सिलक्यारा टनल में रेस्क्यू जारी, अब हाथ से खुदाई, जानिए अब तक की अपडेट खबर
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग में भूस्खलन के बाद से फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान 16 वें दिन सोमवार 27 नवंबर को भी जारी है। श्रमिकों तक पहुंचने के लिए आगर मशीन से की जा रही खुदाई 24 नवंबर को बंद हो गई थी। कारण ये था कि मशीन उस समय टूट गई, जब श्रमिकों से दूरी सिर्फ 10 मीटर के करीब रह गई थी। मशीन से 80 एमएम का पाइप डाला जा रहा था। इसके जरिये श्रमिकों को बाहर निकालना था। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने कहा कि उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में ऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्सों को निकालने के बाद हाथों से खुदाई जारी है। वहीं, उत्तराखंड टनल में फंसे मजदूरों के निकालने के लिए अब वर्टिकल ड्रिलिंग भी शुरू हो गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मशीन के टूटे ब्लेड निकाले गए बाहर
सूत्रों के मुताबिक, ऑगर मशीन के ब्लेड पूरे निकल दिए गए हैं। ड्रील करते समय स्टील के जाल में ब्लेड फंस गए थे। ड्रिलिंग मशीन के ब्लेड को प्लाज्मा कटर और लेजर कटर के जरिए निकले गए हैं। इसके बाद मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू की गई। 800 mm के पाइप के बीच से जाकर लैंडस्लाइड का मलबा मैन्युअल तरीके से निकाला जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
20 मीटर तक हो चुकी है वर्टिकल ड्रिलिंग
एनडीएमए के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि सुरंग में फंसे श्रमिकों को बचाने के लिए सभी प्रयास जारी हैं। हसनैन ने कहा कि दूसरा सबसे अच्छा विकल्प माने जाने वाली वर्टिकल ड्रिलिंग का काम दोपहर के आसपास शुरू हुआ और 20 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो चुकी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है योजना
अब योजना ये है कि ख़ुद एक्सपर्ट श्रमिक अंदर जाकर उपकरणों के सहारे मलबे को हटाएंगे और रास्ते में आने वाली रॉड्स को भी काटेंगे। इस काम में वक़्त लगेगा। उन्होंने कहा कि एक बार टूटे हुए हिस्सों को निकाल लेने के बाद फंसे हुए श्रमिकों तक पहुंचने के लिए 15 मीटर की खुदाई हाथों से की जाएगी। हालांकि, इसमें समय लग सकता है। बचाव अभियान को सफल बनाने के लिये सभी संबंधित एजेंसियां काम कर रही हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वर्टिकल ड्रिलिंग शूरू
सुरंग के मुहाने से क़रीब 305 मीटर दूर ऊपर पहाड़ से सतलुज जल विकास निगम की मशीन ड्रिल शुरू कर चुकी है। यहां से 86 मीटर नीचे ड्रिलिंग करनी होगी। इसके बाद सुरंग आती है, जहां मज़दूर फंसे हैं। ये काम पूरा होने में चार से पांच दिन लग सकते हैं। इसके लिए भारी मशीनरी आज सुबह पहाड़ पर पहुंचा दी गई। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
तीसरा रास्ते पर भी काम
इसके अलावा एक तीसरा रास्ता सुरंग के दायीं ओर से बनाया जा रहा है जहां टनल बोरिंग मशीन की मदद से 180 मीटर छोटी सुरंग बनाने की कोशिश है। भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स के एक इंजीनियर समूह, मद्रास सैपर्स की एक इकाई, बचाव कार्यों में सहायता के लिए रविवार को साइट पर पहुंची। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
चौथा रास्ता बनाने की भी कोशिश
श्रमिकों तक पहुंचने के लिए चौथा रास्ता बड़कोट की ओर से बनाने की कोशिश है। जहां क़रीब पांच सौ मीटर के आसपास पहाड़ को काटा जाना है। सबसे ज़्यादा उम्मीद अब भी सिल्क्यारा की ओर से हो रही कोशिश और फिर वर्टिकल ड्रिलिंग से ही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खाना, पानी के साथ की जा रही है ऑक्सीजन की आपूर्ति
इस बीच अंदर फंसे मज़दूरों तक छह इंच के एक पाइप के ज़रिए रोज़ खाना, पानी, ऑक्सीजन पहुंचाया जा रहा है। उनसे लगातार बात हो रही है। उन्हें सुरक्षित निकालने का आश्वासन दिया जा रहा है। सुरंग में फंसे सभी मजदूरों के तनाव को कम करने के लिए की जा रही कोशिशों के तहत बीएसएनएल ने उनको एक लैंडलाइन भेजने का कदम उठाया है, जिसके जरिए वे अपने परिवारों से बात कर सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रधान सचिव पीके मिश्रा पहुंचे सिलक्यारा
प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पीके मिश्रा, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला व मुख्य सचिव एसएस संधू सिलक्यारा पहुंच गए हैं। वह रेस्क्यू ऑपरेशन का जायदा लेंगे। वहीं, केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह (सेवानिवृत्त) ने उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग के मुहाने के पास बने मंदिर में पूजा-अर्चना की। ऑगर मशीन की विफलता के बाद, फंसे हुए 41 श्रमिकों तक पहुंचने के लिए सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग शुरू हुई थी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्षतिग्रस्त पाइप को निकालने का प्रयास जारी
1-2 मीटर क्षतिग्रस्त पाइप को हटाने पर पूर्व इंजीनियर-इन-चीफ और बीआरओ डीजी लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) हरपाल सिंह ने कहा कि मौजूदा स्थिति में जो ऑगर मशीन फंसी थी, उसे हटा दिया गया है। क्षतिग्रस्त पाइप का 1.5 मीटर हिस्सा निकालने के प्रयास जारी हैं। हमें उम्मीद है कि ये जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है घटनाक्रम
गौरतलब है कि जनपद उत्तरकाशी के यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर धरासू एवं बड़कोट के मध्य सिल्क्यारा के समीप लगभग 4531 मीटर लम्बी सुरंग का निर्माण हो रहा है। इसमें सिल्क्यारा की तरफ से 2340 मीटर तथा बड़कोट की तरफ से 1600 मीटर निर्माण हो चुका है। इसमें 12 नवम्बर 2023 की सुबह सिल्क्यारा की तरफ से लगभग 270 मीटर अन्दर लगभग 30 मीटर क्षेत्र में ऊपर से मलबा सुरंग में गिर गया था। इसमें 41 व्यक्ति फँस गए। उसी दिन से श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू अभियान चल रहा है। टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं। चारधाम रोड प्रोजेक्ट के तहत ये टनल बनाई जा रही है।
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।