शिक्षक दिवस पर प्रोफेसर डॉ. पुष्पा खंडूरी की कविता-गुरु -स्तवन

गुरु -स्तवन
ये मेरे अन्तर्मन् के उद्गार
जीवन सद्गुरु का आभार।
मात पिता ने जन्म दिया
गुरु ने सौंपा ज्ञानागार।
जीवन सद्गुरु का आभार॥
गुरु है सतपंथ प्रदर्शक।
गुरु भव -भय हारी,
दीन दयाल शिष्य हितकारी॥
त्रिगुणातीत नित ज्ञान विहारी।
खोले मुक्ति युक्ति के द्वार॥
ये मेरे अन्तर्मन् के उद्गार
जीवन सद्गुरु का आभार।
प्रभु ने हमको सौंपी काया
गुरु ने पढ़ा लिखा गुणवान बनाया।
सत् और असत् में भेद सिखाया॥
दया धर्म का मार्ग दिखाकर,
भवसागर से कर दिया पार
ये मेरे अन्तर्मन् के उद्गार
जीवन सद्गुरु का आभार।
गुरु मेरे सत -ज्ञानसरोवर
मनहंसा मुक्ता चुगे अपार
श्रद्धा प्रेम के दीप जलाकर
खोले नव मुक्ति के द्वार
ये मेरे अन्तर्मन् के उद्गार
जीवन सद्गुरु का आभार।
जीवन दुख कुण्डों का
निर्झर
गुरु आनंद घन है,
सुख साकार॥
नमन सद्गुरु को बारंबार
ये मेरे अन्तर्मन् के उद्गार
जीवन सद्गुरु का आभार।
कवयित्री की परिचय
डॉ. पुष्पा खंडूरी
प्रोफेसर, डीएवी (पीजी ) कॉलेज
देहरादून, उत्तराखंड
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।