निजी कॉलेज एसोसिएशन ने श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय की मनमानी का किया कड़ा विरोध
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निजी कॉलेज एसोसिएशन उत्तराखंड के अध्यक्ष डॉ सुनील अग्रवाल ने श्री देव सुमन विश्वविद्यालय पर मनमानी का आरोप लगाते हुए कड़ा विरोध दर्ज किया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की ओर सेकुछ कॉलेजों के लिए पूर्व के वर्षों के लिए निरीक्षण टीम बनाए जाने संबंधी पत्र भेजा गया है। इस पर उन्हें आपत्ति है। इसे लेकर उन्होंने विश्वविद्यालय को पत्र भेज कर विरोध भी प्रकट किया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ अग्रवाल ने बताया कि श्री देव सुमन विश्वविद्यालय की ओर से कुछ संबद्ध कॉलेजों को पिछले कई वर्षों से संबद्धता प्रमाण पत्र जारी नहीं किए गए। अब विश्वविद्यालय की ओर से कुछ कॉलेजों को पिछले पांच वर्षों की संबद्धता के लिए निरीक्षण के लिए पत्र जारी किए गए हैं। वर्तमान परिस्थितियों में जब विश्वविद्यालय की ओर से उन वर्षों के लिए कॉलेजों के छात्रों की परीक्षाएं संपन्न की जा चुकी हैं। पिछले वर्षों के परीक्षा परिणाम घोषित हो चुके हैं। ऐसे में अब निरीक्षण की बात औचित्यहीन है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि जब कॉलेजों की परीक्षाएं विश्वविद्यालय की ओर से करवाई गई तो यह स्पष्ट है कि उन कॉलेजों की विश्वविद्यालय से संबद्धता यथावत रही है। डॉक्टर अग्रवाल ने कहा की कॉलेजों का निरीक्षण विश्वविद्यालय का अधिकार है और कोई भी कॉलेज निरीक्षण से मना नहीं कर सकता। प्रत्येक वर्ष कॉलेजों को संबद्धता विस्तारण के लिए विश्वविद्यालय में आवेदन करना होता है। विश्वविद्यालय में संबद्धता नवीनीकरण के लिए फीस जमा की जाती है। सभी कॉलेज प्रत्येक वर्ष संबद्धता नवीनीकरण के लिए विश्वविद्यालय में आवेदन करते हैं। अब संबद्धता नवीनीकरण कैसे किया जाना है यह विश्वविद्यालय को देखना है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि अगर विश्वविद्यालय यह सोचे की कॉलेज संबद्धता नवीनीकरण के आवेदन के अलावा निरीक्षण के लिए भी आवेदन करेंगे तो यह सही नहीं है। वैसे भी पांच वर्ष से अधिक पुराने कॉलेजों के कोर्सों की स्थाई संबद्धता होनी चाहिए, लेकिन इस दिशा में अभी तक शासन या विश्वविद्यालय द्वारा कोई सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं अपनाया गया। इसलिए संबंधित कॉलेज विश्वविद्यालय की ओर से अब भेजे गए पूर्व वर्षों के निरीक्षण का विरोध नहीं कर पा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि ये प्रक्रिया सैद्धांतिक रूप से यह औचित्यहीन है। विश्वविद्यालय को अब कॉलेजों का अगले सत्र 2025- 26 के लिए निरीक्षण करना चाहिए। इससे समय से औपचारिकताएं पूर्ण कर संबद्धता प्रमाण पत्र जारी किए जा सकेगा। इसके उलट विश्वविद्यालय उटपटांग तरीके से काम कर रहा है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।