Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

September 30, 2024

गृह परीक्षा के बाद योग के जरिये महामारी से उबरने का संकल्प

1 min read
देहरादून में राजकीय इंटर कॉलेज बुरांसखंडा रायपुर की गृह परीक्षा सम्पन्न होने के साथ ही विद्यालय परिसर में कोरोना कॉल के नियमों को ध्यान में रखते हुए "योग शिविर" के माध्यम से वर्तमान संकट से स्वयं एवं मानव जीवन को उबारने का संकल्प लिया गया।

देहरादून में राजकीय इंटर कॉलेज बुरांसखंडा रायपुर की गृह परीक्षा सम्पन्न होने के साथ ही विद्यालय परिसर में कोरोना कॉल के नियमों को ध्यान में रखते हुए “योग शिविर” के माध्यम से वर्तमान संकट से स्वयं एवं मानव जीवन को उबारने का संकल्प लिया गया। उत्साही सीनियर छात्रों के सहयोग से अन्य बच्चों को योगाभ्यास करवाकर ‘योग’ को जीवन रेखा से जोड़कर आगे बढ़ने का संदेश दिया गया।
वास्तव में कोरोना कॉल के लॉकडाउन की वजह से हमारी अर्थव्यवस्था में प्रतिकूल असर पड़ा है। इसका सीधा असर हमारी दिनचर्या के साथ साथ हमारे स्वास्थ्य पर भी पड़ता दिखाई दिया। ऐसे समय में अगर हम अपने स्वास्थ्य की देखभाल स्वयं करें तो हम शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे। वहीं हमारा अधिकांश पैसा जो अनावश्यक रूप से दवाओं के रूप में खर्च हो जाता है। उसे बचाकर हम इकाई के रूप में आर्थिक विकास में मददगार साबित हो सकते हैं।


अभी भी यह समय सीनियर सिटीजन व बच्चों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है। हाँ, हम अनुभव के आधार पर कह सकते हैं कि घर के सीनियर सिटीजन के लिए बच्चों के चेहरे की मुस्कान और उनके साथ बतियाना किसी थैरेपी से कम नहीं है। देखने में आ रहा है कि आज मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की चकाचौंध में बच्चे एकाकी होते जा रहे हैं। इसका सीधा असर उनके मस्तिष्क पर तो पड़ ही रहा है। साथ ही घर के बड़े -बुजुर्गों को भी बतियाने के लिए एक-दूसरे की ओर ताकते हुए देखा जा सकता है। ऐसी स्थिति में योग-साधना संजीवनी साबित होगी। हमारे समक्ष प्रत्यक्ष प्रमाण हैं कि समय के साथ-साथ सब कुछ बदलता रहता है। यह भी सत्य है कि उनमें से कुछ बदलाव हमारे लिए लाभदायक होते हैं, जबकि कुछ नुकसानदायक भी। हमारा जीवन एक प्रकार का योग ही है।


हमें अनुलोम-विलोम की भांति बाहर निकालें बुरे विचार
हम दोनों हाथ जोडकर नमस्ते करने के वजाय एक-दूसरे से हाथ मिलाकर अभिवादन करना शान समझने लगे थे। आज कोरोना-कॉल ने हमें अपनी पुरातन संस्कृति की यादें पुनः ताज़ी करवा दी। अगर वैज्ञानिक दृष्टि से भी देखें, तो ‘नमस्ते’ मुद्रा में हमारी अंगुलियों के शिरो बिंदुओं का मिलान होता है। यहां पर आंख, कान और मस्तिष्क के प्रेशर प्वॉइंट्स भी होते हैं। दोनों हाथ जोड़ने के क्रम में इन बिंदुओं पर दबाव पड़ता है। इससे संवेदी चक्र प्रभावित होते हैं, और यही वजह है, कि हम अमुक व्यक्ति को अधिक समय तक याद रख पाते हैं।
इतना ही नहीं, नमस्ते से एकदूसरे के साथ किसी तरह का शारीरिक संपर्क न होने से कीटाणुओं के संक्रमण का खतरा भी नहीं रहता। दूसरी ओर ऐसा करने से हमारे मन में उस व्यक्ति के प्रति तो अच्छे भाव आते ही हैं, साथ ही उसके मन में भी हमारे लिए स्वतः आदर सम्मान उत्पन्न आने लगता है। योगा में विद्यालय के छात्रों दिव्यांश, सूरज, शानवी, मानसी, रिया, देव व समीर के अलावा प्रधानाचार्य सहित शिक्षक-कर्मचारियों ने भी बढ़चढ़कर रुचि दिखाई।


लेखक का परिचय
कमलेश्वर प्रसाद भट्ट
प्रवक्ता अर्थशास्त्र
राजकीय इंटर कॉलेज बुरांखंडा, रायपुर देहरादून उत्तराखंड
मो०- 9412138258
email- kamleshwarb@gmail.com

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *