कठपुतली ने किया छात्राओं का इंटरव्यू, पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश, लिया ये संकल्प, देखें वीडियो

युवा के तर्को में सच है। कठपुतली ने छात्राओं से विमर्श किया कि खेतों में फसलें कट जाने के बाद का घास जलाना ख़तरनाक है। उन्होंने भी इसे माना और अपने सुझाव दिए। पर्यावरण संरक्षित के ये युवा सबसे उत्तम दूत हो सकते हैं। जंगलों में आग को लेकर भी छात्राओं ने अपने तर्क दिए। जगंलों में आग लगाने के पीछे दिए जाने वाले पुराने तर्कों छात्राओं ने खारिज कर दिया। साथ ही इसके खतरों से आगाह किया। पौधे, जीव जंतु को बचाने के लिए जंगलों को आग से बचाना होगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
रामलाल कर रहे हैं नए प्रयोग
देहरादून के ठाकुरपुर निवासी रामलाल भट्ट 12 साल की उम्र के कठपुतली पर प्रयोग रहे हैं। करीब 40 साल से वह कठपुतली खुद बनाते हैं और नचाते हैं। स्कूलों में प्रोग्राम देते हैं। गांव में, संस्थाओं के लिए, युवाओं के लिए प्रोग्राम देते हैं। उनका कहना है कि कठपुतली शिक्षा में भी सहायक है। कठपुतलियों की मदद से किसी विषय को आसानी पढ़ाया जा सकता है। गणित जैसे मुश्किल विषय को भी खेल खेल में आसानी से समझाया जा सकता है। रामलाल ने पर्यावरण बचाने के लिए भी कठपुतली के माध्यम से कई प्रयोग किए। सोशल मीडिया का जमाना आया तो यू ट्यूब के माध्यम से भी कठपुतली नचा रहे हैं। कठपुतली के शो में कठपुतली नचाने के साथ ही बेजान कठपुतलियों को आवाज देना भी अहम काम है। अलग अलग कठपुतलियों को अलग अलग आवाज देना कोई आसान काम नहीं है। इस काम में रामलाल के साथ की दूसरी कलाकार धनवीरा देवी बखूबी करती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कलाकार का परिचय
देहरादून के ठाकुरपुर निवासी रामलाल भट्ट करीब चालीस साल के कठपुतलियों को लेकर प्रयोग कर रहे हैं। वह स्कूलों में शिक्षाप्रद वर्कशॉप भी आयोजित करते हैं। उनके पपेट शो में चार तरह की कठपुतलियों का इस्तेमाल होता है। इनमें वह धागेवाली पपेट, रॉड पपेट, मोपेड पपेट और दस्ताना पपेट के जरिये अपना शो करते हैं। राष्ट्रीय संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार के लिए उनका चयन किया गया है। ये पुरस्कार राष्ट्रपित के हाथों दिया जाएगा। यदि किसी को स्कूलों या संस्थानों में पपेट शो या वर्कशाप करानी हो तो वे इन नंबरों पर संपर्क कर सकते हैं। संपर्क सूत्र—9412318880, 7017507160

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।