याद करो- ना खाऊंगा ना खाने दूंगा, अब भ्रष्टाचार के मामले में देश की रैकिंग फिसली, 180 देशों में 93वें स्थान पर भारत
याद करो पीएम नरेंद्र मोदी का भाषण। जब वह भ्रष्टाचार, कालेधन को लेकर मुद्दा बनाते रहते थे। साथ ही कहते थे कि ना खाऊंगा और ना ही खाने दूंगा। क्या उनका ये कथन सही साबित हुआ या फिर चुनावी जुमला मात्र था। क्योंकि पीएम जिन लोगों को भ्रष्टाचारी बोलते हैं, यदि वे बीजेपी के साथ आ जाते हैं, तो उनके आरोप भी धुल जाते हैं। ऐसे कई उदाहरण हैं। ऐसे में पीएम का कथन सिर्फ जुमला होता है, इस सवाल का जवाब आपको भ्रष्टाचार के मामले में भारत की स्थिति से मिल जाएगा। भ्रष्टाचार के मामले में भारत की स्थिति में 2022 की तुलना में 2023 में और बदलाव हुआ है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत 180 देशों में 93 वें स्थान पर रहा। इस दौरान भारत के समग्र स्कोर में बहुत हद तक कोई बदलाव नहीं हुआ, लेकिन देश की रैंकिंग आठ स्थान नीचे खिसक गई है। यानि कि भारत में और भ्रष्टाचार बढ़ा है।
भ्रष्टाचार के मामले में भारत की स्थिति पिछले साल के मुकाबले और खराब हो गई है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रिपोर्ट में कही गई ये बात
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट में बताया गया कि 2022 में भ्रष्टाचार के मामले में भारत का ओवरऑल स्कोर 39 था, जो इस साल यानी 2023 में बढ़कर 40 हो गया है। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक की लेटेस्ट रिपोर्ट में बताया गया कि साल 2023 में कुल 180 देशों में भारत 93वें रैंक पर पहुंच गया है। साल 2022 में Corruption Perceptions Index में भारत की रैंकिंग 85 थी, जो इस साल बढ़कर 93 हो गई है। इस लिहाज से भारत 8 स्थान औऱ नीचे गिर गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ऐसे तय किया जाता है कौन देश कितना भ्रष्ट
बता दें कि इस इंडेक्स में विशेषज्ञों और उद्योग क्षेत्र के लोगों के अनुसार 180 देशों और क्षेत्रों को पब्लिक सेक्टर में भ्रष्टाचार के लेवल पर रखा जाता है। इसमें 0 से 100 तक मानदंड रखा गया है। इसमें 0 बहुत भ्रष्ट के लिए और 100 पूरी तरह क्लीन इमेज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। 2023 का भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) इस ओर संकेत करता है कि दुनियाभर में भ्रष्टाचार बढ़ रहा है। रिपोर्ट में कहा गया कि दो-तिहाई से ज्यादा देशों का स्कोर 100 में से 50 से नीचे है। जो बढ़ते भ्रष्टाचार की तरफ इशारा करता है।(खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ग्लोबल लेवल पर देखा जाए तो एवरेज स्कोर 43 पर अटका हुआ है, जबकि ज्यादातर देशों ने पिछले दशक में कोई प्रगति ही नहीं की है, या इसमें गिरावट आ गई है। इससे भी ज्यादा, 23 देश इस वर्ष अब तक के अपने न्यूनतम स्कोर पर आ गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत के मामले में रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत (39) के स्कोर में उतार-चढ़ाव इतना छोटा है कि किसी भी महत्वपूर्ण बदलाव पर कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है। हालांकि, चुनावों से पहले, भारत में नागरिकों के लिए स्थान सिकुड़ता देखा जा रहा है, जिसमें एक (दूरसंचार) विधेयक का पारित होना भी शामिल है। जो मौलिक अधिकारों के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भारत के पड़ोसी देशों का हाल
भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक 2023 की रिपोर्ट में भारत के पड़ोसी देश जैसे पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, और चीन जैसे देशों की भी स्थिति बताई गई है। इस हिसाब से पाकिस्तान की रैंकिंग 133 है, जबकि श्रीलंका की रैंकिंग 115 है। इन देशों में भ्रष्टाचार की ऐसी हालात इसलिए बनी हुई है क्योंकि ये देश अपने कर्ज के बोझ तले दबे हैं और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बांग्लादेश की बात की जाए तो इसकी स्थिति पाकिस्तान औऱ श्रीलंका से भी बुरी है। 149 रैंकिंग के साथ बांग्लादेश पिछले साल के मुकाबले अल्प विकसित देश (LCD) के स्तर से ऊपर उठा है और आर्थिक विकास से वहां गरीबी में लगातार कमी आ रही है और जीवनशैली में सुधार हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन (76) ने पिछले दशक में भ्रष्टाचार के लिए 37 लाख से अधिक सार्वजनिक अधिकारियों को दंडित करके अपनी आक्रामक भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई से सुर्खियां बटोरीं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
भ्रष्टाचार बढ़ने के कारण
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मामलों के सरकारी अधिकारी अपनी इनकम बढ़ाने के एक तरीके के तौर पर अक्सर भ्रष्टाचार का सहारा लेते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र 2024 में एक बड़े चुनावी वर्ष का सामना कर रहा है, जिसमें बांग्लादेश, भारत, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, सोलोमन द्वीप, दक्षिण कोरिया और ताइवान में चुनाव होंगे। भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (CPI) में कहा गया है कि एक और वर्ष ऐसा होगा जिसमें भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में कोई सार्थक प्रगति नहीं होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
टॉप पांच देशों में सबसे कम है भ्रष्टाचार
हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, भ्रष्टाचार के मामले में देखा जाए तो सबसे अच्छा देश डेनमार्क है, क्योंकि यहां सबसे कम करप्शन देखने को मिला। 90 स्कोर के साथ यह देश रैंकिंग में नंबर-1 पर है। इसके बाद, दूसरे नंबर पर फिनलैंड (87 स्कोर), तीसरे पर न्यूजीलैंड (85 स्कोर), चौथे नंबर पर नॉर्वे (84 स्कोर) और पांचवे नंबर पर सिंगापुर है, जिसका ओवरऑल स्कोर 83 है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बेहद खराब प्रदर्शन करने वाले देश
रिपोर्ट में बताया गया कि सोमालिया का ओवरऑल स्कोर 11 है और यह भ्रष्टाचार की रैंकिंग में सबसे नीचे है। इससे थोड़ी ठीक स्थिति वेनेजुएला की है, जिसकी रैंकिंग 177 और स्कोर 143 है। नीचे से तीसरे नंबर पर सीरिया है, जिसकी रैंकिंग वेनेजुएला के बराबर ही है, यानी रैंक-177 और स्कोर 13। साउथ सूडान की भी यही रैंकिंग और स्कोर है। इसके बाद अंत में नीचे से 5 वें नंबर पर येमेन है। जिसकी रैंकिंग 176 औऱ स्कोर 16 है।
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