दूर करें दिवाली को लेकर कन्फ्यूजन, इस बार छह दिन का है दिवाली पर्व, जानिए पूजा का मुहूर्त, इन राशियों की चमकेगी किस्मत

हर साल दिवाली पर्व को लेकर कोई कन्फ्यूजन नहीं रहता था। दिवाली पर्व पांच दिन का होता था, लेकिन इस बार वर्ष 2025 में दिवाली पर्व छह दिन तक मनाया जाएगा। लोगों में कन्फ्यूजन है कि दिवाली 20 अक्टूबर और 21 अक्टूबर में किस दिन मनाएं। कारण ये है कि दीपावली सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह देवी लक्ष्मी की कृपा पाने का शुभ अवसर है। सही समय पर पूजा करने से समृद्धि, शांति और कल्याण की प्राप्ति होती है। दीपावली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाया जाता है। श्री शुभ सम्वत् 2082 शाके 1947 कार्तिक कृष्ण अमावस्या (प्रदोष-कालीन) 20 अक्तूबर 2025 सोमवार को है। इस दिन चतुर्दशी तिथि सूर्योदय से लेकर दोपहर 03 बजकर 44 मिनट तक रहेगी, तत्पश्चात् अमावस्या तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। दीपावली के पूजन हेतु धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल एवं महानिशीथ काल मुख्य हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दिवाली तिथि मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, दिवाली कार्तिक अमावस्या तिथि को प्रदोष काल में यानि सूर्यास्त के बाद मनाई जाती है। उस समय में लक्ष्मी पूजा करते हैं। इस बार 20 अक्टूबर की दोपहर 03:44 बजे से कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारंभ हो रही है, जो पूरी रात रहेगी। ऐसे में दीपावली का पर्व 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है पंचांग
सूर्यास्त का समय: शाम 05:46 बजे
प्रदोष काल: शाम 05:46 बजे के बाद
21 अक्टूबर को दिवाली की अमावस्या
कार्तिक अमावस्या तिथि प्रात:काल से लेकर शाम 5:54 बजे तक है.
सूर्यास्त का समय: शाम 05:45 बजे
प्रदोष काल: शाम 05:46 बजे के बाद (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दिवाली की सही तारीख
अब अगर 20 अक्टूबर को दिवाली मनाते हैं तो आपको लक्ष्मी पूजा का प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद पूरा प्राप्त हो रहा है। निशिता काल की भी लक्ष्मी पूजा कर लेंगे। वहीं 21 अक्टूबर को दिवाली मनाते हैं तो अमावस्या तिथि में प्रदोष काल केवल 9 मिनट तक ही है। उस दिन लक्ष्मी पूजा के लिए आपको केवल 9 मिनट ही मिलेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
प्रदोष काल
20 अक्तूबर 2025 को दीपावली के दिन धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 07 मिनट तक रहेगा। इसमें स्थिर लग्न वृष का समावेश 06 बजकर 59 मिनट से लेकर 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।
चौघड़िया मुहूर्त
चर चौघड़िया घं.05 मि.36 से घं.07 मि.10 तक, तत्पश्चात् लाभ चौघड़िया की वेला घं.10 मि.19 से घं.11 मि.53 तक रहेगी। तथा शुभ,अमृत, चर चौघड़िया की संयुक्त वेला रात्रि घं.01 मि.28 से घं.06 मि.11 तक रहेगी। 20 अक्तूबर को अमावस्या, प्रदोष काल, वृष लग्न और चर चौघड़िया का पूर्ण शुभ संयोग रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अमावस्या और महानिशीथ काल का संयोग
इसके बाद महानिशीथ काल रात्रि रात्रि घं.11 मि.45 से घं.12 मि.39 तक रहेगा। इस समयावधि में अमावस्या और महानिशीथ काल का पूर्ण संयोग रहेगा। उल्लेखनीय है कि दीपावली में महानिशीथ काल अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इसमें लाभ चौघड़िया की वेला रहेगी। इसके बाद रात्रि घं.01 मि.18 से घं.03 मि.32 तक स्थिर लग्न सिंह रहेगी। इस समयावधि में अमावस्या और सिंह लग्न का पूर्ण संयोग रहेगा तथा इसमें भी शुभ चौघड़िया की वेला घं.01 मि.28 से घं.03 मि.02 तक रहेगी। इस प्रकार 20 अक्तूबर 2025 सोमवार को अमावस्या रात्रि पर्यन्त रहेगी। उसमें उपरोक्त शुभ योगों का समावेश भी रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अब 21 अक्तूबर 2025 मंगलवार की स्थिति का विश्लेषण देखिए। इस वर्ष 21 अक्तूबर 2025 दिन मंगलवार को सूर्योदय से शाम घं.05 मि.54 तक अमावस्या तिथि रहेगी, तत्पश्चात् कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा प्रारम्भ हो जाएगी। 21 अक्तूबर 2025 मंगलवार को अमावस्या के दिन धर्मशास्त्रोक्त प्रदोष काल घं.05 मि.36 से लेकर घं.08 मि.07 तक रहेगा। इसमें स्थिर लग्न वृष का समावेश घं.06 मि.55 से लेकर घं.08 मि.52 तक रहेगा। काल (अशुभ) चौघड़िया घं.05 मि.26 से घं.07 मि.00 तक, तत्पश्चात् लाभ चौघड़िया की वेला घं.07 मि.00 से घं.08 मि.34 तक रहेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
यहां ध्यान देने योग्य विशेष तथ्य है कि, मंगलवार को अमावस्या तिथि सूर्यास्त के बाद कुल 24 मिनट रहेगी, उसके बाद शुक्ल प्रतिपदा लगेगी, उसमें भी स्थिर लग्न वृष घं.06 मि.55 से लगेगी, और इसके पूर्व घं.05 मि.54 पर अमावस्या समाप्त हो जाएगी। इस कारण पूजन का समय कुल 24 मिनट का प्राप्त होगा। उसमें भी वृष लग्न नहीं मिलेगी और उसमें काल की चौघड़िया का अशुभ योग विद्यमान रहेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
21 अक्तूबर 2025 मंगलवार को महानिशीथ काल के एवं स्थिर लग्न सिंह के समय अमावस्या तिथि का अभाव रहेगा। कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तत्कालीन तिथि हो जाएगी। 21 अक्तूबर मंगलवार को महानिशिथ काल एवं सिंह लग्न के समय अमावस्या तिथि का अभाव रहेगा।उस समय कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि हो जायेगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दीपावली रात्रि का त्योहार है और इसका मुख्य पूजन रात्रि में अमावस्या के समय किया जाता है। अमावस्या की तिथि में प्रदोष काल का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल वह समय है जब सूर्यास्त के बाद लगभग 2 घंटे 24 मिनट तक की अवधि होती है। शास्त्रों के अनुसार, जिस दिन अमावस्या प्रदोष काल और महानिशिथ काल में व्याप्त होती है, उसी दिन दीपावली का पर्व मनाना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
20 अक्टूबर को दिवाली मनाने का कारण
20 अक्तूबर को अमावस्या की शुरुआत दोपहर में हो रही है, जो पूरी रात तक रहेगी, वहीं, 21 अक्तूबर को सूर्यास्त के बाद अमावस्या समाप्त हो जाएगी। प्रदोष और अर्धरात्रि व्यापनी मुख्य है। इसलिए दीपावली 20 अक्तूबर को मनाई जाएगी। इसके साथ ही धनतेरस का पर्व 18 अक्तूबर को, नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली) 19 अक्तूबर, दीपावली का महापर्व 20 अक्तूबर, 21 अक्तूबर को स्नान दान की अमावस्या, 22 अक्तूबर को गोर्वधन पूजा और 23 अक्तूबर को भाई दूज का पर्व मनाया जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
20 अक्टूबर को कार्तिक अमावस्या तिथि में प्रदोष से लेकर पूरी रात तक लक्ष्मी पूजा के कई मुहूर्त मिलेंगे, जबकि 21 अक्टूबर को ऐसा नहीं है। ऐसे में 20 अक्टूबर को दिवाली मनाना ज्यादा सही है। क्योंकि, इसमें सभी लोगों को अपने समय के अनुसार, लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त मिल जाएगा। वहीं 21 अक्टूबर को केवल 9 मिनट में लक्ष्मी पूजा करना सबके लिए संभव नहीं है। इस वजह से अधिकांश विद्वानों दिवाली की तारीख 20 अक्टूबर बताई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
18 अक्टूबर को धनतेरस
दीपावली महापर्व की शुरुआत धनतेरस से होती है, यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह शुभ तिथि 18 अक्टूबर दिन शनिवार को है। इस दिन धन्वंतरि भगवान (आयुर्वेद के देवता) और कुबेर देव की पूजा की जाती है। इस दिन समुद्र मंथन से धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसीलिए धनतेसर के पर्व को आरोग्य और धन की स्थिरता का प्रतीक माना गया है। इस दिन सोना-चांदी, बर्तन, नए सामान की खरीदारी शुभ मानी जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
छोटी दिवाली और नरक चतुर्दशी
दीपावली महापर्व के दूसरे दिन छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है. इस बार यह पर्व 19 अक्टूबर दिन रविवार को मनाया जाएगा। हर वर्ष यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। छोटी दिवाली के दिन भगवान कृष्ण और यमराज की पूजा की जाती है और इस दिन घरों में दीपक जलाए जाते हैं। एक मुख्य दीपक दक्षिण दिशा की तरफ यम के नाम का जलाया जाता है। वहीं भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन नरकासुर का वध किया था इसीलिए इसे नरक चतुर्दशी कहा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गणेश-लक्ष्मी पूजन
महापर्व का सबसे बड़ा पर्व है गणेश-लक्ष्मी पूजन वाला दिन, यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 20 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाया जाएगा। जब अमावस्या की अंधकार रात होती है, तब दीपक जलाकर पूरे परिवार के साथ गणेश-लक्ष्मी पूजन किया जाता है। गणेश-लक्ष्मी के साथ इस दिन कुबेर देव की भी पूजा होती है। अमावस्या चंद्र रहित होने की वजह से इस अंधकार में दीप प्रज्वलन ज्ञान का प्रतीक है। दीपावली महापर्व का यह सबसे बड़ा दिन मनाया जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नोटः यह समाचार धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं, ज्योतिष, पंचाग आदि पर आधारित है। लोकसाक्ष्य की ओर से ऐसा कोई भी दावा नहीं किया जाता है।
गोवर्धन पूजन 22 अक्टूबर को
दीपावली महापर्व का चौथा पर्व गोवर्धन पूजन होता है, गोवर्धन पूजन को अन्नकूट के नाम से जाना जाता है। हर वर्ष यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 22 अक्टूबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन गोबर से घर घर गोवर्धन महाराज बनाए जाते हैं और पूरे परिवार के साथ पूजन किया जाता है। इस दिन श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठाकर देवराज इंद्र का अभिमान तोड़ा और ब्रजवासियों की रक्षा की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भाई दूज 2025
दीपावली महापर्व का अंतिम पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। हर वर्ष यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है और इस बार यह पर्व 23 दिन अक्टूबर दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन बहनें भाइयों को तिलक कर उनके दीर्घायु की कामना करती हैं और फिर भाई उपहार स्वरूप वस्त्र या मिठाई देते हैं। भाई दूज का पर्व प्रेम, स्नेह और दीर्घायु का प्रतीक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दिवाली पर 71 साल बाद बना दुर्लभ संयोग
दीवाली के अवसर पर इस बार हंस राजयोग, बुधादित्य राजयोग और सर्वार्थ सिद्धि योग का शुभ संयोग बना हुआ है। करीब 71 साल बाद दिवाली के अवसर पर यह योग बने हैं। इससे पहले वर्ष 1954 में दीपावली के मौके पर ग्रहों का ऐसा संयोग बना था। इस बार गुरु अपनी उच्च राशि कर्क में गोचर करेंगे। इससे हंस राजयोग प्रभाव में आएगा। वहीं, सूर्य और बुध की युति तुला राशि में होने से बुधादित्य राजयोग बनेगा। वहीं, सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ साथ कलानिधि योग का संयोग भी रहने वाला है। ऐसे में ग्रहों की इस शुभ स्थिति से सबसे ज्यादा लाभ मेष, मिथुन कई राशियों को तरक्की, उन्नति और धन लाभ मिलेगा। साथ ही भाग्य का साथ मिलने से मालामाल होंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस बार दिवाली में एक अद्भुत योग बनने जा रहा है। ज्योतिषियों का कहना है कि दिवाली 2025 पर दुर्लभ पंचमांश योग बनेगा। इसे अंग्रेजी में Quintile Aspect कहते हैं। यह योग कई राशियों के लिए खुशियों और उपलब्धियों का समय लेकर आ रहा है। छोटी दिवाली यानी कि 19 अक्टूबर 2025 से बनने वाला ‘क्विनटाइल ऐस्पेक्ट’ हर राशि पर असर डालेगा, लेकिन तीन राशियों के लिए यह योग जीवन में उन्नति और समृद्धि के नए रास्ते खोलेगा। दीपावली में इन पांच राशियों की किस्मत चमक सकती है। जानते हैं किन राशियों की किस्मत दिवाली में चमकने वाली है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मेष राशि
दिवाली के मौके पर मेष राशि के लोगों को ढेर सारी खुशियां मिल सकती हैं। दरअसल, इन राशि वालों के सप्तम भाव में बुधादित्य और आदित्य मंगल योग बनेगा। ऐसे में आप इस दौरान अपने ज्ञान का सही इस्तेमाल करके बड़ा लाभ हासिल कर सकते हैं। साथ ही उनके अंदर एक अलग ही ऊर्जा देखने को मिलेगी। वे इस दौरान वह सभी काम करेंगे, जो करने से आप अब तक डर रहे थे। ऐसे काम में उन्हें सफलता भी मिल सकती है। बस इस बात का ख्याल रखें कि जो भी निर्णय लें जल्दबाजी में न लें। साथ ही परिवार के किसी सदस्य से जुड़ी कोई बड़ी खुशखबरी मिल सकती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लोगों के लिए दिवाली का पर्व आपको मालामाल करने वाला है। दीपावली के शुभ अवसर पर शुक्र और चंद्रमा की युति आपके चौथे भाव में होगी। ऐसे में आपको भाग्य का पूरा साथ मिलेगा। साथ ही इन राशि वाला कोई संपत्ति या धन आदि की खरीदारी कर सकता हैं या किसी नए काम की शुरुआत भी कर सकता है। वहीं, यह समय उनके लिए पूरी तरह से सौभाग्यशाली रहने वाला है। सभी की अधूरी इच्छाएं पूरी होंगी और अपने परिवार के साथ काफी अच्छा समय बीताएंगे। आपके परिवार के साथ रिश्ते पहले से काफी मजबूत होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों को दिवाली के मौके पर हंस राजयोग से लाभ मिलने वाला है। दरअसल, इस दौरान गुरु अपनी उच्च राशि कर्क में गोचर करेंगे। ऐसे में गुरु उनके करियर में अब अलग ऊंचाइयों पर लेकर जा सकते हैं। ऐसे लोगों को एक के बाद एक कई अच्छे अवसर मिलने लगेंगे। इस अवधि में आपको धन, समृद्धि, उच्च पद और सफलता, सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी। हंस राजयोग के प्रभाव से आप भौतिक सुख-सुविधाओं से भरपूर जीवन जीएंगे। साथ ही समाज में भी प्रतिष्ठा और सम्मान मिलेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों को दिवाली के मौका पर कलानिधि योग का बेहद ही शुभ संयोग बनेगा। चंद्रमा और शुक्र की युति आपकी राशि में होने जा रही है। ऐसे में कन्या राशि के जातक कोई बड़ी उपलब्धि हासिल कर सकते हैं। साथ ही करियर में भी उनको सुनहरे अवसर मिलेंगे। ऐसे अवसर जिसका वे लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। वहीं, रचनात्मक क्षेत्रों जैसे संगीत, नृत्य और लेखन में आपकी रुचि बढ़ेगी। अब अपनी हॉबी के लिए समय निकालेंगे। शिक्षा व शोध से जुड़े जातक उच्च पद प्राप्त कर सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
मकर राशि
मकर राशिवालों को दिवाली के मौके पर धन संपत्ति का सुख मिल सकता है। भाग्य अब उनका पूरी तरह से साथ देंगा। साथ ही इस दौरान इस राशि के लोग नया मकान, दुकान में निवेश कर सकते हैं। या नया वाहन आदि की खरीदारी कर सकते हैं। साथ ही उनका व्यक्तित्व आकर्षक बनेगा। ऐसे लोग आध्यात्मिक रूप से काफी सक्रिय होंगे। उनका मन धार्मिक कार्यों में अधिक रहेगा। वे नया सीखने में रुचि रखेंगे। उनकी वाणी मधुर होगी। वाणी के बल पर वे करियर और परिवार में सामंजस्य बनाकर रखेंगे।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।