आरटी-पीसीआर टेस्ट में भी मुनाफाखोरी, रेट 500, वसूल रहा था 1500, पुलिस ने क्लीनिक स्वामी को किया गिरफ्तार
कोरोनाकाल में जहां लोग एक दूसरे की मदद को खड़े हो रहे हैं, वहीं लोगों की मजबूरी को कुछ लोगों ने कमाई का जरिया बना दिया। देहरादून में एक ऐसा मामले का खुलासा हुआ, जहां घर घर जाकर आरपी-पीसीआर टेस्ट के लिए सैंपल की एवज में पांच सौ रुपये की बजाय 1500 रुपये वसूले जा रहे थे। यही नहीं, सैंपल लेने वाले के पास इसका कोई वैध लाइसेंस तक नहीं था। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है।
टेस्ट की हकीकत
सरकार और जिला प्रशासन आरटी-पीसीआर लैब के नंबर जारी कर रहे हैं। इसमें बताया जा रहा है कि इस नंबर में कॉल कर व्यक्ति को घर बुलाकर आप टेस्ट करा सकते हैं। हकीकत लोकसाक्ष्य ने एक दिन जब जाननी चाही तो नौ नंबर में दो ही नंबर मिले। इन नंबरों पर कॉल उठाने वालों ने दो से तीन दिन में टेस्ट करने की बात कही। एक व्यक्ति ने तो पांच सौ रुपये फीस बताई, जबकि दूसरे ने घर पूछने के बाद आठ सौ रुपये बताई। वहीं, सरकार की ओर से इसकी फीस 500 रुपये तय है।
प्रेमनगर पुलिस ने किया भंडाफोड़
देहरादून में प्रेमनगर पुलिस के मुताबिक सूचना मिली कि एक स्वास्थ्य क्लीनिक में कुछ लोग आरटी-पीसीआर टेस्ट के लिए सैंपलिंग लेने घर घर जा रहे हैं। एक सैंपल की एवज में वे 1500 रुपये वसूल रहे हैं। इस सूचना पर पुलिस ने प्रेमनगर विंग नंबर तीन स्थित क्लिनिक में छापा मारा। मौके पर दस्तावेज कब्जे में ले गिए।
इस मामले में पुलिस ने जांच की तो पता चला कि क्लीनिक में स्थित लैब के लिए RT-PCR टेस्ट का कोई वैध लाइसेंस राज्य सरकार से नहीं दिया गया है। क्लीनिक के मालिक ने बताया कि वह अपने कर्मियों के माध्यम से कोविड परीक्षण कराने वाले जरुरतमंदो से संपर्क करते हैं। साथ ही घर पर जाकर सैंपल एकत्र करने के प्रति सैंपल 1500 रुपये वसूलते हैं। इसके बाद अलग अलग पैथोलॉजी लैब में सैंपल टेस्टिंग के लिए देते हैं। वहां प्रति सैंपल पांच सौ रुपये का भुगतान करते हैं। ऐसे में खुद एक हजार रुपये प्रति सैंपल की कमाई हो जाती है। मौके से पुलिस ने क्लीनिक के मालिक आलोक पुत्र दिनेश चंद्र निवासी राघव बिहार फेज- 1, प्रेमनगर को गिरफ्तार कर लिया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
इस भयानक स्थिति का भी कुछ लोग फायदा उठा रहे हैं. सक्त कार्यवाही होनी चाहिए