पढ़िए गढ़वाली लघु कथाः पुंगड़ी- पटळी, प्रस्तुतकर्ता-सरिता मैन्दोला

पुंगड़ी- पटळी
सरोज मैडम (सरू) इस्कोल बटि घौर आयी। वीन सरासरि कैकि चा-पाणि पेई। अर
कपड़ा -लत्ता बदलि की दाथी उठै कि चलि गे पुंगड़ा मा रयांस। लोबिया निकळण कुणि। वीन अपण आदिम (पति) कुणि ब्वाल कि-जरा मि स्यूं लोब्या, रयांस निकाळिक ल्हयांदु । वींकु कैमा बिटी द्वी, चार कट्टा मोळक मांगिकी लयां छा। एक कट्टा उठै मुण्डमां। अर लासणकि। राई क क्यारी मां धोळि द्या। बाटा क कुड़ा की एक बुढडी़ सासु चौक क तिरळि परै बैठीं छै। वीन सरू तै देखि त ब्वाल-हे मास्टर्याण ब्वारी तेरि लासण त गुडण्या बि ह्वैगे।अर मेरी बौड़्यूंन त अज्यूं पुंगड़ुबि नि बणै।
तुत ब्वारी जनमा करदी ह्वैलि घार बि अर पैटैण्ट अपणि ड्यूटी बि टैम पर। सबसे पैलि त्यारु ही सग्वड़ हून्द तयार। सरुन ब्वालकि-जी जैदिन मेरि छुट्टी रैंद त वैई दिन मि यूं पुंगड़ी पटळ्यूं कु काम करदु। जरा स्याम बगत बि जै ल्यूंद कबि- कबि।
पुंगड़ाम जैकि सरुन जु पक गे छा वूं फ्वाळों तै अपणि खुचलि परै निकळिनी। अर फिर थैला भोर द्या | विंक पुंगड़क ढीस पर कद्दुक बीज भी बुत्यां छ्या। त वा कद्दुक लगुलु लट्वळण बै ग्या। वींथैं वख दस,बारा कद्दू की दाणि मिल गेनि जुकि झेल प्याट छ्या। वीन कुछ बियां त बांट देनि गौंमा ही जौंक नि छ्या। अर कुछ बादमा कुणि रूड़ि मा रैलू बणाणाकुणि धैर देनि।
हर सीजन क साग सगोड़ी सरू करदी रैंदी छे। द्वी झणा लग्यां रैंदा छा,ब्च्चा खिजेंदा बि छ्या कि- मां, पितजि क्या लग्यां रंदा तुम अराम कारा अब। त वू बुल्दा छा कि- बबा अपणु घारक सग्वड़ि पत्वड़ि, पुंगड़ी -पटळिकु नाज- पाणि शुद्ध हुंद। अर अपणु ज्यु -जामा बि सै रैंदु कसरत हूणी रांदी, क्वी योग, जिम जाणक जर्वत नि पुड़दी। इस कोलक बच्चौं तै बि सरू कृषि व बाग बग्वनि क बारा म नयी नयी जानकारी देणी रैंदी।
कब्बी दाना-सयणा क्वी सरू कु बुल्दा कि- हे!मस्टर्याण ब्वारी, तुम तै भगवान क सब कुछ दियूं च। त क्यांकु करचुड़ा करचोड़ पर लग्यां रंदौ तुम द्वी झण?-जैमा भण्ड्या हूंद त वैकि धीत नि भरेन्द। यांमा तब सरू वूंथै समझांदी कि-पुंगड़ाकु काम करण से चुस्ती, फुर्ती बणी रैंद, हत्त, खुट्टा बि ठीक रंदन। तज्जु साग -पात बि मिलुणी लग्यूं रैंदु। त नखुरु क्या च? अर-गात क्या जुगाण, एक दिन यू ज्यूंरन ही खाण।
तब लोग बुल्दा छा कि-हां ब्वारी बुनी त तू ठीक ई छे पर अजकाल क मतण्यां लोगों, परै। रौं सुक्खी, मोर भुक्खी वळु आण खूब फबणूच। सरून फिर ब्वाल -पर जु हम जना नौकिरि चाकिरि वळा पुंगड़क काम करदां त लोग बथा बि बणदिन। पर हम त ज्योरौ वूंकि बातुं पर ध्यान नि दींदा।पुंगड़ोंक काम कनमा क्यांकि शरम। एक दिन सबून ये माटु मा ही मिल जाण।
लेखिका का परिचय
नाम- सरिता मैन्दोला
सहायक अध्यापक, राजकीय उच्चतर प्राथमिक विद्यालय, गूमखाल, ब्लॉक द्वारीखाल, पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
सुंदर कानी सरिता मैंदोलिया जी की.