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September 30, 2025

एसआरएचयू में रामलीलाः सीता माता को दिया राम का संदेश, हनुमान ने रावण के बेटे अक्षय का किया वध, फिर जलाई लंका, अंगद ने जमाया पांव

देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू), जौलीग्रांट परिसर में हिमालयन रिक्रेएशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट (HRWT) की ओर से आयोजित रामलीला मोहत्सव में सोमवार की शाम सीता को भगवान राम का संदेश दिया। फिर रावण के बेटे अक्षय कुमार का वध किया। इसके बाद लंका जला डाली। इससे पहले रामलीला का शुभारंभ भगवान शिव की भव्य आरती से हुआ। शिव आरती के साथ संपूर्ण वातावरण में भक्ति और अध्यात्म का भाव गूंज उठा। इसके पश्चात रामेश्वर पूजा का भावपूर्ण मंचन किया गया, जिसने दर्शकों को धार्मिक भावना से सराबोर कर दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

महोत्सव का सबसे बहुप्रतीक्षित और मुख्य आकर्षण रहा लंका दहन का दृश्य। समुद्र लांघकर हनुमान माता सीता के पास पहुंचते हैं और पहचान के लिए भगवान राम की अंगूठी उन्हें सौंपते हैं। उन्हें आश्वासन देते हैं कि बहुत जल्द राम उन्हें रावण की कैद से मुक्त करा देंगे। जब हनुमान को भूख लगती है तो वह सीता की अनुमति से फल खाने लगते हैं। पूरी वाटिका वह तहस नहस कर देते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

रावण तक जब ये खबर पहुंचती है कि एक वानर उत्पात मचा रहा है। इस पर वह अपने छोटे पुत्र अक्षय कुमार को उसे पकड़ने के लिए भेजते हैं। अक्षय कुमार जब हनुमान को ललकारता है, तो हनुमान उसका वध कर देते हैं। इस पर मेघनाद हनुमान को पकड़ने जाता है और उन्हें ब्रह्मपाश से जकड़ लेता है। हनुमान कहते हैं कि यदि वह इस बंधन को तोड़ेंगे तो ब्रह्माजी का अपमान होगा। इसलिए वह रावण को देखने के लिए मेघनाद के साथ रावण दरबार में पहुंच जाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

रावण हनुमान को मृत्यु दंड देना चाहता है, लेकिन रावण का भाई विभीषण समझाता है कि दूर को मारना पाप है। वानर को अपनी पूंछ प्यारी होती है, इसलिए उसमें आग लगा दी जाए। पूंछ में आग लगाते ही हनुमान के क्रोध साफ नजर आता है। पलभर में वह सोने की लंगा को जला डालते हैं। वीरता और धर्म के प्रति समर्पण को दर्शाते इस मंचन ने दर्शकों को रोमांचित कर दिया। जैसे ही लंका जलकर भस्म हुई, पूरा परिसर “जय श्रीराम” के नारों से गूंज उठा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

इसके बाद रावण को अंतिम बार समझाने के लिए बाली पुत्र अंगद को रावण के दरबार में भेजा जाता है। सत्य असत्य, धर्म अधर्म को लेकर दोनों में द्वंद्व चलता है। अंगद रावण को समझाता है कि-ऐ रावण तू सुन ले गौर से, इसी में तेरा कल्याण है। तूम मांग क्षमा प्रभु राम से, जो प्यारी तूझे अपनी जान है। वहीं, रावण अपने बल और अहंकार में चूर होकर कुछ भी समझने को तैयार नहीं होता है। वह कहता है कि- मैने कैलाश धाम उठाया है, मैं क्यों माफी मांगू। ऐसे में अंगद चुनौती देता है कि यदि लंका में कोई उसका पैर हिला देगा तो वह चुपचाप चले जाएंगे। रावण का बेटा मेघनाद, सैनिक कोई भी अंगद का पैर हिला नहीं पाते हैं। जब रावण खुद अंगद का पैर उठाने को आगे बढ़ता है तो अंगद कहता है कि मेरे पांव की बजाय भगवान राम के पैर पकड़ो। इसके बाद वह युद्ध का ऐलान करके चला जाता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मंचन में अंगद और रावण के बीच तीव्र संवाद प्रस्तुत किया गया। जिसमें धर्म-अधर्म के मध्य चल रहे वैचारिक टकराव को सजीव रूप से मंचित किया गया। विभीषण रावण को समझाने का प्रयास करता है तो वह उसे भी धक्के देकर महल से निकाल देता है। इसके बाद राम और विभीषण मिलन का दृश्य भी दर्शकों के लिए अत्यंत भावुक क्षण बना। इसमें प्रभु श्रीराम की धर्मनिष्ठा, करुणा और मर्यादा का अनुपम चित्रण हुआ। रामलीला के विभिन्न पात्रों की भूमिका विश्वविद्यालय के स्टाफ और छात्र-छात्राओं ने निभाई, जिन्होंने अपने उत्कृष्ट अभिनय से दर्शकों को भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा से जोड़ दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

दीप प्रज्वलन कर हुआ शुभारंभ
रामलीला महोत्सव का विधिवत शुभारंभ डोईवाला विधायक बृज भूषण गैरोला और एसआरएचयू के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना, नगर पालिका डोईवाला अध्य्क्ष नरेंद्र नेगी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इस मौके पर विधायक बृज भूषण गैरोला ने कहा कि रामलीला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह हमारे संस्कारों, संस्कृति और सामाजिक मूल्यों की जीवंत परंपरा है। आज की पीढ़ी को इससे जुड़कर मर्यादा, धर्म और करुणा जैसे गुणों को आत्मसात करना चाहिए। मैं हिमालयन विश्वविद्यालय को धन्यवाद देता हूं कि वह शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक चेतना को भी सहेजने का कार्य कर रहा है।

स्टाफ फुटबॉल टूर्नामेंट के विजेताओं को किया गया सम्मानित
रामलीला मंचन के उपरांत, विश्वविद्यालय के स्टाफ फुटबॉल टूर्नामेंट में विजेता और उपविजेता रही टीमों को भी मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया। दोनों टीमों को ट्रॉफी व प्रशस्ति पत्र प्रदान किए गए। इस सम्मान समारोह ने प्रतिभागियों का उत्साह बढ़ाया और खेल व सांस्कृतिक गतिविधियों के संतुलन को दर्शाया। कार्यक्रम के दौरान विश्वविद्यालय के अनेक अधिकारी, कर्मचारी, छात्र और स्थानीय नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। आयोजन को सफल बनाने में HRWT की टीम ने समर्पित भाव से भूमिका निभाई।
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Bhanu Bangwal

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मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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