खुलासाः गलवान घाटी में झड़प के दौरान 38 चीनी सैनिकों की नदी में बहने से हुई थी मौत
लद्दाख की गलवान घाटी में वर्ष 2020 में हुई भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प को लेकर नए खुलासे हो रहे हैं। झड़प में चीन को उसके दावे से कहीं ज्यादा नुकसान हुआ था।

द क्लैक्सन (The Klaxon) के संपादक एंथनी क्लान ने इस संबंध में NDTV को एक विशेष साक्षात्कार भी दिया। इसमें बताया कि जब हाथापाई हुई थी, उस वक्त भारतीय सैनिक यह पता लगाने आए थे कि क्या चीनियों ने बफर ज़ोन में अपने शिविर हटा दिए थे। उन्होंने कहा कि इस बात के सबूत हैं कि नदी पार कर वापस जाने में कई चीनी सैनिक बह गए। उन्होंने कहा कि यह जानकारी चीनी सोशल मीडिया से हटाए गए फर्स्ट-हैंड अकाउंट्स से मिली थी।
द क्लैक्सन ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत के कर्नल संतोष बाबू और उनके सैनिक 15 जून को चीनी अतिक्रमण को हटाने के प्रयास में विवादित क्षेत्र में गए थे। जहां पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के कर्नल क्यूई फाबाओ लगभग 150 सैनिकों के साथ मौजूद थे। क्यूई फाबाओ ने 6 जून, 2021 को की गई आपसी सहमति की तर्ज पर इस मुद्दे पर चर्चा करने के बजाय, अपने सैनिकों को युद्धक तैनाती करने का आदेश दिया।
कर्नल फैबाओ ने भारतीय सैनिकों पर हमला किया और भागने में उसकी मदद करने के लिए, दो अन्य पीएलए अधिकारियों – बटालियन कमांडर चेन होंगजुन और सैनिक चेन जियानग्रोंग – ने स्टील पाइप, लाठी और पत्थरों का उपयोग करके भारतीय सैनिकों के साथ हाथापाई शुरू कर दी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कर्नल फैबाओ को भारतीय सेना के एक सिपाही ने सिर पर मारा। इससे वह गंभीर रूप से घायल होकर वह वापस भाग गया।
गलवान डिकोडेड शीर्षक से सोशल मीडिया शोधकर्ताओं की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, द क्लैक्सन ने तब रिपोर्ट किया कि होंगजुन और जियानग्रोंग को भारतीय सेना ने तुरंत चुप करा दिया। अखबार ने रिपोर्ट में कहा कि कर्नल फैबाओ के मैदान छोड़ने के बाद मेजर चेन होंग्रुन, जूनियर सार्जेंट जिओ सियान और प्राइवेट चेन जियानरोंग के शव को देखते हुए पीएलए सैनिक पीछे हटने में घबरा गए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यानचेंग काउंटी के लुओहे सिटी के हेनान में 1996 में जन्मे वांग ज़ुओरान अपने साथी मा मिंग के साथ आगे आए और पीछे हट रहने अपने सैनिकों का मार्गदर्शन किया और खतरे से बाहर निकालने में उनकी मदद की। द क्लैक्सन ने सोशल मीडिया रिसर्चर्स की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि पीएलए के सैनिकों के पास पानी की पैंट पहनने का भी समय नहीं था। उन्होंने वांग के मार्गदर्शन में नदी के बर्फीले पानी को घने अंधेरे में पार करने का फैसला किया। इस बीच नदी का स्तर अचानक बढ़ गया। घायल चीनी सैनिक फिसलते रहे और धारा में बहते रहे।
इस लड़ाई में भारत के 19 अन्य सैनिकों के साथ कर्नल संतोष बाबू शहीद हो गए थे। घटनाओं के चीन के आधिकारिक संस्करण में केवल एक सैनिक – जूनियर सार्जेंट वांग ज़ुओरान को डूबा हुआ बताया गया। सिर में गंभीर चोट लगने वाले रेजिमेंट कमांडर क्यूई फैबाओ बीजिंग में शुक्रवार से शुरू हो रहे शीतकालीन ओलिंपिक के 1200 मशालदारों में शामिल थे।
उन्हें चीनी राज्य मीडिया द्वारा एक नायक के रूप में पेश किया गया। उनके खेलों में उनके शामिल होने की सूचना दी गई। ऑस्ट्रेलियाई दैनिक ने बताया कि बीजिंग गलवान की झड़प के बारे में चर्चा को बंद कराने के लिए चरम सीमा तक चला गया था। साथ ही चीनी हताहतों की सही संख्या के बारे में चर्चा को लेकर उसने मौन साध लिया था।
Bhanu Bangwal
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।