राहुल ने विपक्षी नेताओं को बुलाया नाश्ते पर, पेगासस जासूकी कांड पर बनाई साझा रणनीति, फिर विपक्ष का साइकिल मार्च
पेगासस जासूसी कांड को लेकर विपक्षी दल केंद्र सरकार को संसद से लेकर सड़क तक घेर रहे हैं। संसद में गतिरोध बना हुआ है। इसी गतिरोध के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने विपक्ष के नेताओं को मुलाकात के लिए नाश्ते पर बुलाया। बैठक में पेगासस जासूसी कांड पर साझा रणनीति बनाई गई। दरअसल, पेगासस के मुद्दे पर मानसून सत्र नहीं चल पा रहा है। सरकार विपक्ष पर आरोप लगा रही है, जबकि विपक्ष का कहना है कि सरकार अहम मसलों पर बहस के लिए तैयार नहीं है। विपक्षी नेताओं के साथ बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि मेरे विचार से सबसे अहम बात यह है कि हम एकजुट होते हैं। यह आवाज (जनता की) जितनी एकजुट होगी, यह आवाज उतनी ही शक्तिशाली होगी। भाजपा-आरएसएस के लिए इसे दबाना उतना ही मुश्किल होगा।
इस बीच एनडीए के नए पुराने सहयोगियों ने भी पेगासस जासूसी कांड की जांच की मांग को सही ठहराया है। राहुल गांधी की बैठक में कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, केसीएम, जेएमएम, नेशनल कांफ्रेंस, तृणमूल कांग्रेस और एलजेडी ने हिस्सा लिया। आम आदमी पार्टी ने राहुल गांधी की तरफ से बुलाए गए नाश्ते वाली बैठक को अटेंड नहीं किया। आप’ नेता संजय सिंह का कहना है कि बैठक में जाना या नहीं जाना महत्वपूर्ण नहीं, संसद में जब भी चर्चा होगी, हम किसानों के साथ और जासूसी के खिलाफ खड़े हैं।
बैठक संसद के बाहर मॉक पार्लियामेंट आयोजित करने के विकल्प पर चर्चा के लिए आयोजित की गई थी। नए कृषि कानूनों के खिलाफ संसद तक ‘सरप्राइज ट्रैक्टर मार्च’ के करीब एक सप्ताह बाद 51 वर्षीय राहुल ने साइकिल की सवारी करके पेट्रो उत्पादों की बढ़ती कीमतों के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने अन्य सांसदों से भी इसमें भागीदारी का आग्रह किया। राहुल ने कहा कि साइकिल से संसद पहुंचकर हम हम इस मुदे पर सरकार का ध्यान आकर्षित कर सकते हैं। इस दौरान कुछ अन्य नेता भी साइकिल पर सवारी करते नजर आए। तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, एनसीपी की सुप्रिया सुले, शिवसेना के संजय राउत और डीएमके की कनिमोझी उन नेताओं में शामिल थे, जिन्होंने विपक्ष की इस मीटिंग में हिस्सा लिया।
नीतीश कुमार ने भी उठाई जांच की मांग
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पेगासस जासूसी कांड की जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि बहुत दिनों से ये मामला चल रहा है इसलिए जांच हो जानी चाहिएष जांच के बाद सब साफ हो जाएगा। विपक्ष भी दो हफ्तों से इस मुद्दे पर संसद में हंगामा कर रहा है। विपक्ष की मांग है कि पेगासस जासूसी कांड की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराई जाए। गौरतलब है कि पेगासस मामले को लेकर संसद की कार्यवाही सुचारु रूप से नहीं चल पा रही। विपक्ष के हंगामे के चलते कार्यवाही को बार बार स्थगित करना पड़ रहा है।
बता दें कि पेगासस जासूसी कांड में एक नया मोड़ आ गया है। कथित तौर पर जासूसी की सूची में शामिल पांच पत्रकार भी अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं। पांच पत्रकारों ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकारी एजेंसियों की ओर से हुई निगरानी ने उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट से इसके इस्तेमाल को अवैध घोषित करने की मांग भी की गई है। इससे पहले इस मामले पर तीन याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। इन पर गुरुवार को सुनवाई होगी।
भारत में ये थे संभावित टारगेट
बता दें, द वायर की रिपोर्ट में बताया गया है कि कांग्रस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, दो केंद्रीय मंत्री, टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी और 40 भारतीय पत्रकार जासूसी के संभावित टारगेट थे। इसके साथ ही उद्योगपति अनिल अंबानी के साथ एडीए समूह के एक वरिष्ठ अधिकारी का फोन भी कथित रूप से हैक किये जाने की आशंका जतायी गयी है। यह लिस्ट भारत की एक अज्ञात एजेंसी की है, जो कि इयरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप का स्पाइवेयर Pegasus यूज करती है। एनएसओ का कहना है कि यह अपना Pegasus स्पाइवेयर केवल ‘जांची-परखी सरकारों’ को ही आतंक से लड़ने के मकसद से देती है. किसी भी प्राइवेट कंपनी को यह स्पाइवेयर नहीं दिया जाता है।
भारत सरकार ने किया था इनकार
हालांकि, भारत सरकार ने इसमें अपनी भूमिका से साफ इनकार किया है। वहीं, कांग्रेस समेट विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे को लेकर मोदी सरकार को घेर रही हैं। कांग्रेस ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफे की मांग करते हुए पीएम मोदी की इसमें भूमिका की जांच की मांग भी की थी।
ये हुआ था खुलासा
भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के फोन नंबर उस लीक डाटाबेस में पाए गए हैं, जिन्हें इजरायली स्पाईवेयर पेगासस Pegasus के इस्तेमाल से हैक किया गया है। द वायर सहित 16 मीडिया संस्थानों की पड़ताल में यह जानकारी सामने आई थी। करीब एक सप्ताह पहले प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया था कि लीगल कम्यूनिटी मेंबर्स, बिजनेसमैन, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, कार्यकर्ताओं और अन्यों के नंबर इस लिस्ट में शामिल हैं। इस लिस्ट में 300 से ज्यादा भारतीय मोबाइल नंबर हैं। हिंदुस्तान टाइम्स, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, द हिंदू और इंडियन एक्सप्रेस सहित बड़े मीडिया संस्थानों के बड़े पत्रकारों को भी निशाना बनाया गया है।
चुनावों के दौरान बनाया गया निशाना
द वायर (The Wire) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि 2019 के लोकसभा आम चुनावों से पहले 2018 और 2019 के बीच ज्यादातर को निशाना बनाया गया। पेगासस को बेचने वाली इजरायली कंपनी NSO ग्रुप का दावा है कि वह अपने स्पाईवेयर केवल अच्छी तरह से जांची-परखी सरकारों को ही ऑफर करती है।
क्या है पेगासस
पेगासस को बनाने वाले एनएसओ ग्रुप ने अपनी ट्रांसपेरेंसी और रिस्पॉसिबिलिटी रिपोर्ट 2021 में कहा है कि इसके उत्पाद सार्वजनिक सुरक्षा को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से सत्यापित सरकारी एजेंसियों के इस्तेमाल के लिए ही बने हैं। कंपनी कहती है कि हम पेगासस का लाइसेंस केवल स्वीकृत, सत्यापित और अधिकृत सरकारों और सरकारी एजेंसियों को देते हैं। विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा और प्रमुख कानूनी जांच में उपयोग किए जाने के लिए।
वर्ष 2016 से मौजूद है ये स्पाइवेयर
पेगासस को इज़राइल स्थित साइबर इंटेलिजेंस और सुरक्षा फर्म NSO ग्रुप की ओर से विकसित किया गया था। माना जाता है कि यह स्पाइवेयर 2016 से ही मौजूद है और इसे क्यू सूट और ट्राइडेंट जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। बाजार में उपलब्ध ऐसे सभी उत्पादों में सबसे परिष्कृत माना जाता है। यह ऐप्पल के मोबाइल फोन ऑपरेटिंग सिस्टम आईओएस और एंड्रॉइड डिवाइसों में घुस सकता है। पेगासस का इस्तेमाल सरकार की ओर से लाइसेंस के आधार पर किया जाना था। मई 2019 में, इसके डेवलपर ने सरकारी खुफिया एजेंसियों और अन्य के लिए पेगासस की बिक्री सीमित कर दी थी।
कंपनी का ये है दावा
एनएसओ ग्रुप की वेबसाइट के होम पेज के अनुसार कंपनी ऐसी तकनीक बनाती है जो दुनिया भर में हजारों लोगों की जान बचाने के लिए आतंकवाद और अपराध को रोकने और जांच करने में मदद के लिए सरकारी एजेंसियों की मदद करती है।
ऐसे काम करता है पेगासस स्पाईवेयर
– इज़रायल के NSO ग्रुप ने पेगासस स्पाईवेयर बनाया
– आईफ़ोन और एंड्रॉयड फोन में घुसपैठ करने में सक्षम
– Whatsapp में एक खामी का पेगासस ने इस्तेमाल किया
– हानिकारक लिंक या मिस्ड Whatsapp वीडियो कॉल से ऐक्टिवेट
– स्पाईवेयर फ़ोन के बैकग्राउंड में चुपचाप सक्रिय
– फ़ोन के कॉन्टैक्ट, मैसेज, डेटा तक पूरी पहुंच
– माइक्रोफ़ोन और कैमरा भी ऑन कर सकता है
– Whatsapp ने अपनी खामी अब सुधार ली है
फोन में घुसता है स्पाईवेयर
– Whatsapp पर वीडियो कॉल आती है
– एक बार फ़ोन की घंटी बजते ही हमलावर हानिकारक कोड भेज देता है
– ये स्पाईवेयर फ़ोन में इंस्टॉल हो जाता है
– ऑपरेटिंग सिस्टम पर कब्ज़ा कर लेता है
– मैसेज, कॉल, पासवर्ड तक स्पाईवेयर की पहुंच
– माइक्रोफ़ोन और कैमरा तक भी स्पाईवेयर की पहुंच
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।