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February 5, 2025

डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड स्तर पर गिरा रुपया, ये है वजह, ये पड़ेगा असर, अभी और गिरने की जताई जा रही आशंका

रुपया रिकॉर्ड गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है। भारतीय मुद्रा मंगलवार शाम को अब तक के सबसे निचले स्तर 78.03 रुपये पर जाकर थमी।

दूसरों को नसीहत और खुद की फजीहत। रुपये में गिरावट को देखते हुए तो यही कहा जा सकता है। 2014 में क़रीब तीन दशक बाद पूर्ण बहुमत वाली सरकार केंद्र में आई तो कहा गया कि मज़बूत अर्थव्यवस्था के लिए मज़बूत सरकार का होना ज़रूरी होता है। नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तो केंद्र की तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार पर अर्थव्यवस्था और नीतियों को लेकर तीखे हमले बोलते थे। मोदी कहते थे कि इस सरकार में अनिर्णय की स्थिति है। वो भारतीय मुद्रा रुपए में डॉलर की तुलना में गिरावट को भी सरकार की कमज़ोरी बताते थे। तब भारत में अच्छे दिन लाने की बात कही गई थी। अब जब केंद्र में मोदी की मजबूत सरकार है तो रुपया डॉलर के मुकाबले अपने निचले स्तर पर पहुंचकर हर दिन रिकॉर्ड बना रहा है।
रुपया रिकॉर्ड गिरावट के साथ डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है। भारतीय मुद्रा मंगलवार शाम को अब तक के सबसे निचले स्तर 78.03 रुपये पर जाकर थमी। हालांकि विशेषज्ञों की ओर से अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि डॉलर के लगातार मजबूत होने से रुपया 80 तक पहुंच सकता है। रुपया मंगलवार को एक वक्त तो 78.28 तक पहुंच गया था, लेकिन बाद में इसमें थोड़ा सुधार आया। विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सर्वकालिक निचले स्तर से उभरते हुए महज एक पैसे की तेजी के साथ 78.03 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
विशेषज्ञों का कहना है कि घरेलू कारोबार का नीरस माहौल, कच्चे तेल की कीमतों में तेजी और विदेशी पूंजी की बाजार से लगातार निकासी से भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई है। डॉलर के मुकाबले रुपया मंगलवार को 78.02 पर खुला.कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले महज एक पैसे बढ़कर 78.03 प्रति डॉलर पर पहुंच गया। सोमवार को रुपया 11 पैसे की गिरावट के साथ अपने सर्वकालिक निचले स्तर 78.04 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
ये बताए जा रहे हैं कारण
-अमेरिका में महंगाई 40 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 8.6 प्रतिशत पर पहुंच गई है। ऐसे में अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बुधवार को होने वाली बैठक में ब्याज दरो में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है। इससे डॉलर को मजबूती मिली है। रुपया ही नहीं जापानी येन और यूरो में भी गिरावट आई है।
-शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की लगातार बिकवाली से भी रुपये पर दबाव बना हुआ है और वो लगातार कमजोर हो रहा है। स्टॉक मार्केट में भी लगातार तीसरे दिन से गिरावट है और बाजार 10 माह के निचले स्तर पर पहुंच गया है। शेयर बाजार 52,693 अंक पर बंद हुआ, जो 30 जुलाई 2021 के बाद सबसे कमजोर स्तर है। एशियाई बाजारों का यही हाल रहा।
-रिजर्व बैंक ने पूर्वानुमान लगाया है कि महंगाई कच्चे तेल के ऊंचे दामों के कारण इस वित्तीय वर्ष में ऊंचे स्तर पर रहेगी। इस कारण बने बाजार सेंटीमेंट ने भी भारतीय मुद्रा को नुकसान पहुंचाया है।
-विदेशी मुद्रा भंडार में भी पिछले हफ्ते से लगातार गिरावट आई है, जिससे भी रुपया गोता लगा रहा है।
-कच्चे तेल के अलावा कमोडिटी बाजार में भी उथल-पुथल रूस-यूक्रेन युद्ध के तीन महीने बाद भी कायम है। इस कारण लोहा, निकेल, स्टील और अन्य कच्चे माल के दाम आसमान छू रहे हैं।
भारत में ये पड़ेगा असर
-रुपया गिरने से आयातित उपकरण, गैजेट और अन्य सामान महंगे हो सकते हैं. इससे टीवी, फ्रिज, मोबाइल, एसी और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरण के रेट बढ़ सकते हैं।
-विदेश यात्रा, विदेशी कॉलेज-यूनिवर्सिटी में अध्ययन जैसी जरूरी सेवाओं का खर्च भी बढ़ सकता है। विदेश में अगर आप कुछ समय का प्रवास भी करते हैं तो रहने, खान-पान के लिए भी ज्यादा जेब ढीली करनी होगी।
-विदेश से आने वाली जीवनरक्षक दवाएं और मेडिकल उपकरणों की लागत भी बढ़ सकती है। लंबे वक्त में यह इलाज का खर्च भी बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।
-आयातित खाद्य तेल और दालें भी रुपये में गिरावट से प्रभावित हो सकती हैं और इनमें भी महंगाई बढ़ सकती है।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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