504 घरों पर बुलडोजर अभियान के विरोध में जन आक्रोश रैली, विभिन्न दलों और संगठनों का सचिवालय कूच

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे बने करीब 504 मकानों पर चलाए जा रहे बुलडोजर अभियान के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने आज जन आक्रोश रैली निकाली। इसके तहत गांधी पार्क से सचिवालय तक कूच किया गया। इस दौरान इसमें नफरत नहीं, रोजगार दो। किसी को बेघर मत करो, आदि नारे लगाए गए। इस मौके पर मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आज 30 मई ऐतिहासिक तिलाड़ी विद्रोह की 92 वीं वर्षगाठ है। इसे किसान दिवस के रूप में मनाया जाता है। सीआईटीयू ट्रेड यूनियन गठबंधन का आज स्थापना दिवस भी है। ऐसे में विभन्न दलों और सामाजिक संगठनों ने राज्यभर में कार्यक्रम आयोजित कर तिलाड़ी के शहीदों को भी श्रद्दांजलि दी। वहीं, राजधानी देहरादून में मलिन बस्तियों को उजाड़ने के विरोध में सचिवालय कूच किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये है प्रकरण
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एसडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद सोमवार 27 मई को मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई। 504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नगर निगम की सीमा में बने मकानों में 15 लोगों ने ही अपने साल 2016 से पहले के निवास के साक्ष्य दिए हैं। 74 लोग कोई साक्ष्य नहीं दिखा पाए हैं। उन सभी 74 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिकांश लोगों ने नोटिस के बाद अपने अतिक्रमण खुद ही हटा लिए थे। जिन्होंने नहीं हटाए थे, उनको अभियान के तहत हटाया जा रहा है। इस अभियान से पहले से ही विभिन्न राजनीतिक दल और संगठन की ओर से देहरादून में धरने और प्रदर्शन किए जा रहे थे। 27 मई से आरंभ हो चुकी ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के साथ ही प्रदर्शनों का सिलसिला भी तेज हो गया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

विभिन्न राजनैतिक दलों तथा सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ताओं के साथ ही मलिन बस्तियों के प्रभावित लोग आज गुरुवार की सुबह से ही गांधी पार्क में एकत्र होने लगे। इस दौरान आयोजित सभा में एक स्वर में सरकार की ओर से बस्तियों को तोड़ने का विरोध किया। साथ ही सरकार को चेतावनी दी कि आने वाले दिनों में इस सवाल पर बड़ा आन्दोलन छेड़ा जायेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं का संबोधन
वक्ताओं ने एक स्वर में कहा कि देहरादून में चल रहा ध्वस्तीकरण अभियान गैर क़ानूनी और जन विरोधी है। सरकार कानून के प्रावधानों और अपने ही वादों का घोर उलंघन कर लोगों को उजाड़ रही है। हरीत प्राधिकरण के आदेश के बारे में गलत धारणा फैला कर अनधिकृत कर्मचारी बिना कोई क़ानूनी प्रक्रिया करते हुए निर्णय ले रहे हैं। साथ ही लोगों को बेदखल कर रहे है, जो गैर क़ानूनी अपराध है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वक्ताओं ने कहा है कि कुछ ही महीनों में 2018 का कानून भी खत्म हो रहा है। इसके बाद सारी मलिन बस्ती में रहने वाले लोगों को उजाड़ा जा सकता है। चाहे वे कभी भी बसे हों। सरकार आठ साल में नियमितीकरण, पुनर्वास और घर के लिए कोई भी कदम नहीं उठा पाई है, तो लोग कहाँ रहे, इस पर सरकार को जनता को जवाब देना चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
अपर तहसीलदार को दिया ज्ञापन
आज सुबह करीब 11 बजे अपनी मांगों और नारों के साथ लोगों ने सचिवालय कूच किया। सचिवालय से पहले प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक दिया गया। प्रशासन की ओर से अपर तहसीलदार ने मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन लिया। उन्होंने अपने स्तर से आवश्यक कार्रवाई का आश्वासन दिया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये की गई मांग
ज्ञापन में मांग की गई है कि सरकार कोर्ट का आदेश का बहाना न बनाये और ध्वस्तीकरण अभियान पर रोक लगाई जाए, बगैर पुनर्वास किसी को बेघर नहीं किया जाए। इस पर कानून लाया जाए। कानूनी प्रावधान हो कि जब तक नियमितीकरण और पुनर्वास पूरा नहीं होता, तब तक बेदखली पर भी रोक रहेगी। दिल्ली सरकार की पुनर्वास नीति को उत्तराखंड में भी लागू किया जाए। राज्य के शहरों में उचित संख्या के वेंडिंग जोन को घोषित किए जाएं। पर्वतीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों में वन अधिकार कानून पर अमल युद्धस्तर पर किया जाए। बड़े बिल्डरों एवं सरकारी विभागों के अतिक्रमण पर पहले कार्रवाई की जाए। बड़ी कंपनियों को सब्सिडी देने की प्रक्रिया को बंद किया जाए। 12 घंटे का काम करने के कानून के साथ ही चार नए श्रम संहिता और अन्य मज़दूर विरोधी नीतियों को रद्द किया जाए। न्यूनतम वेतन को 26,000 किया जाए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये रहे मुख्य वक्ता
सभा के दौरान किसान सभा के राज्य अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवाण, महामंत्री गंगाधर नौटियाल , समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ. एसएन सचान, सर्वोदय मंडल से हरबीर सिंह कुशवाह, चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल, सुनीता, सीपीएम के राज्य सचिव राजेंद्र नेगी, शहर सचिव अनंत आकाश, इंटक के प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट, कांग्रेस पार्टी के राज्य प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट, एटक के राज्य महामंत्री अशोक शर्मा, उत्तराखंड महिला मंच से कमला पंत, आरयूपी से नवनीत गुसाईं, उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद के प्रवक्ता चिंतन सकलानी, एसएफआई के प्रांतीय अध्यक्ष नितिन मलेठा, महामंत्री हिमांशु चौहान, बसपा के दिग्विजय सिंह ने विचार रखे। सीआईटीयू के प्रांतीय सचिव लेखराज ने सभा का संचालन किया।
प्रदर्शन में ये रहे शामिल
इस अवसर पर सीटू के अध्यक्ष क्रष्ण गुनियाल, रामसिंह भंडारी, रविन्द्र नौडियाल, एसएस नेगी, चेतना आन्दोलन के विनोद बडोनी, मुकेश उनियाल, संजय सैनी, रहमत, महिला समिति की बिंदा मिश्रा, एसएफआई के शैलेन्द्र परमार, एआइएलयू से अभिषेक भंडारी, सीपीआई से एसएस रजवार, भीम आर्मी के नगर अध्यक्ष आजम खान, अर्जुन रावत, सुनीता चौहान, भोजन माता यूनियन से बबीता, सुनीता, ममता मौर्य, लक्ष्मी पन्त, एनएस पंवार, इन्द्रेश नौटियाल, विजय भट्ट, स्वाती नेगी, बिजेंद्र कनोजिया, देव राज, राजेन्द्र शर्मा, नरेंद्र सिंह सहित काफी संख्या में बस्तियों के प्रभावित लोग प्रदर्शन में शामिल हुए। सचिवलय में सभा का समापन सीपीएम के जिला सचिव राजेन्द्र पुरोहित ने किया।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।