दो पत्रकारों को राहत, रोहित रंजन को सुप्रीम कोर्ट ने दी गिरफ्तारी से छूट, फैक्ट चेकर जुबैर को अंतरिम जमानत
सुप्रीम कोर्ट से दो पत्रकारों को शुक्रवार को राहत मिली है। इनमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान को तोड़ मरोड़ कर दिखाने वाले जी न्यूज के एंकर की गिरफ्तारी पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। वहीं, फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को यूपी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पांच दिन की अंतरिम जमानत दी है।

रोहित रंजन को मिली राहत
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करने के बाद कानून दांव पेंच में फंसे ज़ी न्यूज़ के एंकर रोहित रंजन को शुक्रवार को कोर्ट की ओर से राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उन्हें गिरफ़्तारी से छूट दी है। दरअसल, एंकर के खिलाफ जयपुर, छत्तीसगढ़ समेत विभिन्न राज्यों के अलग-अलग जिलों में मामले दर्ज कराए गए हैं. ऐसे में वहां की पुलिस उनको गिरफ्तारी करने के प्रयास में है।
बता दें कि जी न्यूज एंकर रोहित रंजन ने अपने ऊपर लगातार हो रही एफआईआर के बीच सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर आज सुनवाई हुई. इस दौरान रोहित के वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि ही मामले में यूपी के अलावा राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी एफआईआर हो गई है। इस पर जज ने कहा कि पूरे मामले में हम नोटिस जारी कर रहे हैं. फिलहाल किसी भी राज्य की पुलिस इस मामले में गिरफ्तारी न करे।
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि हाल ही में एक कार्यक्रम में राहुल गांधी के एक बयान को गलत संदर्भ में पेश करने की वजह से ये विवाद सामने आया था। वायनाड की एक घटना को लेकर राहुल गांधी के बयान को उन्होंने उदयपुर की घटना से जोड़कर दर्शा दिया था। वायनाड में कांग्रेस कार्यालय में तोड़फोड़ की घटना में पकड़े गए युवाओं को राहुल गांधी ने बच्चा बताया था और उन्हें माफ करने को कहा था। वहीं, जी न्यूज ने इसे उदयपुर में आतंकी घटना से जोड़कर ये दर्शाया कि राहुल गांधी ने आतंकी को छोड़ने की बात कही है। इस मामले में रोहित रंजन की ओर से साफ किया गया था कि उनके कार्यक्रम में गलत जानकारी प्रसारित हो गई थी। वह इसके लिए माफी मांगते हैं। वहीं, इस मामले में राजस्थान, छत्तीसगढ़ में रोहित रंजन के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए गए हैं। उन्होंने गिरफ्तार करने छत्तीसगढ़ पुलिस गाजियाबाद स्थित रोहित रंजन के आवास पर पहुंची थी। जहां गाजियाबाद और नोएडा पुलिस पहुंच गई थी। फिर नोएडा पुलिस किसी मामले में पूछताछ के लिए उन्हें साथ ले गई। फिर उन्हें जमानत दे दी गई। तब से रोहित रंजन छिपते फिर रहे थे।
मोहम्मद जुबैर को मिली अंतरिम जमानत
जहां रोहित रंजन पर फर्जी खबरें चलाने के आरोप हैं, वहीं मोहम्मद जुबैर धार्मिक उन्माद के खिलाफ खड़े नजर आते रहे। नुपुर शर्मा के पैगंबर मोहम्मद को लेकर दिए गए विवादित बयान को भी सबसे पहले मोहम्मद जुबैर ही जनता के सामने लाए थे। वहीं, मुस्लिम धर्म गुरुओं को भी वह कई बार बेनकाब कर चुके हैं। मोहम्मद जुबैर को उत्तर प्रदेश में दर्ज एक मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
फैक्ट चेकर और ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को उत्तर प्रदेश में दर्ज एक हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त अंतरिम जमानत दे दी है, लेकिन फिलहाल दिल्ली पुलिस की हिरासत में रहना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने ज़ुबैर को सीतापुर केस में शर्तों के साथ पांच दिन की बेल दी है। इस दौरान ज़ुबैर न तो कोई ट्वीट करेंगे और न ही दिल्ली छोड़ कर कहीं जा सकेंगे।
इससे पहले ज़ुबैर की तरफ से पेश हुए वकील कॉलीन गौनजालविस ने अदालत को बताया कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है। जुबैर की जमानत का विरोध कर रहे तुषार मेहता ने गुजारिश की कि अंतरिम आदेश को सोमवार तक टाल दिया जाए, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए ज़ुबैर को अंतरिम जमानत दे दी।
बता दें कि ज़ुबैर ने जान को खतरा बताते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की अवकाशकालीन पीठ ने सुनवाई की। अपनी याचिका में ज़ुबैर ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के मामले में यूपी पुलिस की ओर से अपने खिलाफ दर्ज FIR को भी रद्द करने की मांग की है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 10 जून को जुबैर की एक रिट याचिका खारिज कर दी थी। बता दें कि मोहम्मद जुबैर ने अपने ट्वीट में कथित तौर पर तीन हिंदू संतों को नफरत फैलाने वाला कहकर बुलाया था। इसी के खिलाफ सीतापुर में जुबैर के खिलाफ हेट स्पीच का केस दर्ज किया गया था।
ज़ुबैर के वकील कॉलिन ने जुबैर की तरफ से कोर्ट में कहा कि मैंने किसी धर्म के ख़िलाफ़ कोई टिप्पणी नहीं की, पर जिन्होंने हेट स्पीच दी हैं, वो तो बेल पर बाहर हैं। कॉलिन ने कहा कि मैंने उन्हें नफ़रत फ़ैलाने वाला कहकर कुछ ग़लत नहीं किया। हेट स्पीच देने के लिए पुलिस ने उन्हें गिरफ़्तार किया है और ये लोग बेल पर बाहर आने के बाद फिर नफ़रत भरे बयान दे रहे हैं। मैंने तो स्वीकार किया है कि मैंने वो ट्वीट किए हैं। फिर भी पुलिस मेरा मोबाइल और लैपटॉप बरामद करना चाहती है। इसलिए ही मैं सुप्रीम कोर्ट से माँग करता हूं कि मेरे ख़िलाफ़ किए गए केस को ख़ारिज किया जाए। कॉलिन ने कहा कि जब मैने उनके द्वारा दिए नफ़रत भरे बयानों का पर्दाफ़ाश किया तो मैं जेल में हूं। जिन्होंने वो नफ़रत भरे बयान दिए वो बेल पर बाहर हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।