चार साल पहले निकाली जानी चाहिए थी शिक्षकों की प्रोन्नति सूची, कई प्रमोशन के इंतजार में हो गए सेवानिवृत्त
उन्होंने कहा कि जो अधिकारी की इस साजिश में शामिल है उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।
सेमवाल ने कहा कि आज शिक्षा विभाग में अधिकारियों की फौज है। फिर भी सरकारी शिक्षा में ह्रास हो रहा है। दिन प्रतिदिन सरकारी विद्यालयो में छात्र संख्या कम हो रही है। इसका कारण शिक्षा विभाग के अधिकारी हैं। जो शिक्षा, शिक्षक और छात्र के प्रति जरा भी गम्भीर नहीं है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि चार सालों से शिक्षकों की सीआर मांगी जाती रही तथा तीन से चार बार सीआर देने के बाद भी शिक्षक को प्रोन्नति न देना उनके साथ घिनौना मजाक करने जैसा है। इसके विपरीत तमाम पद रिक्त पड़े हैं। पूर्व प्रान्तीय प्रवक्ता ने कहा कि प्रत्येक शिक्षक प्रोन्नति की आस लगाये रहता है, परन्तु अधिकारियों द्वारा अनावश्यक रुप से हीलाहवाली करके मामले को लटकाया जाता है।
उन्होंने कहा कि साढ़े तीन दशक की सेवा के बाद भी वह प्रोन्नति के इंतजार में सेवानिवृत्त हो गए। हमेशा समर्पित भाव से शिक्षण कार्य किया तथा पूरे सेवाकाल में परीक्षा फल शतप्रतिशत रहा। एक भी प्रोन्नति नहीं पाई। उनकी तरह ऐसे सैकडों शिक्षक है जो इस पीड़ा को झेल रहे हैं। विभाग की गलत नीति के शिकार हुये हैं तथा प्रोन्नति बंचित रहे है।
उन्होंने कहा कि जो शिक्षक एलटी ग्रेड से प्रवक्ता पद पर आता है वह विषय लाभ है न कि प्रोन्नति। उन्होंने शिक्षा निदेशक जौनसारी को बधाई दी है कि उन्होंने पद ग्रहण करते ही प्रधानाध्यापक की सूची निर्गत करके सराहनीय कार्य किया है। साथ ही सभी प्रोन्नत हेडमास्टरों को बधाई दी। इन्होंने कहा कि वे इस अन्याय के संवन्ध में शिक्षा मंत्री व मुख्यमंत्री को भी अवगत करायेंगे कि किस तरह शिक्षकों का शोषण विभाग करता है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।