आरटीआइ से खुलासे का दावाः रोजगार के प्रति उत्तराखंड के सीएम का रवैया असंवेदनशील-रवींद्र जुगरान
उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के नेता रवींद्र जुगरान ने आज एक पत्रकार वार्ता में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर उत्तराखंड के शिक्षित प्रशिक्षित बेरोजगारों के प्रति असंवेदनशील व गैर गंभीर होने का आरोप लगाया। जुगरान ने कहा की आरोप लगाने का आधार सूचना के अधिकार में मांगी गई सूचना को बताया। जुगरान ने कहा कि सरकार का काम कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के अनुरूप निर्णय लेना और जनता को राहत देना होता है।
इसके विपरीत उत्तराखंड में भाजपा की प्रचंड बहुमत की सरकार आचरण कर रही है। जुगरान ने अवगत कराया की सहायक अध्यापक एलटी के लगभग 1431 पदों पर सीधी भर्ती के लिए 13 अक्टूबर 2020 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। इसमें आवेदन की अंतिम तिथि चार दिसंबर 2020 थी। उन्होंने कहा कि एलटी भर्ती के लिए सीटेट परीक्षा उत्तीर्ण करने का प्रमाण पत्र अनिवार्य है। सीटेट की प्रवेश परीक्षा जुलाई 2020 में प्रस्तावित थी, लेकिन कोरोना के चलते यह परीक्षा 31 जनवरी 2021 को सम्पन्न हुई। साथ ही बीएड अंतिम सैमेस्टर का परीक्षा परिणाम भी घोषित नहीं हुआ था।
उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने अधिनस्थ सेवा चयन आयोग से निवेदन किया था कि आयोग अपने परीक्षा कार्यक्रम को यथावत रखते हुए वंचित अभ्यर्थियों को भी परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर प्रदान करे। इसी क्रम में आयोग ने हमारे प्रत्यावेदन को अग्रसारित कर शासन से अनुमति मांगी थी। तत्पश्चात हमने शासन में अपर मुख्य सचिव कार्मिक को भी अलग से प्रत्यावेदन प्रेषित किया। इसके उपरांत अनुभाग से सकारात्मक टिप्पणी के साथ सभी संबंधित अधिकारियों के पटल की ओर से भी सकारात्मक टिप्पणी के साथ पत्रावली को आगे बढ़ाया गया।
पत्रावली अपर मुख्य सचिव के समक्ष प्रस्तुत की गई। इसे उन्होंने मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया। दुर्भाग्यपूर्ण बात ये है कि मुख्यमंत्री ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया। और पत्रावली वापस लौट कर अनुभाग में आ गई। मुख्यमंत्री के कोई निर्णय न लेने के कारण अपर मुख्य सचिव कार्मिक ने पत्रावली पर लिखा गया कि अब इस पर कोई कार्यवाही की आवश्यकता नहीं। क्योंकि मुख्यमंत्री जी पत्रावली का अवलोकन करने के उपरांत कोई निर्णय नहीं लिया है।
जुगरान ने कहा कि यह अत्यंत दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण है की सरकार का काम रास्ता निकालना होता है, पर यहां सरकार बने बनाये रास्तों को भी बंद कर रही है। सरकार को राहत देनी चाहिए थी, लेकिन वो शिक्षित प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार के अवसर देने के बजाय आफत दे रही है। जुगरान ने कहा की ना ही हम आयोग के निर्धारित परीक्षा कार्यक्रम में कोई परिवर्तन चाहते हैं। हम तो कोविड के कारण उपजी विपरीत परिस्थितियों में केवल परीक्षा में सम्मिलित होने का अवसर मांग रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो अभी भी समय है वो आयोग को निर्देश दे सकती है कि वंचित अभ्यर्थियों को अलग से आवेदन करने का अवसर दिया जाय। सरकार नहीं करती तो हमारे लिए न्यायालय में न्याय के लिए जाने का विकल्प हमेशा खुला है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।