एसआरएचयू में रामलीलाः राम ने मारा रावण की नाभि में तीर, असत्य हारा, सत्य जीता
देहरादून के डोईवाला क्षेत्र में स्थित स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) जौलीग्रांट परिसर में हिमालयन रिक्रेएशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट (एचआरडब्लयूटी) की ओर से आयोजित रामलीला महोत्सव में अहिरावण वध, मेघनाथ वध और रावण वध का मंचन किया गया। रामलीला की शुरुआत माँ दुर्गा की भव्य की आरती से की गई। टीएचडीसी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एल पी जोशी व विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. विजय धस्माना ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलित कर आरती संपन्न की। इस अवसर पर संपूर्ण परिसर भक्ति और अध्यात्म की भावना से गूंज उठा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
पाताल लोक का राजा अहिरावण छल से राम और लक्ष्मण का अपहरण कर देता है। वह विभीषण का रूप धरकर राम के शिविर में पहुंचा था। जब वह राम और लक्ष्मण को पाताल लोक ले जाता है और उनका वध करने का प्रयास करता है तो तभी हनुमान अहिरावण का वध कर देते हैं। वहीं, लक्ष्मण और मेघनाद के बीच जोरदार युद्ध होता है। लक्ष्मण उसका सिर काट लेते हैं। मेघनाद की पत्नी सुलोचना अपने पति के सिर को मांगने राम के शिविर में पहुंचती है। राम उसे निराश नहीं करते। इसके बाद वह पति के सिर के साथ सती हो जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
जब सारे वीर मारे जाते हैं तो रावण खुद युद्ध के मैदान में उतरता है। रावण पर जब राम और लक्ष्मण के वाणों के प्रहार का असर नहीं होता है तो विभीषण राम को बताते हैं कि उसकी नाभि पर प्रहार करो। क्योंकि रावण की नाभि में अमृत है। राम और रावण के बीच युद्ध और रावण वध के प्रसंगों ने दर्शकों को गहराई से रोमांचित कर दिया। रामायण के इन प्रसंगों में जहां अहिरावण वध ने मर्यादा और धर्म की रक्षा का संदेश दिया, वहीं मेघनाथ वध ने पराक्रम और वीरता की चरम सीमा को प्रस्तुत किया। अंत में रावण वध के साथ अधर्म पर धर्म की विजय का दिव्य संदेश दिया गया। पूरे परिसर में ‘जय श्री राम’ के उद्घोष गूंज उठे और वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रामलीला के सभी पात्रों की भूमिका विश्वविद्यालय के स्टाफ और छात्र-छात्राओं ने निभाई। उनके जीवंत और भावनात्मक अभिनय ने भारतीय संस्कृति, अध्यात्म और परंपराओं का सशक्त चित्रण किया। नाट्य मंचन के दौरान संवादों और प्रसंगों की प्रभावशाली प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि डिजिटल स्क्रीन और आधुनिक साउंड सिस्टम ने रामलीला के मंचन को और भी जीवंत व मनमोहक बना दिया। तकनीक और परंपरा के इस सुंदर संगम ने दर्शकों को ऐसा अनुभव कराया मानो वे स्वयं उस युग के साक्षी हों। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षकगण, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं एवं बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे। दर्शकों ने इस भव्य मंचन की सराहना करते हुए आयोजकों का उत्साहवर्धन किया। आयोजन को सफल बनाने में एचआरडब्लयूटी की टीम ने समर्पित भाव से योगदान दिया। एचआरडब्लयूटी के सचिव रूपेश महरोत्रा ने बताया कि कल (गुरुवार) विजयदशमी पर्व के उपलक्ष्य में पुतला दहन किया जाएगा। इसके उपरांत राज्याभिषेक प्रसंग के अंतर्गत भगवान श्रीराम का राजतिलक होगा, जो इस रामलीला महोत्सव का भव्य समापन होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सम्मान और सम्बोधन
कार्यक्रम के दौरान डॉ. विजय धस्माना ने मुख्य अतिथि एल.पी. जोशी को शॉल और स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर जोशी ने भी आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि रामलीला केवल एक सांस्कृतिक मंचन नहीं, बल्कि यह भारत की मूल आत्मा से जुड़ा जीवंत चित्र है। यहाँ छात्रों और स्टाफ ने जिस समर्पण, भावनात्मकता और तकनीकी कुशलता के साथ प्रस्तुति दी है, वह सराहनीय है। उन्होंने रामलीला के सफल संचालन में सहयोग दे रहे मेकअप आर्टिस्ट, साउंड सिस्टम तकनीशियन तथा बैकस्टेज टीम को भी मंच पर बुलाकर सम्मानित किया और उनके योगदान की सराहना की।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




