उत्तराखंड अधिकारी कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का जन जागरण अभियान जारी, अगले चरण का आंदोलन 20 सितंबर से
देहरादून में आयोजित गेट मीटिंग के दौरान रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रान्तीय महामंत्री दिनेश पंत ने कहा कि
राज्य सरकार सदैव निगम कर्मचारियों के साथ सौतेला व्यवहार करती रही है। इसके परिणामस्वरूप आज तक उन्हें सातवें वेतन आयोग के आधार पर मकान किराया भत्ता नहीं मिला। साथ ही उनका उत्पीडन करते हुए उन लोगों को पुर्व में अनुमन्य एसीपी के भुगतान की कटौती प्रारम्भ कर दी गयी है। इससे प्रत्येक कार्मिक से लगभग पांच से दस लाख तक की कटौती की जानी है। उन्होंने ने कहा कि एसीपी की अनुमन्यता शासनादेशों के अनुरूप ही समस्त वित्तीय एवं प्रशासनिक औपचारिकताएं पूर्ण करने के उपरान्त ही की गई थी। अब उसकी कटौती करने से इस पूरी
प्रक्रिया में कोई योगदान न देने वाले कार्मिक को उसका दंड भुगतना पड़ रहा है। इससे समस्त पीड़ित कार्मिक अत्यधिक आर्थिक कठिनाई से गुजर रहे हैं।
गेट मिटिग में अन्य वक्ताओं ने आरोप लगाया कि कोई भी निगम प्रबन्धन की कमी से घाटे में जाता है न कि कर्मचारियों के कारण। इस बात के कई उदाहरण है कि जब-जब निगम घाटे में गये हैं तो कहीं न कहीं प्रबन्धन अथवा सरकार के गलत किये गये निर्णय ही घाटे के कारण रहे हैं। इसके अतिरिक्त निगमों के घाटे में जाने के कारण हर दो से छः माह की अवधि पर प्रबन्धन में तैनात प्रशासनिक अधिकारियों के स्थानान्तरण भी हैं। इस सम्बन्ध में अवश्य ही उच्च स्तर से निर्णय लिये जाने की आवश्यकता है। रोडवेज कर्मियों को समन्वय समिति के सदस्यों ने उनकी पीड़ा दूर कराने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आश्वासन दिया गया। इस पर रोडवेज कर्मिकों ने समन्वय समिति के आंदोलन में हर तरह से सहयोग का आश्वासन दिया।
गेट मीटिंग में समन्वय समिति के संयोजक मंडल ने शासन और प्रशासन से हुई अब तक की वार्ता के संबंध में जानकारी दी। साथ ही बताया कि गेट मीटिंग का कार्यक्रम 19 सितंबर तक चलेगा। इसके बाद आंदोलन के दूसरे चरण में 20 सितंबर को प्रदेश के समस्त जनपदों में जिला मुख्यालयों पर एक दिवसीय धरना/प्रर्दशन किया जाएगा। 27 सितंबर को देहरादून राजधानी में सहस्त्रधारा रोड़ एकता बिहार स्थित धरना स्थल पर एक दिवसीय प्रदेश स्तरीय धरना/प्रर्दशन किया जाएगा। पांच अक्टूबर को देहरादून राजधानी में प्रदेश स्तरीय हुंकार रैली आयोजित की जायेगी। उसी दिन आगामी अनिश्चित कालीन आन्दोलन की घोषणा की करने की कार्मिकों की रणनीति है।
ये रहे उपस्थित
गेट मीटिंग में प्रताप पंवार, दिनेश गुसाई, अरूण पाण्डेय, नन्दकिशोर त्रिपाठी, बीएस रावत, पूर्णानन्द नौटियाल, चौधरी ओमवीर सिंह, दीप चन्द बुडलाकोटी, दिनेश पंत, अनुराग नौटियाल, मेजपाल सिहं, अनिल धीमान, प्रेम सिहं रावत, राकेश रावत इत्यादि कर्मचारी नेताओं ने प्रतिभाग किया। गेट मिंटिग का संचालन राकेश पेटवाल ने किया।
दोहराई गई ये मांगे
1-प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों/शिक्षकों/निगम/निकाय/पुलिस कार्मिकों को पूर्व की भांति 10, 16, व 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति न होने की दशा में पदोन्नति वेतनमान अनुमन्य किया जाए।
2-राज्य कार्मिकों के लिए निर्धारित गोल्डन कार्ड की विसंगतियों का निराकरण करते हुए केन्द्रीय कर्मचारियों की भांति सीजीएसएस की व्यवस्था प्रदेश में लागू की जाय। प्रदेश एवं प्रदेश के बाहर उच्च कोटि के समस्त अस्पतालों को अधिकृत किया जाये। तथा सेवानिवृत्त कार्मिकों से निर्धारित धनराशि में 50 फीसद कटौती कम की जाए।
3-पदोन्नति के लिए पात्रता अवधि में पूर्व की भांति शिथिलीकरण की व्यवस्था बहाल की जाए।
4-केन्द्र सरकार की भांति प्रदेश के कार्मिकों के लिए 11 फीसद मंहगाई भत्ते की घोषणा शीघ्र की जाए।
5-प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाए।
6-मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ठ सहायक के पद की शैक्षिक योग्यता इंटरमीडिएट के स्थान पर स्नातक की जाए। तथा एक वर्षीय कम्प्यूटर ज्ञान अनिवार्य किया जाए।
7-वैयक्तिक सहायक संवर्ग में पदोन्नति के सोपान बढ़ाते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 में वरिष्ठ वैयक्तिक अधिकारी का पद सृजित किया जाए।
8-राजकीय वाहन चालकों को ग्रेड वेतन रु0 2400.00 इग्नोर करते हुए स्टाफिंग पैर्टन के अन्तर्गत ग्रेड वेतन रु0 4800.00 तक अनुमन्य किया जाए।
9-चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों को भी वाहन चालकों की भांति स्टाफिंग पैर्टन लागू करते हुए ग्रेड वेतन रु0 4200.00 तक अनुमन्य किया जाए।
10-समस्त अभियन्त्रण विभागों में कनिष्ठ अभियन्ता (प्राविधिक)/संगणक के सेवा प्राविधान एक समान करते हुए इस विसंगति को दूर किया जाए।
11-सिंचाई विभाग को गैर तकनीकी विभागों (शहरी विकास विभाग, पर्यटन विभाग, परिवहन विभाग, उच्च शिक्षा विभाग आदि) के निर्माण कार्य के लिए कार्यदायी संस्था के रूप में स्थाई रूप से अधिकृत कर दिया जाए।
12-राज्य सरकार की ओर से लागू एसीपी/एमएसीपी के शासनादेश में उत्पन्न विसंगति को दूर करते हुए पदोन्नति के लिए निर्धारित मापदंडो के अनुसार सभी लेवल के कार्मिकों के लिये 10 वर्ष के स्थान पर 05 वर्ष की चरित्र पंजिका देखने तथा “अतिउत्तम” के स्थान पर “उत्तम” की प्रविष्टि को ही आधार मानकर संशोधित आदेश शीघ्र जारी किया जाए।
13-जिन विभागों का पुर्नगठन अभी तक शासन स्तर पर लम्बित है, उन विभागों का शीघ्र पुनर्गठन किया जाए।
14-31 दिसम्बर तथा 30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले कार्मिकों को 06 माह की अवधि पूर्ण मानते हुये एक वेतन वृद्धि अनुमन्य कर सेवानिवृत्ति का लाभ प्रदान किया जाए।
15-स्थानान्तरण अधिनियम-2017 में उत्पन्न विसंगतियों का निराकरण किया जाए।
16-राज्य कार्मिकों की भांति निगम/निकाय कार्मिकों को भी समान रूप से समस्त लाभ प्रदान किये जाए।
17-तदर्थ रूप से नियुक्त कार्मिकों की विनियमितिकरण से पूर्व तदर्थ रूप से नियुक्ति की तिथि से सेवाओं को जोड़ते हुये वेतन/सैलेक्शन ग्रेड/एसीपी/पेंशन आदि समस्त लाभ प्रदान किया जाए।
18-समन्वय समिति से सम्बद्ध समस्त परिसंघों के साथ पूर्व में शासन स्तर पर हुई बैठकों में किये गये समझौते/निर्णयों के अनुरूप शीघ्र शासनादेश जारी कराया जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।