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December 14, 2024

उत्तराखंड में फिर से बिजली की दर बढ़ाने का प्रस्ताव, कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने की निंदा

उत्तराखंड में एक बार फिर से बिजली की दर बढ़ाने की तैयारी शुरू हो चुकी है। उत्तराखंड पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) की बोर्ड बैठक में बिजली दरें 7.72 प्रतिशत बढ़ाने का प्रस्ताव पारित किया है। इसमें घरेलू बिजली दर में पांच प्रतिशत और औद्योगिक बिजली दरों में सात से आठ प्रतिशत बढ़ोतरी की सिफारिश की गई। 15 दिसंबर तक यूपीसीएल की ओर से दरें बढ़ाने का प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में जमा किया जाएगा। बिजली की दर बढ़ाने के प्रस्ताव पर देहरादून महानगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस साल बिजली की दरों में तीन बार बढ़ोत्तरी की गई है, जो कि छोटे राज्य उत्तराखंड की जनता का शोषण है। एक तरफ महंगाई की मार से लोग परेशान हैं। ऊपर से बिजली की दरों में बढ़ोत्तरी कर सरकार आमजन को दोहरा झटका दे रही है। उन्होंने कहा कि बिजली की दर यदि बढ़ाई जाती है तो कांग्रेसी सड़कों पर उतरेंगे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

मंगलवार को ऊर्जा निगम मुख्यालय में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में यूपीसीएल की बोर्ड बैठक में बिजली दरें बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यूपीसीएल ने बिजली दरों में बढ़ोतरी करने पर तर्क दिया गया है कि निगम ने बीते वर्ष में 123 करोड़ की योजनाओं पर काम किया। इसके साथ ही दूसरे राज्यों से महंगी दरों पर बिजली खरीदी है। इसकी एवज में बिजली दरों में बढ़ोतरी की जानी है। बैठक में चर्चा के बाद बिजली दरों में 7.72 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव पारित किया गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

इसमें घरेलू बिजली दरों में पांच प्रतिशत और, गैर घरेलू बिजली दरों में 7 से 8 प्रतिशत बढ़ोतरी की सिफारिश है। यूपीसीएल की ओर से विद्युत नियामक आयोग में दरें बढ़ाने के लिए याचिका दायर की जाएगी। दरें बढ़ाने का फैसला नियामक आयोग की ओर से लिया जाएगा, जिसके बाद बढ़ी हुई दरें एक अप्रैल 2023 से लागू की जाएंगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

नियामक आयोग लेगा फैसला
बोर्ड बैठक में प्रस्ताव पारित करने के बाद यूपीसीएल 15 दिसंबर तक विद्युत नियामक आयोग में बिजली दरें बढ़ाने के लिए याचिका दायर करेगा। आयोग यूपीसीएल की प्रस्तावित दरों पर सुनवाई के बाद ही फैसला लेगा। यदि आयोग यूपीसीएल के प्रस्ताव को पास करता है तो एक अप्रैल 2023 से प्रदेश में बिजली महंगी हो जाएगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

बिजली दरें बढ़ाने पर यूपीसीएल का तर्क
यूपीसीएल का कहना है कि निगम ने ऋण लेकर 123 करोड़ के स्वीकृत प्रोजेक्ट का काम किया। इन्हें पूरा करने की रिपोर्ट नियामक आयोग को दे दी गई है। इन प्रोजेक्ट का पैसा वापस मिलना चाहिए था, जो नहीं मिला है। इसके चलते पुरानी देनदारी बढ़ रही है। व्यासी जलविद्युत परियोजना से निगम को 7.60 रुपये प्रति यूनिट बिजली मिलेगी। इसके अलावा पावर ग्रिड कॉरपोरेशन आफ इंडिया ने ट्रांसमिशन टेरिफ में 10 पैसे की बढ़ोतरी की है। प्रदेश में गैस पावर प्लांट नहीं चल रहे हैं। इस कारण से दूसरे राज्यों से महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये हैं बिजली दरें बढ़ाने का प्रस्ताव
श्रेणी प्रस्तावित बढ़ोतरी (प्रतिशत में)
घरेलू 5.0
गैर घरेलू 7.8
पब्लिक यूटिलिटी 9.0
उद्योग 7 से 8
इलेक्ट्रिक वाहन 5.0
रेलवे 4.0
बिजली दरों में 7.72 प्रतिशत की बढ़ोतरी का फैसला पुराने स्वीकृत प्रोजेक्टों की देनदारी के लिए लिया गया। यदि रेगुलेटरी कमीशन की तरफ से पहले निगम को ये मिला चुका होता तो बिजली दरों में एक रुपया भी नहीं बढ़ाते। निगम के दरों में बढ़ोतरी के प्रस्ताव से टेरिफ में कोई खास असर नहीं पड़ेगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

साल में तीन बार की जा चुकी है बढ़ोत्तरी
उत्तराखंड में एक साल में 26 पैसे से लेकर 1.11 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली के दर में तीन बार बढ़ोत्तरी की जा चुकी है। एक अप्रैल से बिजली की दरों में 2.68 फीसद की वृद्धि हुई। सितंबर में 3.85 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के बाद अक्टूबर में सात पैसे प्रति यूनिट बढ़ाए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

 

फोटोः लालचंद शर्मा

कांग्रेस के पूर्व महानगर अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने किया विरोध
देहरादून महानगर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष लालचंद शर्मा ने कहा कि बिजली के रेट बार बार बढ़ाकर उत्तराखंड सरकार प्रदेश की जनता को गरीबी में झोंक रही है। उन्होंने कहा कि बार बार विद्युत नियामक आयोग का सहारा लिया जाता है। ये भी सरकारी उपक्रम है, उससे उम्मीद कम ही की जा सकती है। वहीं, प्रदेश में बिजली की लगातार कटौती की जा रही है। इसकी चिंता सरकार को नहीं है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उन्होंने कहा कि व्यवस्था सुधार के नाम पर कुछ नहीं हो रहा है। लाइन लास की चिंता नहीं है। हर चीज के दाम बढ़ रहे हैं। रसोई के सामान से लेकर हर वस्तु के दामों पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। उन्होंने कहा कि बिजली के रेट बढ़ाने पर तर्क दिया जाता है कि हम महंगी बिजली खरीद रहे हैं। वहीं, सरकार उत्तराखंड को ऊर्जा प्रदेश बताती है। यदि ऊर्जा प्रदेश है तो यहां बिजली महंगी क्यों है। बिजली की परियोजनाएं यहां बन रही हैं और यहीं की जनता को महंगी बिजली मिल रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार नाकाम हो चुकी है। यदि उत्तराखंड में फिर से बिजली की दर बढ़ाकर जनता पर बोझ डाला गया तो कांग्रेस कार्यकर्ता सड़कों पर उतरेगा।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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