रूस का लूना क्रैश, अब चंद्रयान 3 पर निगाह, ऐसा करने वाला पहला देश बन सकता है भारत, छोड़ेगा चांद पर अशोक स्तंभ की छाप
चंद्रयान मिशन के तहत रूस का लूना-25 स्पेसक्राफ्ट क्रैश हो गया है। अब अगर भारत का चंद्रयान-3 मिशन सक्सेसफुल होता है तो वो चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। चंद्रयान-3 को 23 अगस्त को शाम 6:04 बजे 25 Km की ऊंचाई से लैंड कराने की कोशिश की जाएगी। चंद्रयान-3 का दूसरा और फाइनल डीबूस्टिंग ऑपरेशन रविवार रात 1 बजकर 50 मिनट पर पूरा हुआ था। इस ऑपरेशन के बाद लैंडर की चंद्रमा से न्यूनतम दूरी 25 किमी और अधिकतम दूरी 134 किलोमीटर रह गई है। डीबूस्टिंग में स्पेसक्राफ्ट की स्पीड को धीमा किया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लैंडिंग से पहले होगी अंदरूनी जांच
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने रविवार को कहा कि उसने चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) को कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया, और इसके अब 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि लैंडर माड्यूल प्रस्तावित सॉफ्ट लैंडिंग’ से पहले अंदरूनी जांच की प्रक्रिया से गुजरेगा। इसरो ने कहा कि लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल के 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरने की उम्मीद है। इससे पहले, इसरो ने कहा था कि मॉड्यूल 23 अगस्त को शाम पांच बजकर 47 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चांद पर अशोक स्तंभ की छाप छोड़ेगा प्रज्ञान रोवर
चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे एम. अन्नादुरई के मुताबिक, 23 अगस्त की शाम को चंद्रयान-3 के लैंडर को 25 किमी की ऊंचाई से चांद की सतह तक पहुंचने में 15 से 20 मिनट लगेंगे। यही समय सबसे क्रिटिकल होने वाला है। इसके बाद विक्रम लैंडर से रैंप के जरिए छह पहियों वाला प्रज्ञान रोवर बाहर आएगा और इसरो से कमांड मिलते ही चांद की सतह पर चलेगा। इस दौरान इसके पहिए चांद की मिट्टी पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न अशोक स्तंभ और इसरो के लोगो की छाप छोड़ेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
टेलीविजन पर होगा प्रसारण
इस बहुप्रतीक्षित कार्यक्रम का टेलीविजन पर 23 अगस्त को सीधा प्रसारण किया जाएगा, जो इसरो की वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, इसरो के फेसबुक पेज, और डीडी (दूरदर्शन) नेशनल टीवी चैनल सहित कई मंचों पर पांच बजकर 27 मिनट से शुरू होगा। इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग एक ऐतिहासिक क्षण है जो न केवल उत्सुकता बढ़ाएगा, बल्कि हमारे युवाओं के मन में अन्वेषण की भावना भी उत्पन्न करेगा। इसरो ने कहा कि इसके आलोक में देश भर में सभी स्कूल और शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों और शिक्षकों के बीच इसे सक्रियता से प्रचारित करने के लिए आमंत्रित किया गया है। साथ ही चंद्रयान-3 की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का परिसरों में सीधा प्रसारण आयोजित किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चंद्रयान-3 से पहले लैंड होने वाला था लूना
भारत की स्पेस एजेंसी इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन को 14 जुलाई 2023 को लॉन्च किया था। फ्यूल का कम इस्तेमाल हो और कम खर्च में यान चंद्रमा पर पहुंच जाए इसलिए उसने पृथ्वी की ग्रैविटी का इस्तेमाल किया है। इस प्रोसेस में फ्यूल तो बच जाता है, लेकिन समय ज्यादा लगता है। इसलिए चंद्रयान को चांद पर पहुंचने में ज्यादा टाइम लग रहा है। वहीं, रूस का लूना-25 चंद्रमा के बोगुस्लावस्की क्रेटर के पास लैंड करने वाला था, जबकि चंद्रयान मैंजिनस U क्रेटर के पास लैंड करेगा। इसके कोऑर्डिनेट 69.36˚S और 32.34˚E हैं। इन दोनों क्रेटर्स के बीच की दूरी 100 Km से ज्यादा है। अब अगर चंद्रयान-3 मिशन सक्सेसफुल होता है तो भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
47 साल बाद रूस ने चांद पर भेजा था कोई मिशन
रूस ने 47 साल बाद चांद पर अपना मिशन भेजा था। इससे पहले उसने 1976 में लूना-24 मिशन भेजा था। लूना-24 चांद की करीब 170 ग्राम धूल लेकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस पहुंचा था। अभी तक जितने भी मून मिशन हुए हैं, वो चांद के इक्वेटर पर पहुंचे हैं, यह पहली बार था कि कोई मिशन चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला था। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
11 अगस्त को लॉन्च किया गया था लूना-25
लूना-25 को 11 अगस्त को सोयूज 2.1बी रॉकेट के जरिए वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से लॉन्च किया गया था। लूना-25 को उसी दिन अर्थ की ऑर्बिट से चांद की तरफ भेज दिया गया था। स्पेसक्राफ्ट 16 अगस्त को दोपहर 2:27 बजे चांद की 100 किलोमीटर की ऑर्बिट में पहुंच गया था। लूना को 21 अगस्त को चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड होना था, लेकिन ये क्रैश हो गया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के चंद्रमा मिशनों पर डेटाबेस के अनुसार, पिछले सात दशकों में 111 चंद्र मिशनों में से 62 सफल रहे, 41 विफल रहे और आठ को आंशिक सफलता मिली। अब फेलियर वाली लिस्ट में लूना-25 का भी नाम जुड़ गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रूस का लूना-25 मिशन ऐसे हुआ फेल
रूस की स्पेस एजेंसी रॉस्कॉस्मॉस ने रविवार यानी 20 अगस्त को बताया कि शनिवार शाम 05:27 बजे उसका स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूट गया था। लूना-25 को प्री-लैंडिंग कक्षा 18 Km x 100 Km में प्रवेश कराने के लिए भारतीय समयानुसार शनिवार दोपहर 04:30 बजे कमांड दिया गया था। रॉस्कॉस्मॉस ने बताया कि इस दौरान इमरजेंसी कंडीशन बन गई क्योंकि स्पेसक्राफ्ट एक्चुअल पैरामीटर के अनुसार थ्रस्टर फायर नहीं कर पाया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शुरुआती एनालिसिस के नतीजों से पता चलता है कि कैलकुलेशन से जो पैरामीटर सेट किए गए थे उन पैरामीटरों से स्पेसक्राफ्ट डेविएट हो गया। कैलकुलेटेड वैल्यू जितनी चाहिए थी ये उससे ज्यादा थी। इससे थ्रस्टर ज्यादा देर फायर हुए और स्पेसक्राफ्ट ऑफ-डिजाइन ऑर्बिट में चला गया। ऑफ-डिजाइन कक्षा में जाने के कारण लूना-25 चांद पर क्रैश हो गया। स्पेशली फॉर्म्ड इंटरडिपार्टमेंटल कमीशन अब इस क्रैश की जांच करेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
लूना-25 मिशन का ये था मकसद
चांद की मिट्टी के नमूने लेकर बर्फ की उपस्थिति का पता लगाना
अपनी लेटेस्ट सॉफ्ट-लैंडिंग और दूसरी स्पेस टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग
साउथ पोल पर मिट्टी की फिजिकल-मैकेनिकल प्रॉपर्टी का अध्ययन
सोलर विंड के असर को देखने के लिए प्लाज्मा-धूल का अध्ययन
डीप स्पेस और दूर के ग्रहों की खोज के लिए एक लॉन्चिंग पैड
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।