राहुल गांधी ने बजट को बताया ‘मित्रकाल बजट’, कहा-भविष्य निर्माण की रूपरेखा नहीं, ना ही रोजगार सृजन का दृष्टिकोण
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने वित्त वर्ष 2023-24 के बजट को ‘मित्रकाल बजट’ करार दिया है. राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि इससे साबित होता है कि सरकार के पास भारत के भविष्य के निर्माण की कोई रूपरेखा नहीं है। उन्होंने ट्वीट किया कि मित्रकाल बजट में रोजगार सृजन को लेकर कोई दृष्टिकोण नहीं है। महंगाई से निपटने के लिए कोई योजना नहीं है। असमानता दूर करने का कोई इरादा नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
राहुल गांधी ने दावा किया कि एक प्रतिशत सबसे अमीर लोगों के पास 40 प्रतिशत संपत्ति है। 50 प्रतिशत गरीब लोग 64 प्रतिशत जीएसटी देते हैं। 42 प्रतिशत युवा बेरोजगार हैं। इसके बाद भी प्रधानमंत्री को कोई परवाह नहीं है। बजट से साबित हुआ कि सरकार के पास भारत के भविष्य के निर्माण के लिए कोई रूपरेखा नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को पेश नरेंद्र मोदी सरकार के अंतिम पूर्ण बजट में सभी तबकों को साधने का प्रयास किया। उन्होंने जहां एक तरफ मध्यम वर्ग और नौकरीपेशा लोगों को आयकर मोर्चे पर राहत देने की घोषणा की, वहीं लघु बचत योजनाओं के तहत निवेश सीमा बढ़ाकर बुजुर्गों और नई बचत योजना के जरिये महिलाओं को भी सौगात दी है। इसके साथ ही बुनियादी ढांचे पर खर्च में 33 प्रतिशत की बड़ी वृद्धि करने का भी प्रस्ताव किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नई कर व्यवस्था के तहत एक अप्रैल से व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा को बढ़ाकर सात लाख रुपये कर दिया गया है। हालांकि जानकार बता रहे हैं कि पुरानी व्यवस्था से आयकर देने पर इससे ज्यादा लाभ मिलेगा। अबतक यह सीमा पांच लाख रुपये थी, लेकिन उसमें बीमा, ट्यूशन फीस के अलावा कई बचत योजनाओं से छूट मिल जाती थी।
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बेकार बजट