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December 12, 2024

देश सेवा में योगदान दे चुके राष्ट्रपति पुलिस पदक प्राप्त विनय कृष्ण उनियाल का निधन, जानिए उनके जीवन के बारे में

पुलिस सेवा के साथ ही कई महत्वपूर्ण पदों में रहकर देश सेवा करने वाले टिहरी गढ़वाल के मूल निवासी विनय कृष्ण उनियाल का 66 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हो गया।

पुलिस सेवा के साथ ही कई महत्वपूर्ण पदों में रहकर देश सेवा करने वाले टिहरी गढ़वाल के मूल निवासी विनय कृष्ण उनियाल का 66 साल की उम्र में दिल्ली में निधन हो गया। 25 फरवरी को उन्होंने अंतिम सांस ली थी स्वर्गीय विनय कृष्ण उनियाल ने गांव से प्रारंभिक शिक्षा तथा देहरादून के गुरु राम राय महाविद्यालय से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात एसएसबी में कमीशन प्राप्त किया था।
उन्हें विनय कृष्ण उनियाल को वर्ष 2008 में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल ने राष्ट्रपति पुलिस सेवा मेडल तथा वर्ष 2016 में गणतंत्र दिवस के अवसर पर तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया था। विनय कृष्ण उनियाल कुछ समय तक देश की इंटेलिजेंस एजेंसी से भी जुड़े रहे।
सेवानिवृत्त होने के पश्चात विनय कृष्ण देश के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से जुड़ी संस्था एनटीआरओ से जुड़कर देश सेवा कार्य कर रहे थे। उनके निधन से टिहरी गढ़वाल में भी शोक की लहर है। उत्तराखंड के कबीना मंत्री तथा शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि देश उनकी सेवाओं को सदा याद रखेगा हमने राष्ट्र का एक सच्चा देशभक्त खो दिया है।
विनय कृष्ण उनियाल के बारे में
विनय उनियाल ने खुद की अपनी प्रोफाइल में लिखा था कि बचपन से उनके भीतर कुछ करने की इच्छा थी। उनका जन्म उनियाल गांव, ब्लॉक जौनपुर, टिहरी गढ़वाल के एक प्रसिद्ध राजनीतिक/स्वतंत्रता सेनानी परिवार में हुआ था। प्रांरंभिक शिक्षा गांव में पूरी करने के बाद वे ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए देहरादून गए।


पिता और चाचा दोनों स्वतंत्रता संग्राम सेनानी
वह एक राजनीतिक परिवार में पैदा हुए थे। पिता जय कृष्ण उनियाल और उनके दोनों चाचा प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें टिहरी राज्य के तत्कालीन शासक (राजा) द्वारा जेल में डाल दिया गया था। देश की खातिर महीनों तक एक साथ जेल में बिताया। परिवार में ऐसी विषम परिस्थितियों के कारण उनके विवेक पर गहरा प्रभाव पड़ा था।
उनके पिता ने लाहौर में ‘भारत छोड़ो’ आंदोलन के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों की एक टीम का नेतृत्व किया और टिहरी के लोगों के मुद्दों से लड़ने के लिए टिहरी राज्य के युवाओं की एक टीम बनाकर “सुजान बंधु” की स्थापना की।
उनके चाचा राम चंद्र उनियाल निर्वाचन क्षेत्र (उत्तरकाशी) से विधायक के रूप में मनोनीत हुए और अपनी मृत्यु तक जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बने रहे। दूसरे चाचा मनोहर लाल उनियाल एक प्रसिद्ध कवि थे, जिन्होंने देशभक्ति पर अपनी अधिकांश कविताएँ लिखीं।
पूर्व सांसद की बेटी से हुआ था विवाह
उनकी शादी एक बहुत ही प्रतिष्ठित और प्रसिद्ध परिवार से हुई, जिसने राज्य की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में भी योगदान दिया। उनके ससुर परिपूर्णा नंद पैन्यूली वर्ष 1972-1977 में संसद सदस्य (सांसद) थे।


करियर
उन्होंने देहरादून में 3 साल की संक्षिप्त अवधि के लिए गणित के व्याख्याता के रूप में काम किया।व इसके बाद विशेष सेवा ब्यूरो (एसएसबी) [सशस्त्र सीमा बल] में अपना करियर शुरू किया और वहां (आईजी/संयुक्त सचिव के ग्रेड में) डीडी (आईजी) के पद तक पहुंचे। इस दौरान वह दस हजार लोगों की टीम के प्रबंधन के एकमात्र प्रभारी रहे।
इस दौरान में वह कई प्रशिक्षणों से गुजरे। शारीरिक प्रशिक्षण, टीम निर्माण, परियोजना प्रबंधन, प्रशासन, कार्मिक मामले, साइबर अपराध आदि। उन्होंने सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार और तकनीकी प्रशिक्षण प्रभागों के लिए जिम्मेदारी निभाई।
कॉलेज लाइफ एक्टिविटीज
कॉलेज में मैथमेटिक्स एसोसिएशन का अध्यक्ष।
कई सेमिनारों, आयोजनों/कार्यशालाओं में भाग लिया।
छात्र संघ के उपाध्यक्ष।
उत्तरकाशी/टिहरी में भूकंप के दौरान सक्रिय रूप से भाग लिया औरउपयोगी सहायता प्रदान की।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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