल पाया है और अब तो हालात इतने खतरनाक हो चुके हैं कि मूल निवासी अपने ही प्रदेश में दोयम दर्जे के नागरिक बनते जा रहे हैं। आज न मूल निवासियों को नौकरी मिल रही और न ठेकेदारी। हर तरह के संसाधन मूल निवासियों के हाथों खिसकते जा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

डिमरी ने कहा कि मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 लागू करने के साथ ही प्रदेश में मजबूत भू-कानून लागू किया जाना बेहद जरूरी है। मूल निवास का मुद्दा उत्तराखंड की पहचान के साथ ही यहां के लोगों के भविष्य से भी जुड़ा है। उन्होंने कहा कि मूल निवास की लड़ाई जीते बिना उत्तराखंड का भविष्य असुरक्षित है। मजबूत भू-कानून न होने से ऋषिकेश ही नहीं पूरे उत्तराखंड में जमीनों की खुली बंदरबांट चल रही है। इससे राज्य की डेमोग्राफी बदल गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि हमारे लोगों को जमीन का मालिक होना था और वे लोग रिसोर्ट, होटलों में नौकर, चौकीदार बनने के लिए विवश हैं। हम अपने लोगों को नौकर नहीं मालिक बनते हुए देखना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि आज ऋषिकेश अपराधियों का अड्डा बनता जा रहा है। सरेआम मूल निवासियों को मारा-पीटा जा रहा है। ड्रग्स और नशे के कारोबार कारण हमारे बच्चों का भविष्य ख़त्म हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति के सह संयोजक लुसुन टोडरिया और सचिव प्रांजल नौडियाल ने कहा कि उत्तराखंड के मूल निवासियों के अधिकार सुरक्षित रहें, इसके लिए मूल निवास 1950 और मजबूत भू-कानून लाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश के युवाओं के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। समिति से जुड़े हिमांशु बिजल्वाण, कोर मेंबर सुरेंद्र नेगी, और हिमांशु रावत ने कहा कि जिस तरह प्रदेश के मूल निवासियों के हक हकूकों को खत्म किया जा रहा है, उससे एक दिन प्रदेश के मूल निवासियों के सामने पहचान का संकट खड़ा हो जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

समिति के गढ़वाल संयोजक अरुण नेगी और कुमांऊ संयोजक राकेश बिष्ट ने कहा कि अगर सरकार जनभावना के अनुरूप मूल निवास और मजबूत भू-कानून लागू नहीं करेगी तो इसके गंभीर परिणाम होंगे। सामाजिक कार्यकर्ता एलपी रतूड़ी, विकास सेमवाल, हर्ष व्यास, सुदेश भट्ट, हिमांशु पंवार, अनिल डोभाल, गोकुल रमोला, कुसुम जोशी, पंकज उनियाल, प्रमोद काला, उषा डोभाल, सुरेंद्र रावत, आशीष नौटियाल, नमन चंदोला, शूरवीर चौहान, नीलम बिजल्वाण, केपी जोशी ने भी महारैली को संबोधित किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि पिछले साल 24 दिसंबर को देहरादून में हुई महारैली के बाद हल्द्वानी, टिहरी, श्रीनगर और कोटद्वार, गैरसैंण के बाद अब ऋषिकेश में जिस तरह से जनसैलाब उमड़ा है, उससे स्पष्ट है कि राज्य के लोग अपने अधिकारों, सांस्कृतिक पहचान और अस्तित्व को बचाने के लिए निर्णायक लड़ाई के लिए तैयार हैं। कार्यक्रम का संचालन प्रांजल नौडियाल और संजय सिलस्वाल ने किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

स्वाभिमान यात्रा निकालेगी संघर्ष समिति
ऋषिकेश में हुई रैली के बाद मूल निवास आंदोलन को व्यापक बनाने के लिए जल्द ही अगले कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी। संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने बताया कि प्रदेश में मूल निवास की सीमा 1950 और मजबूत भू-कानून लागू करने को लेकर चल रहे आंदोलन को घर-घर में ले जाया जाएगा। अब आर-पार की लड़ाई लड़ी जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि बहुत जल्द ठोस कार्यक्रम बनाकर पूरे प्रदेश में स्वाभिमान यात्रा शुरू शुरू की जाएगी। डिमरी ने बताया कि चरणबद्ध तरीके से समिति विभिन्न कार्यक्रम करेगी, जिसके तहत गांव-गांव जाने से लेकर प्रदेश के विश्वविद्यालयों में जाकर युवाओं से संवाद किया जाएगा। इस बाबत जल्द ही कार्यक्रम का ऐलान किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

समिति की प्रमुख मांगे
1- प्रदेश में मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 घोषित की जाए। इसके आधार पर मूल निवासियों को सरकारी और प्राइवेट नौकरियों, ठेकेदारी, सरकारी योजनाओं सहित तमाम संसाधनों में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी दी जाय।
2- प्रदेश में मजबूत भू-कानून लागू हो। जिसके तहत शहरी क्षेत्रों में 200 वर्ग मीटर भूमि खरीदने की सीमा लागू किया जाए तथा इसकी खरीद के लिए 30 वर्ष पहले से उत्तराखंड में रहने की शर्त लागू हो।
3- प्रदेश के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि खरीदने-बेचने पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगे।
4- राज्य गठन के बाद से वर्तमान तिथि तक सरकार द्वारा विभिन्न व्यक्तियों, संस्थानों, कंपनियों आदि को बेची गई और दान व लीज पर दी गई भूमि का ब्यौरा सार्वजनिक किया जाए।
5- प्रदेश में किसी भी तरह के उद्योग के लिए जमीन को 10 साल की लीज पर दिया जाय। इसमें भी पचास प्रतिशत हिस्सेदारी स्थानीय लोगों की तय की जय और ऐसे सभी उद्यमों में 90 प्रतिशत रोजगार स्थानीय लोगों को दिया जाना सुनिश्चित किया जाए। जिस उद्योग के लिए जमीन दी गई है, उसका समय-समय पर मूल्यांकन किया जाय। इसी आधार पर लीज आगे बढ़ाई जाय।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।

+ posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page