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February 4, 2025

मई दिवस को प्रदेशभर में आयोजित होंगे कार्यक्रम, संयुक्त बैठक में लिया गया निर्णय

उत्तराखंड संयुक्त मई दिवस समारोह समिति की बैठक देहरादून के गांधी पार्क में आयोजित की गई। इसमें एक मई को मई दिवस के रूप में भव्य आयोजन करने का निर्णय किया गया।

उत्तराखंड संयुक्त मई दिवस समारोह समिति की बैठक देहरादून के गांधी पार्क में आयोजित की गई। इसमें एक मई को मई दिवस के रूप में भव्य आयोजन करने का निर्णय किया गया। बैठक में सीटू के जिला महामंत्री लेखराज ने बताया कि 1 मई को मई दिवस को धूमधाम से व भव्य तरीके से मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि 1 मई को प्रदेशभर में कार्यक्रम आयोजित होंगे। इसके साथ ही देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों में मई दिवस के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
कार्यक्रमों के तहत देहरादून के विकास नगर, हत्यारी, लांघा रोड, सहसपुर स्थित जी.बी.स्प्रिंग फैक्ट्री, सेलाकुई, मसूरी, ऋषिकेश, डोईवाला आदि क्षेत्रों में रैली व प्रदर्शन का आयोजन होगा। मुख्य कार्यक्रम गांधी पार्क से रैली निकाल कर किया जाएगा। इसमें विभिन्न यूनियनों के प्रतिनिधि व मजदूर भागीदारी करेंगे।
उन्होंने बताया कि इस अवसर पर एटक के प्रांतीय महामंत्री अशोक शर्मा, उपाध्यक्ष समर भंडारी, अनिल उनियाल, सीटू के उपाध्यक्ष भगवत दयाल, कोषाध्यक्ष रविंद्र नौटियाल, मामचंद, रक्षा क्षेत्र से जगदीश छिमवाल, संजीव मवाल, ऑल इंडिया बैंक कर्मचारी एसोसिएशन से एसएस रजवार, मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव से दीपक शर्मा, आंगनवाड़ी से जानकी चौहान, चित्रा, लक्ष्मी पंत, भोजन माता यूनियन से मोनिका, सुनीता, आशा वर्कर्स यूनियन से शिवा दुबे, सुनीता चौहान, ट्रांसपोर्ट यूनियन से दया किशन पाठक आदि शामिल उपस्थित थे।
इसलिए मनाया जाता है मई दिवस
प्रत्येक वर्ष दुनिया भर के कई हिस्सों में 1 मई को मई दिवस अथवा ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस जनसाधारण को नए समाज के निर्माण में श्रमिकों के योगदान और ऐतिहासिक श्रम आंदोलन का स्मरण कराता है। 1 मई, 1886 को शिकागो में हड़ताल का रूप सबसे आक्रामक था। शिकागो उस समय जुझारू वामपंथी मज़दूर आंदोलनों का केंद्र बन गया था। 1 मई को शिकागो में मज़दूरों का एक विशाल सैलाब उमड़ा और संगठित मज़दूर आंदोलन के आह्वान पर शहर के सारे औज़ार बंद कर दिये गए और मशीनें रुक गईं। शिकागो प्रशासन एवं मालिक चुप नहीं बैठे और मज़दूरों को गिरफ्तारी शुरू हो गई। जिसके पश्चात् पुलिस और मज़दूरों के बीच हिंसक झड़प शुरू हो गई, जिसमें 4 नागरिकों और 7 पुलिस अधिकारियों की मौत हो गई। कई आंदोलनकारी श्रमिकों के अधिकारों के उल्लंघन का विरोध कर रहे थे। काम के घंटे कम करने और अधिक मज़दूरी की मांग कर रहे थे। 19वीं सदी का दूसरा और तीसरा दशक काम के घंटे कम करने के लिये हड़तालों से भरा हुआ है। इसी दौर में कई औद्योगिक केंद्रों ने तो एक दिन में काम के घंटे 10 करने की मांग भी निश्चित कर दी थी। इससे ‘मई दिवस’ का जन्म हुआ। अमेरिका में वर्ष 1884 में काम के घंटे आठ घंटे करने को लेकर आंदोलन से ही शुरू हुआ था। उन्हें गिरफ्तार किया गया और आजीवन कारावास अथवा मौत की सजा दी गई। अब इस दिन को कर्मचारी, श्रमिक अपने अधिकार की लड़ाई के लिए मनाते हैं।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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