प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में वेतन के लाले, शिक्षक संगठन ने दी कार्य बहिष्कार की चेतावनी
उत्तराखंड में अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षक और अन्य स्टाफ को सरकार की ओर से नियमित रूप से वेतन का भुगतान तक नहीं किया जा रहा है। ऐसे में शिक्षक संघ ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर जल्द इस संबंध में कार्रवाई की मांग की।

उत्तराखंड में 18 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों में पहले भी शिक्षकों और अन्य स्टाफ के वेतन के लाले पड़ गए थे। इस पर हाईकोर्ट तक ये मामला पहुंचा था। तब बताया गया कि महाविद्यालयों को छह माह की ग्रांट जारी कर दी गई है। अब फिर दोबारा से इन महाविद्यालयों में वेतन के लाले पड़ गए हैं। इसके बाद की सात माह की ग्रांट की फाइल करीब छह माह से शासन में दबा दी गई है।
गौरतलब है कि उत्तराखंड में सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों की केंद्रीय एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबद्धता समाप्त की जा रही है। इन महाविद्यालयों को श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय से संबद्ध किया जा रहा है। इसके खिलाफ देहरादून के डीएवी पीजी कॉलेज, बीएसएम कॉलेज रुड़की हरिद्वार, सतीकुंड महाविद्यालय हरिद्वार की प्रबंध समिति हाईकोर्ट की शरण में है। हाईकोर्ट में ये मामला विचाराधीन है। इस मामले में सभी पक्षों ने पत्रावलियां हाईकोर्ट में प्रेषित की हुई हैं। अब अंतिम सुनवाई तब होगी, जब भौतिक रूप से कोर्ट का कार्य प्रारंभ होगा।
इस बीच पांच अशासकीय महाविद्यालय ने श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय की शरण में आ गए हैं। यानी कि 19 में से पांच महाविद्यालयों ने घुटने टेक दिए। इस संबंध में विश्वविद्यालय ने पांच महाविद्यालयों को संबद्ध किए जाने के आदेश भी पूर्व में जारी कर दिए गए थे। अन्य महाविद्यालयों का मामला हाईकोर्ट में चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि जानबूझकर ऐसे महाविद्यालयों की ग्रांट को रोका जा रहा है। ताकी महाविद्यालय घुटने टेक दें और श्रीदेव सुमन विश्वविद्लाय की संबद्धता को स्वीकार कर लें।
गढ़वाल विश्वविद्यालय शिक्षक संघ, देहरादून महासचिव डॉ डीके त्यागी ने इस संबंध में अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा। इसमें कहा गया है कि प्रदेश स्तर के शिक्षक संगठन राज्य सहायता प्राप्त कालेजों के बजट अवमुक्त न होने के कारण लंबित वेतन भुगतान को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय पुष्कर सिंह धामी से जनता दरबार में गत माह मिले थे। उनसे अपनी वेतन संबंधी मांगों का समय रहते निस्तारण करने का अनुरोध किया था। इसके बाद 10 अक्टूबर को शिक्षक अपर मुख्य सचिव से भी मिले थे और इस संदर्भ में एक अनुरोध पत्र दिया था। साथ ही शिक्षकों की समस्या को लेकर वार्ता का अनुरोध किया गया था। इसके बावजूद भी मीटिंग के लिए समय नहीं मिल पाया है।
उन्होंने कहा कि आगामी त्योहारों पर वेतन भुगतान न हो पाने के कारण विवश होकर सभी शिक्षक आंदोलन करने ने की राह पर बाध्य किये जा रहे हैं। यदि शीघ्र वेतन का भुगतान नहीं किया गया तो 28 अक्टूबर से समस्त अशासकीय कॉलेजों के शिक्षक तथा शिक्षणेत्तर कर्मचारी कार्य बहिष्कार पर रहेंगे। इससे कॉलेजों में चल रही परीक्षाएं, प्रवेश प्रक्रिया, कक्षाएं सभी बाधित होंगी। इसका समस्त दायित्व शासन का होगा।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।