आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर ने क्रिप्टोकरेंसी को बताया वित्तीय संप्रभुता पर खतरा, पाबंदी ही भारत के लिए सबसे सही विकल्प
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रवि शंकर ने क्रिप्टोकरेंसी पर पाबंदी की वकालत की है। उन्होंने कहा कि यह पोंजी योजनाओं से भी बुरा है और इससे देश की वित्तीय संप्रुभता को खतरा है।

शंकर भारतीय बैंक संघ के 17वें वार्षिक बैंक प्रौद्योगिकी सम्मेलन और पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इन सभी कारकों को देखते यह निष्कर्ष निकलता है कि क्रिप्टो करेंसी पर प्रतिबंध लगाना शायद भारत के लिए सबसे उचित विकल्प है। बता दें कि अभी पिछले हफ्ते वित्त राज्यमंत्री डॉ. भागवत कराड ने भी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर टिप्पणी की थी। शनिवार को उन्होंने कहा था कि देश में चल रही निजी क्रिप्टोकरेंसी वैध नहीं है और भविष्य में इसकी वैधानिक स्थिति के बारे में फिलहाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
कराड ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा था कि भारत में (निजी) क्रिप्टोकरेंसी को रिजर्व बैंक या सरकार की ओर से कोई मान्यता नहीं दी गई है। क्रिप्टोकरेंसी देश में फिलहाल वैध नहीं है। वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि वह अभी नहीं बता सकते कि भविष्य में निजी क्रिप्टोकरेंसी को वैध किया जाएगा या नहीं? उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में सरकार के शीर्ष स्तर पर चर्चा होने के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। कराड ने कहा कि ऐसी खबरें हैं कि कुछ लोगों ने (निजी) क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है. लिहाजा क्रिप्टोकरेंसी के लेन-देन से अर्जित लाभ पर 30 प्रतिशत कर लगाने का प्रस्ताव हाल ही में पेश आम बजट में किया गया है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।