अग्निपथ स्कीम के विरोध की आंच उत्तराखंड पहुंची, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चंपावत जिले में युवाओं का प्रदर्शन, सड़क जाम
बिहार, हरियाणा, दिल्ली और यूपी के बाद उत्तराखंड में भी अग्निपथ स्कीम का विरोध शुरू हो गया है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चंपावत जिले के साथ ही उधमसिंह नगर के खटीमा में युवाओं ने इसके खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।

चंपावत में गुरुवार को युवा प्रदर्शनकारी मोटर स्टेशन से गोलज्यू दरबार पहुंचे। युवाओं ने मांग की कि सरकार पहले की तरह स्थायी रूप से सेना में भर्ती करे। युवाओं को कांग्रेस के पूर्व विधायक हेमेश खर्कवाल का समर्थन मिला। प्रदशर्नकारियों ने मोटर स्टेशन में सरकार का पुतला फूंका। बागेश्वर में भी केंद्र की सैन्य भर्ती की नई अग्निपथ स्कीम का विरोध हो रहा है। गुरुवार को युवाओं ने जिला मुख्यालय पर नारेबाजी और प्रदर्शन किया। उन्होंने सरकार की इस योजना को युवाओं के साथ विश्वासघात बताया। वहीं, देहरादून में भी इस योजना के विरोध में माकपा ने प्रदर्शन किया।
अग्निपथ योजना
14 जून को केंद्र सरकार ने सेना की तीनों शाखाओं (थलसेना, नौसेना और वायुसेना) में युवाओं की बड़ी संख्या में भर्ती के लिए अग्निपथ भर्ती योजना की घोषणा की। इसके तहत नौजवानों को सिर्फ चार साल के लिए डिफेंस फोर्स में सेवा देनी होगी। इसके बाद इसमें से एक चौथाई युवाओं की नौकरी स्थाई होगी बाकी को रिटायर कर दिया जाएगा। अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीर तैयार किए जाएंगे। इनमें 75 फीसद को चार साल बाद सेना से सेवानिवृत्त करके बाहर कर दिया जाएगा। सिर्फ 25 फीसद की ही सेना में नौकरी बची रहेगी। यानि इस योजना के तहत 17 साल की उम्र से लेकर 21 साल तक ही युवा सेना में सेवा दे सकेंगे। सेनानिवृत्त होने के बाद उन्हें एकमुश्त राशि दी जाएगी। पेंशन या ग्रेच्यूटी आदि भी उन्हें नहीं मिलेगी।
सरकार के फैसले पर सवाल
माना जा रहा है कि सरकार ने ये कदम तनख्वाह और पेंशन का बजट कम करने के लिए उठाया है। मगर अभ्यर्थियों को ये सरकारी स्कीम रास नहीं आ रही है। दरअसल, सेना में जितनी भी भर्तियां होंगी, वो अग्निपथ स्कीम के तहत ही होंगी। पुराने मेडिकल या फिजकल टेस्ट को नहीं माना जाएगा। भर्ती के लिए युवाओं को अग्निपथ स्कीम के तहत ही अप्लाई करना होगा। चार साल बाद युवाओं के कहां समायोजन किया जाएगा, इसकी भी कोई योजना नहीं है। ऐसे में युवाओं को सेना में अब सुनहरा भविष्य नजर नहीं आ रहा है। उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड सैनिक बाहुल्य प्रदेश है। ऐसे में यहां के युवा इस योजना से खफा हैं।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।