सड़क दुर्घटनाएं कोविड महामारी से ज्यादा भयंकर महामारीः डॉ. संजय
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इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की फैकल्टीज के अलावा 300 से अधिक विद्याार्थियों को सड़क सुरक्षा के प्रति सजग किया गया। इस वर्ष सड़क सुरक्षा की थीम- स्टीट्स फॉर लाईफ, लव 30 है। शहरों में वाहनों की गति 30 किमी/घंटा की गति की सीमा में रखनी चाहिए। वैसे भी दुर्घटना होने पर वाहन की जितनी ज्यादा गति होती है उतनी ज्यादा क्षति होती है।
पद्म श्री से सम्मानित डॉ. बीकेएस संजय ने अपने सम्बोधन में बताया कि सड़क दुर्घटनाओं की संख्या एवं दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या ने देश में एक महामारी का रूप धारण कर लिया है। जो कि कोविड महामारी से ज्यादा भंयकर है। अपने देश में सड़कों पर वाहन चालकों के आक्रामक व्यवहार का प्रदर्शन एक आम बात हो गई हैं । दूसरी बात यह है कि सड़क पर चलने वाले भारतीय यातायात के नियमों को तोड़ने में गर्व महसूस करते हैं। डॉ. संजय ने बताया कि रात की दुर्घटनाऐं जानलेवा होती है। दुर्घटनाओं का आंकलन करने से पता चलता है कि चालक की थकावट, उनमें नींद का अभाव तथा नशे का प्रभाव प्रमुख कारण हैं। जिसको उत्तराखंड के चम्पावत, तोता घाटी, चकराता एवं असम, महाराष्ट्र की दुर्घटनाऐं इस बात को सिद्ध करती है।
इंडिया एवं इन्टरनेशनल बुक रिकॉर्डस होल्डर आर्थोपीडिक सर्जन डॉ गौरव संजय ने बताया कि हर साल लगभग पांच लाख सडक दुर्घटनाएं हो रही हैं। जिसमें से एक चौथाई लोगों की तो मौत हो जाती है और केवल एक चौथाई लोग ही अच्छे इलाज के बावजूद ठीक हो पाते हैं जबकि अन्य में कुछ ना कुछ परेशानियां बनी रहती हैं जिससे न केवल पीड़ितों की बल्कि देश की भी आर्थिक स्थिति बिगड रही है। सड़क दुर्घटना के बाद गरीब आदमी और गरीब होता जा रहा है।
कोरोना महामारी का कारण तो कोरोना वाइरस है जो इतना सूक्ष्म है कि हम देख नहीं सकते। इसलिए पकड़ नहीं सकते, लेकिन सड़क दुर्घटना के कारक जो कि चालक हैं, जिनके कारण 90 फीसद सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, उनको तो सरकार पकड़ सकती है और इस तरह के लोगों को वाहन चलाने से रोक सकती है। ऐसे लोगों को ड्राईवरी के अलावा कोई और काम दिया जा सकता है। इससे सड़क दुर्घटनाओं की संख्या पर नियंत्रण किया जा सकता है। सड़क सुरक्षा अभियान के दौरान पिछले स्कूलों-कॉलेजों की भाँति यह पर भी उपस्थित युवा छात्रों को सड़क सुरक्षा यातायात के नियमों को पालन करने की शपथ दिलाई। इसी कड़ी में क्रमशः सड़क सुरक्षा जागरूकता व्याख्यान को दूसरे संस्थानों में तय किया गया है। इनमें वैदिक तपोवन आश्रम देहरादून, तुला इंस्टिट्यूट देहरादून ऑल इंडिया रेडियो देहरादून इत्यादि शामिल हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।